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Updated: 08 जुलाई, 2020 01:08 PM
अनु रॉय
अनु रॉय
  @anu.roy.31
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आपके लाइक्स और सिम्पैथी की दरकार नहीं है सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) को और नहीं उनकी फ़िल्म ‘दिल बेचारा’ (Dil Bechara) को. मैंने सुशांत के जाने के बाद एक भी पोस्ट नहीं लिखी उनपर और न ही उनपर लिखी किसी पोस्ट को पढ़ना ज़रूरी समझा. मैंने उनके जाने के बाद छीछालेदर से बचने के लिए सोशल मीडिया और न्यूज़ चैनल्स से दूरी बना ली थी. और आज भी मैं ये नहीं लिखती मगर कल उनकी फ़िल्म दिल बेचारा के ट्रेलर रिलीज़ (Dil Bechara Trailer Release ) के बाद जिस तरह से सोशल मीडिया पर उनकी फ़िल्म को ले कर बातें पढ़ रही हूं, मेरा मन खिन्न हुआ जा रहा है. देखिए, आपको लग रहा होगा कि आप ये सब लिखकर या बोलकर कि सुशांत राजपूत की आख़िरी फ़िल्म को हिट करवाना है. जो सुशांत को न्याय दिलवाना चाहते हो वो ये फ़िल्म जरूर देखें. सुशांत की इस फ़ोटो को लाइक किए बिना यहां से न जाएं. और न जाने क्या-क्या? आपकी इन बातों से मुझे घिन्न आने लगी है. आप में सब शामिल हैं, कमाल आर ख़ान से ले कर पायल रोहतगी और राखी सावंत तक सब के सब चील-कौए. इनके अलावा वो टीवी वाले आर्टिस्ट भी जिन्हें कोई नहीं पूछ रहा वो भी ट्रेंड होने के लिए एक वीडियो बना कर डाल दे रहे हैं.

Sushant Singh Rajput, Film, Dil Bechara, Youtubeसुशांत सिंह राजपूत की आखिरी फिल्म पर जो रवैया फैंस का है वो अचरज में डालने वाला है

ज़रा अपने दिल पर हाथ रख कर आप सब बताइए कि क्या आप सच में सुशांत के दोस्त या शुभचिंतक थे या हैं? नहीं, आप नहीं हैं. ये आपका दिल भी जानता है. आपको सिर्फ़ अपने फॉलोवर्स बढ़ाने हैं. अपने लाइक्स की चिंता है. अगर आपके मन में सुशांत के लिए ज़रा भी सम्मान होता तो ये छीछालेदर नहीं कर रहे होते. यार जो चला गया उसके जाने का सम्मान करो न कि उसकी बेईज़्ज़ती.

हां, ये बेईज़्ज़ती नहीं तो और क्या है? क्यों उसकी फ़िल्म के नाम पर आप हमदर्दी बटोर रहे हैं? दिल बेचारा एक फ़िल्म है जिसमें सुशांत ने काम किया है. फ़िल्म को रिलीज़ होने दीजिए फिर उसमें सुशांत ने जैसा भी काम किया होगा या फ़िल्म जैसी होगी उस हिसाब से रिव्यू होगा और फ़िल्म का आकलन भी.

अभी तो फ़िल्म के डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा जिस तरह से बोल रहें इस फ़िल्म के प्रमोशन के लिए उसमें मुझे उनका दुःख कम और फ़िल्म को हिट करवाने का पैंतरा अधिक दिख रहा. पता नहीं शायद ये मुझ अकेली को लग रहा होगा मगर फिर भी लग रहा है.

सुशांत की ज़िंदगी और मौत को एक फ़िल्म के हिट और फ़्लॉप होने से जोड़ कर यार इतना तो छोटा मत करो. वो इंसान इन फ़िल्मों और हिट-फ़्लॉप से कहीं आगे का शख़्स था. उसके लिए ये चीजें मैटर नहीं करती थी. सुशांत का काफ़ी पहले एक इंटरव्यू देखा था जिसमें वो कह रहें थे कि उनका सपना था एक बड़ी सी कार को ख़रीदना लेकिन जब उन्होंने वो कार ख़रीद ली तो उन्हें कोई ख़ास ख़ुशी महसूस नहीं हुई. उनकी इसी बात से अंदाज़ा लगाइए वो शख़्स इन दुनियादारी से कितना मुख़्तसर था. उसके लिए एक फ़िल्म का हिट या फ़्लॉप होना कहीं से मैटर नहीं करता.

वो बस अपना काम पूरे मन से करना जानता था. वो ज़िंदगी को जीना जानता था. उसने अपनी हर ख़ुशी और ग़म को सेलिब्रेट किया. तो प्लीज़ उस हीरो के लिए या उसकी फ़िल्म के दया और सुहानभुति की भीख मत ही मांगिये. और जो आप कर रहें हैं उसमें मुझे यही दिख रहा. मेरे लिए दिल बेचारा एक फ़िल्म है जिसमें सुशांत ने काम किया है.

मैं फ़िल्म का रिव्यू उनका और बाक़ियों का काम देख कर करूंगी न कि सुशांत की मौत से जोड़ कर. मेरे लिए सुशांत इन फ़िल्मों से कहीं आगे का सितारा है. वो जहां भी हैं सबसे ज़्यादा चमकें यही दुआ है. बाक़ी आप नेपोटिस्म वाली लड़ाई जारी रखिए. नए लोगों की फ़िल्में आयें उन्हें देखिए और सराहिए. जो कर सकते हैं तो सिर्फ़ इतना कीजिए. बस.

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लेखक

अनु रॉय अनु रॉय @anu.roy.31

लेखक स्वतंत्र टिप्‍पणीकार हैं, और महिला-बाल अधिकारों के लिए काम करती हैं.

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