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Updated: 18 जनवरी, 2019 02:23 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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आगे बढ़ना और कुछ नया करना इस दुनिया का उसूल है. हर व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से और हर देश दूसरे देश से आगे बढ़ना चाहता है. इस दौड़ में चीन खुद को सबसे आगे साबित करने के लिए बहुत मेहनत करता है. 3 साल के बच्चों को ओलिंपिक के लिए तैयार करने से लेकर चांद पर पहला पेड़ उगाने तक चीन की तरफ से बहुत एक्सपेरिमेंट किए जाते हैं. कुछ दिनों पहले ये खबर भी आई थी कि चीन के एक डॉक्टर ने दो बच्चों का डीएनए बदल दिया

इसी कड़ी में चीन की तरफ से एक और तकनीक का अनूठा एक्सपेरिमेंट किया गया है. ये है 5G सर्जरी का एक्सपेरिमेंट. दुनिया का पहला रिमोट ऑपरेशन. सर्जन ऑपरेशन थिएटर से 48 किलोमीटर दूर बैठा था और 5G और एक रोबोटिक हाथ की मदद से ये ऑपरेशन पूरा किया गया. ऑपरेशन किसी इंसान पर नहीं बल्कि सुअर पर किया गया. सुनने में ये बेहद अच्छा लग रहा है. मतलब खुद ही सोचिए कि ये तकनीक किस कदर उन लोगों के लिए सफल हो सकती है जिन्हें इलाज चाहिए और डॉक्टर अमेरिका या इंग्लैंड में बैठा हो. तकनीक के हिसाब से देखें तो ये बेहद अनूठा प्रयोग है, लेकिन ये सोचने वाली बात है कि क्या दुनिया इसके लिए तैयार है?

अब कुछ बारीकियों पर गौर करिए-

ये सर्जरी 5G नेटवर्क की वजह से सफल हो पाई. वो नेटवर्क जिसमें विलंब बहुत कम होता है. ये विलंब इसलिए होता है क्योंकि डेटा नेटवर्क के जरिए एक जगह से दूसरी जगह पबुंचाया जाता है. अलग-अलग मशीनों की फ्रीक्वेंसी के आधार पर डेटा डिलिवरी का समय निर्धारित हो पाता है. ऐसे में एक चूक क्या जानलेवा नहीं साबित हो सकती है? रोबोटिक हाथ सर्जरी कर रहा है, लेकिन अगर सर्जरी में थोड़ी भी गलती हो गई, सिस्टम में 1 सेकंड का भी अंतर हो गया या फिर मशीन का वीडियो ही एक सेकंड के लिए चला गया तो इंसान के लिए ये गलती जानलेवा साबित हो सकती है.

5G, तकनीक, सर्जरी, मेडिकल, विज्ञानसर्जरी करने वाला डॉक्टर एक मॉनिटर के जरिए सर्जरी को देख रहा था.

ये सही है कि विलंब और एरर की समस्या को 5G काफी हद तक खत्म कर देता है. ऑगमेंटेड रिएलिटी और वर्चुअल रिएलिटी वाले जमाने में ये एक नई पहल ही है, लेकिन ये कहना कि इसके लिए हम तैयार हैं ये बहुत जल्दबाजी होगी.

ये पहला 5G ऑपरेशन 8 जनवरी को किया गया था और इस ऑपरेशन में डॉक्टर ने एक जानवर का लिवर अलग किया था. इस सर्जरी में विलंब सिर्फ 0.1 सेकंड का हुआ और इसलिए इसे सफल कहा जा रहा है. अगर ये 4G या किसी अन्य नेटवर्क पर किया जाता तो विलंब ज्यादा होता और गलती होने की समस्या भी ज्यादा बढ़ जाती.

एक तरह से देखा जाए तो 4G के ऊपर 5G के कई फायदे दिखते हैं. 20Mbps डाउनलोड स्पीड बदलकर 50Gbps हो जाती है. ये कुछ-कुछ ऐसा ही है कि 10 एचडी फिल्में 1 सेकंड में डाउनलोड हो जाएं. पर यहां बात फिल्म डाउनलोड करने की या फिर वीडियो कॉलिंग की नहीं हो रही है. यहां तो बात हो रही है इंसानी जिंदगी की जो बहुत अनमोल होती है. रोबोटिक सर्जरी ने पिछले कुछ समय में अपनी जगह साइंस की दुनिया में जगह बना ली है.

इसको लेकर काम 1990 के दशक से ही चल रहा था और उसके बाद 2000 में Da vinci रोबोटिक सर्जरी को अप्रूवल मिला और उसके बाद कहीं जाकर रोबोटिक सर्जरी शुरू हुई. फिर भी इस तरह की सर्जरी को अभी 2019 में भी हर जगह नहीं किया जाता है. आंखों की सर्जरी और ऐसे ही कई बारीक अंगों की सर्जरी के लिए रोबोटिक्स का इस्तेमाल होने लगा है.

पर यहां रोबोटिक सर्जरी और रिमोट सर्जरी में फर्क है..

रोबोटिक सर्जरी को एक तरह से सुरक्षित माना जा सकता है. सीधी सी बात समझिए कि अगर कोई डॉक्टर रोबोटिक सर्जरी कर रहा है तो वो उसी जगह मौजूद है. कितना कुछ भी हो जाए, लेकिन मशीनों पर इंसान की तरह भरोसा नहीं किया जा सकता. एक चूक और मशीन कुछ संभाल पाने में असमर्थ भी हो सकती है. कुछ नहीं तो अगर सर्जरी के समय पावर फेल हो जाए तो भी मौके पर डॉक्टर का मौजूद होना जरूरी होता है. दूसरी बात ये कि रोबोटिक सर्जरी के लिए मिनिएचर टेक का इस्तेमाल किया जाता है. यानी छोटे सर्जिकल इंस्ट्रूमेंट, छोटे रोबोट, और इतनी बारीक नसों पर काम होता है जहां इंसानी हाथ थोड़ा डगमगा सकता है. ऐसे में रोबोटिक सर्जरी के साथ थोड़े रिस्क भी हैं और थोड़े फायदे भी.

अब अगर रिमोट सर्जरी की बात करें तो डॉक्टर तो कई किलोमीटर दूर बैठा है. नेटवर्क के जरिए सर्जरी कर रहा है और ऐसे में अगर एक गलती कर दी जाए तो कौन होगा संभालने वाला? जहां तक रिमोट सर्जरी की बात है तो वो आगे आने वाले कई सालों में भले ही कुछ अनोखा कॉन्सेप्ट लगे, लेकिन अभी तो ये खतरनाक ही है. अभी तक रोबोटिक सर्जरी का डेटा भी FDA रिव्यू कर रही है. इस सर्जरी का सक्सेस रेट भी 95% है. ऐसे में क्या ये सवाल जायज है कि जब रोबोटिक सर्जरी में ही अभी ज्यादा रिसर्च हो रही है

जहां तक नेटवर्क का सवाल है तो चीन में हुई इस रिमोट सर्जरी के लिए हुआवी के नेटवर्क को शाबाशी दी जा रही है. कहा जा रहा है कि इसके अलावा अगर कोई और नेटवर्क होता तो इतनी सफल सर्जरी नहीं हो पाती. हुआवी कंपनी के विवाद अभी चल ही रहे हैं. ये कहना कि आगे बढ़े रहने के लिए ये कंपनी एक्सपेरिमेंट करने से भी पीछे नहीं हटती ये गलत नहीं होगा. ऐसे में सिर्फ एक्सपेरिमेंट के नाते ही ऐसी सर्जरी किसी जीवित पर करना भले ही वो जानवर ही क्यों न हो ये सही नहीं है.

इसमें कोई शक नहीं कि 5G न सिर्फ मेडिकल बल्कि कई अन्य जगहों पर भी काफी असरदार साबित हो सकती है, लेकिन अगर इसे रिमोट सर्जरी से जोड़कर देखें तो अभी बहुत मेहनत बाकी है. इस साल 5G कई देशों में आ सकता है. सैमसंग, नोकिया, हुआवी पहले ही ये बात कर चुके हैं कि 5G तकनीक पर इस साल काम हो जाएगा, लेकिन इसका इस्तेमाल रोबोटिक सर्जरी के लिए ऐसा ही है जैसा ड्राइवरलेस कार को एम्बुलेंस बनाने का हो. ड्राइवरलेस कार पर न जाने कितने समय से काम चल रहा है और अभी भी उसे लेकर आए दिन एक्सिडेंट की खबरें आती रहती हैं.

तकनीक पर भरोसा करना सही है, लेकिन तकनीक को हावी हो जाने देना तो शायद मेट्रिक्स फिल्म की याद दिला सकता है. कुल मिलाकर अभी के लिए इस 5G तकनीक पर एकदम से भरोसा करना और इसकी खुशी मनाना उतना वाजिब नहीं लगता.

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श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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