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Updated: 23 अक्टूबर, 2017 04:40 PM
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क्या आपके पास हेल्थ इंश्योरेंस है? अगर है तो कौन सी है? क्या फायदे हैं? कंपनी की तरफ से मिली है या फिर खुद खरीदी है? ये सभी और इससे जुड़े कई सवाल ऐसे हैं जिनके जवाब देने में कई लोग हिचकिचा जाते हैं. कारण ये नहीं कि उन्हें लगता है कि उनकी चोरी पकड़ी गई. बल्कि कारण ये है कि उन्हें इसके बारे में पता ही नहीं रहता है.

भारत में हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर इतनी भ्रांतियां हैं कि उसे जरूरी नहीं समझा जाता. अगर यहीं विदेशों की बात करें तो वहां हेल्थ इंश्योरेंस एक जरूरी बात मानी जाती है और वहां बच्चों की भी हेल्थ इंश्योरेंस होती है. भारतीय ग्राहक हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय कुछ गलतियां कर जाते हैं. जैसे...

इंश्योरेंस, प्रीमियम, बिल

1. रिश्तेदारों ने जो प्लान लिया है वही प्लान लेना...

एक बात बताइए क्या एक साइज के कपड़े पूरे खानदान को फिट हो सकते हैं क्या? अगर नहीं तो फिर एक प्लान कैसे सबके लिए बेहतर हो सकता है. जवान लोगों के लिए, बच्चों के लिए, बूढ़ों के लिए एक जैसा प्लान सही नहीं हो सकता. भारत में वैसे भी रिश्तेदारों के कहे को काफी अहमियत दी जाती है. ऐसे में फाइनेंशियल सलाहों पर सिर्फ रिश्तेदारों की बातों पर यकीन न करें उसके लिए किसी अच्छे एजेंट से भी सलाह ले लें. साथ ही इंटरनेट रिसर्च भी करें. जो प्लान आपको बेहतर कवरेज दे सकता है उसे ही चुनें.

2. जवान हैं तो हेल्थ इंश्योरेंस की क्या जरूरत...

ये सवाल हर कोई खुद से करता है. एक बात बता दूं कि अगर आप फिट हैं या फिर आप जवान हैं और हेल्थ इंश्योरेंस लेते हैं तो इससे आपको ज्यादा फायदा होगा. पहले तो टैक्स में, दूसरा आपका एजेंट कोई हिडन क्लॉज नहीं हटा पाएगा आपकी फाइल में से. इसका एक उदाहरण समझते हैं... मान लीजिए किसी ने 40 साल की उम्र में हेल्थ इंश्योरेंस ली हार्ट की बीमारी के चलते. ये अपने एजेंट को भी बताया. एजेंट ने किडनी वाला क्लॉज आपके इंश्योरेंस पेपर से हटा दिया. एजेंट को पता है कि हार्ट की बीमारी से ग्रसित लोगों को अक्सर किडनी की समस्या होती है. ऐसे में प्रीमियम तो दिया, लेकिन पूरा फायदा नहीं मिला.

आजकल की लाइफस्टाइल से तरह-तरह की बीमारियां वैसे भी लोगों को पकड़ रही हैं. अगर आप कम उम्र में हेल्थ इंश्योरेंस ले लेते हैं तो आपको ज्यादा कवर कम प्रीमियम में मिल सकता है. उम्र बढ़ने के साथ साथ इसका उलटा होता जाता है.

3. कम कवरेज वाली इंश्योरेंस ले लेना...

जो लोग अच्छी खासी फाइनेंशियल प्लानिंग करके चलते हैं वो भी इस झांसे में आ जाते हैं. कम कवरेज वाली इंश्योरेंस लेना यानि इंश्योरेंस न लेने जैसा ही है. जब भी कोई जरूरत पड़ेगी तब इंश्योरेंस कवर आपके हिसाब से नहीं मिलेगा. जब तक सही कवरेज नहीं मिलेगा तब तक क्लेम की रकम किसी भी मेडिकल बिल को भर पाने में पूरी नहीं होगी. इसलिए इंटरनेट रिसर्च कर बेहतर इंश्योरेंस कवर वाला प्लान ही चुने. इसके लिए दो तीन एक्सपर्ट्स से सलाह भी ले सकते हैं.  अपने एजेंट से बार-बार ये पूछें कि कवर कैसा होगा. आप जितना चुप रहेंगे उतना एजेंट के लिए फायदेमंद और आपके लिए नुकसानदेह होगा.

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4. माता-पिता को कवरेज में नहीं रखना...

ये गलती करना बहुत आसान है. आप अच्छा कवरेज चुनते हैं बेहतर प्रीमियम रखते हैं और हर बार पेमेंट सही समय पर करते हैं फिर भी ये इंश्योरेंस नुकसानदेह साबित हो सकती है. कारण ये है कि इंश्योरेंस कवर लेते समय माता-पिता को शामिल नहीं किया गया. हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय अगर कोई फैमिली वाला प्लान लिया जाए तो बेहतर होगा. अगर ऑफिस से इंश्योरेंस कवर मिल रहा है तो उसमें भी माता-पिता को शामिल करना जरूरी है.

5. प्लान की जगह प्रीमियम पर ज्यादा ध्यान देना...

हर प्लान अलग प्रीमियम ऑप्शन के साथ आता है. साथ ही उनके कवरेज की बात भी अलग होती है. अगर आप कोई हेल्थ प्लान ले रहे हैं तो सबसे कम प्रीमियम वाले प्लान को देखने की जगह ये सोचिए कि वो प्लान कवर कैसा देगा. जब तक आप कई प्लान देखेंगे और उनकी तुलना एक दूसरे से करेंगे नहीं तब तक अपने लिए बेहतर प्लान नहीं चुन  पाएंगे. प्रीमियम देखकर प्लान लेना आसान जरूर है, लेकिन ये आपकी एक बड़ी फाइनेंशियल गलती मानी जाएगी.

6. एजेंट पर बिना सोचे समझे भरोसा करना...

इंश्योरेंस एजेंट पर पूरी तरह से भरोसा करना बहुत बुरी बात है. हो सकता है एजेंट सारी जानकारी न दे, या कोई जरूरी क्लॉज आपके डॉक्युमेंट्स से हटा दे या फिर वो सिर्फ किसी एक कंपनी से जुड़ा हो और अपने ग्राहक के हिसाब का प्लान न बता पाए. अगर आप किसी एक ही एजेंट पर भरोसा करेंगे तो वो आपको घुमा भी सकता है. इसकी जगह अगर आप किसी ब्रोकर से पूछेंगे तो वो आपको अलग-अलग तरह के प्लान बता पाएगा. ऐसे समय में इंटरनेट रिसर्च भी काफी फायदेमंद साबित होती है.

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