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Updated: 08 जनवरी, 2020 03:10 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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फैशन मैगजीन में छपी मॉडल और सेलिब्रिटी की तस्वीरें हमें बेहद आकर्षक लगती हैं. उन्हें देखकर लोगों को अहसास होता है कि वास्तविक खूबसूरती तो ये है. अभी हाल ही में करीना कपूर खान की एक तस्वीर बाहर आई है जिसे देखकर महिलाएं हीन भावना महसूस कर ही रही थीं कि उस तस्वीर पर बहस शुरू हो गई. ग्रेजिया (Grazia magazine) ने करीना कपूर खान (Kareena Kapoor Khan) की एक तस्वीर शेयर की है जिसकी photoshop editing को लेकर आलोचना की जा रही है.

kareena kapoor khan photoshop failकरीना की टांगो को सुंदर बनाने के चक्कर में घुटने गायब हो गए

करीना कपूर खान नीले रंग का एक romper पहने बिस्तर पर बेहद दिलकश अंदाज में खड़ी हैं. उन्हें देखकर लगता ही नहीं कि वो 39 साल की हो चुकी हैं और एक बच्चे की मां भी हैं. पूरी तस्वीर में सिर्फ एक चीज ध्यान आकर्षित करती है और वो है करीना कपूर की टांगें. करीना के toned legs जरूरत से ज्यादा आकर्षित कर रहे हैं. और उन्हें देखकर ये साफ पता चलता है कि असली पैर ऐसे नहीं होते. करीना की तस्वीर पर इतनी जबरदस्त फोटोशॉप (photoshop) या एयरब्रशिंग (airbrushing) की गई है कि उसमें उनके घुटने ही गायब हो गए हैं. यहां तक कि करीना की पिंडलियां (calves) भी नहीं दिखाई दे रहीं. जबकि पीछे परछाईं में करीना की पिंडलियां साफ नजर आ रही हैं. लोग इस तस्वीर को photoshop fail बताकर आलोचनाएं कर रहे हैं.

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2016 में ऐसा ही कुछ प्रियंका चोपड़ा की एक तस्वीर को लेकर भी हुआ था. पुरुषों की चर्चित मैगजीन Maxim india ने अपनी मैगजीन के कवर पेज पर प्रियंका चोपड़ा की तस्वीर लगाते हुए उन्हें दुनिया की सबसे हॉट महिला का खिताब दिया था. और उस तस्वीर में प्रियंका चोपड़ा के आर्मपिट(armpit) यानी बगल को जरूरत से ज्यादा चमकदार दिखाया गया था. प्रियंका की बगलें फेक नजर आ रही थीं क्योंकि वहां की स्किन बेहद smooth दिख रही थी जो कभी नहीं हो सकती. इस नकलीपन के लिए मैक्सिम मैगजीन को खूब सुनना पड़ा था.

priyanka chopra photoshop picकिसी भी महिला की बगलें क्या इतनी smooth हो सकतीं हैं?

ये फेक तस्वीरें हमें हीन भावना महसूस करवाती हैं

सवाल ये नहीं है कि मैगजीन ने फोटशॉप क्यों किया. सवाल तो ये है कि हम कब तक नकली खूबसूरती देखकर खुश होते रहेंगे. हम 2020 में प्रवेश कर चुके हैं, अब तक लोगों को ये समझ लेना चाहिए कि मैगजीन और विज्ञापनों में जो दिखाया जाता है वो सिर्फ हमें धोखा देने के लिए होता है. ये तस्वीरें सच्ची नहीं होतीं. उन्हें तरह-तरह के टूल का इस्तेमाल करके बेहद आकर्षक बनाया जाता है. एयरब्रशिंग फोटोशॉप का ही एक टूल है जिससे तस्वीर के अनचाहे हिस्से को छिपाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसके जरिए चेहरे की लकीरों, दाग-धब्बों को छिपाया जाता है, त्वचा के रंग को निखारा जाता है, शरीर को दुबला दिखाया जाता है या किसी हिस्से को उभारा भी जाता है, टांगे लंबी की जा सकती हैं, दातों का रंग बदला जा सकता है, आखों की चमक बढ़ाई जा सकती है. यानी सारी खामियां छिपा दी जाती हैं और आंखों को अच्छा लगने वाला अवतार पेश किया जाता है, जिसमें आप चाहकर भी नुक्स नहीं निकाल सकते.

photoshopदेखिए फोटो शॉप से क्या क्या किया जा सकता है

महिलाओं के लिए जरा भी अच्छी नहीं हैं ये तस्वीरें

इन तस्वीरों को देखकर महिलाएं भ्रम में जीने लगती हैं कि इस तरह का 'परफेक्शन' संभव है. और वो महंगे प्रोडक्ट्स खरीदकर पाया जा सकता है. सौंदर्य प्रसाधनों के विज्ञापनों में मॉडल की ग्लो करती और झुर्रियों रहित स्किन इसी एयरब्रशिंग की देन है, कुदरत की नहीं. जबकि महिलाओं को चेहरे के धब्बे, झुर्रियां, सेल्युलाईट और स्ट्रेच मार्क्स देखने की वाकई में जरूरत है. अगर हम ये सब नहीं देखेंगे तो इनकी झलक देखकर हमें घिन आएगी, ये जानते हुए भी कि ये सब हम सभी के शरीर का हिस्सा हैं. ऐसी खूबसूरती देखकर महिलाएं अपने आप से नफरत करती हैं. ये उन्हें कमतर होने का अहसास करवाती हैं.

हर कोई खूबसूरत दिखना चाहता है, लड़कियों पर तो खूबसूरत दिखने का दबाव भी होता है. क्योंकि समाज ने खूबसूरती के पैमाने तय कर रखे हैं- जैसे जिसका रंग गोरा वो सुंदर, दुबली लड़कियां ही अच्छी लगती हैं. नतीजा ये है कि अब लड़कियां भी ऐसी तस्वीरों के लिए photo editing tools का इस्तेमाल करती हैं. 2015 में किए गए एक सर्वे के मुताबित 68 प्रतिशत लोग अपनी तस्वीरें शेयर करने से पहले उसे एडिट करते हैं. वजह हैं ये beauty standards जो इस तरह की मैगजीन अपनी हर तस्वीर के माध्यम से दुनिया के सामने रखती हैं.

बहस जारी है, कि इस तरह की फोटो एडिटिंग जरूरी है कि नहीं है. बॉडी पॉजिटिविटी को लेकर काम करने वाले लोग इसके खिलाफ हैं, वहीं फैशन और ग्लैमर से जुड़े लोग फोटोशॉप के बिना तस्वीरों की कल्पना भी नहीं कर सकते. लेकिन ये जो भी है, अच्छा तो नहीं है. सौंदर्य को लेकर सनकी हो चुके समाज में अब और beauty standards की जरूरत नहीं है.

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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