साहिल जोशी
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लेखक इंडिया टुडे टीवी में सीनियर एडिटर हैं
समाज | 4-मिनट में पढ़ें
महाराष्ट्र का दूर-दराज का इलाका अमरावती बना कोरोना का नया हॉटस्पॉट! जानिए कैसे...
शुरू में अधिकारियों ने सोचा कि यह कोरोना वायरस के नए म्यूटेटेड स्ट्रेन की वजह से हो रहा है. प्रशासन ने इस बात की पुष्टि के लिए कुछ नमूने पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी को भेजे हैं. पीयूष सिंह ने कहा कि अगर परिवार का कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित है, तो परिवार के अन्य लोग भी पॉजिटिव निकल रहे हैं. ऐसा पहले नहीं था.सियासत | 6-मिनट में पढ़ें
Maharashtra CM कौन बनेगा? इस कुर्सी के झगड़े का अपना इतिहास है
महाराष्ट्र चुनाव (Maharashtra Assembly Election) में भाजपा-शिवसेना (BJP-Shiv Sena) को बहुमत तो मिल गया है, लेकिन मुख्यमंत्री (Maharashtra CM) पद को लेकर पेंच फंस गया है और सरकार नहीं बन पाई है. वैसे महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद को लेकर झगड़ा हमेशा से रहा है.सियासत | 5-मिनट में पढ़ें
सियासत | 4-मिनट में पढ़ें
आदित्य ठाकरे: बिना अखाड़े में उतरे कुश्ती नहीं खेली जा सकती
आदित्य ठाकरे ने मुंबई के वर्ली विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की घोषणा की है. ऐसा पहली बार है जब ‘ठाकरे’ परिवार का कोई सदस्य चुनाव मैदान में उतरेगा. आदित्य ठाकरे का ये फैलसा इसलिए भी चौंकाने वाला है क्योंकि शिवसेना में हमेशा ही एक अलग किस्म की राजनीति की है.सियासत | 5-मिनट में पढ़ें
महाराष्ट्र में कांग्रेस मरी नहीं है सिर्फ बीजेपी में जीवित रहने का प्रयास कर रही है
अब तक करीब 20 कांग्रेसी महाराष्ट्र में पाला बदल चुके हैं. एनसीपी को जोड़ें तो यही आंकडा 40 तक पहुंच जाएगा. अब तक किसी विचारधारा को पकड़कर नहीं रखने के फायदे कांग्रेस उठाती आई, लेकिन अब विचारधारा की डोर छोड़ने का नुकसान भी पार्टी उठा रही है.सियासत | 5-मिनट में पढ़ें
महाराष्ट्र चुनाव से पहले कांग्रेस-एनसीपी का जहाज डूबने के कगार पर क्यों?
देश में भले ही परिवारवाद का चेहरा गांधी परिवार हो, लेकिन परिवारवाद राजनीति में जड़ों तक जा पहुंचा है. खासकर एनसीपी ने पार्टी में परिवारवाद को खूब पनपने दिया. नेता पुराना हुआ तो उनके बेटे या बेटी को आगे कर पार्षद, विधायक, मंत्री बनाया.सियासत | 6-मिनट में पढ़ें
सियासत | 6-मिनट में पढ़ें
सियासत | 5-मिनट में पढ़ें
मुंबई से वाजपेयी के चार बयान, जिन्होंने देश में हलचल पैदा की
सपना टूटने के बाद एक उदासी थी और ऐसे में अपने कार्यकर्ताओं के सामने उस अंदाज मे भविष्यवाणी करने वाला एक ही नेता हो सकता था अटल बिहारी वाजपेयी. पहले अधिवेशन मे अपना भाषण खत्म करते हुए उनके उद्गार थे ''अंधेरा छटेगा सूरज निकलेगा कमल खिलेगा.''सियासत | 5-मिनट में पढ़ें
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