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Updated: 16 सितम्बर, 2017 12:13 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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आईफोन 8, 8 प्लस और आईफोन X के बारे में इससे पहले भी आईचौक पर बहुत कुछ लिखा जा चुका है. एपल के ये तीनों फ्लैगशिप फोन भारत में कुछ समय बाद आएंगे, लेकिन उनकी कीमत के बारे में पहले से ही पता चल चुका है.

iPhone 8 का 64GB वेरिएंट 64000 रुपए का होगा और 256GB वेरिएंट 77000 रुपए का. इसके अलावा, आईफोन 8 प्लस का बेस वेरिएंट 73000 रुपए का होगा और 256 GB वेरिएंट 86000 रुपए का. आईफोन 8 और 8 प्लस से भी काफी ज्यादा फीचर्स आईफोन X में हैं. फोन महंगा भी उतना ही है.. इसका बेस वेरिएंट 89000 रुपए का होगा और 256GB मॉडल वेरिएंट 1 लाख 2 हजार रुपए का है, लेकिन अमेरिका में बेस मॉडल 999 डॉलर का है जो 63000 रुपए के आस-पास बैठता है और 256 जीबी मेमोरी वाला मॉडल 1149 डॉलर का है जो भारतीय मुद्रा में 74000 के आस पास का बैठता है. कुल मिलाकर ये फोन भारतीय बाजार में लगभग 39% महंगा होगा.

हमेशा से ही भारत में आईफोन की कीमत और बाकी देशों में इसकी कीमत में जमीन-आसमान का अंतर रहा है. इसके पीछे कोई भी कारण एपल ने कभी साफ नहीं किया, लेकिन इतने सालों के एनालिसिस के बाद कुछ अहम कारण दिखते हैं जैसे...

1. भारतीय करंसी...

भारत की करंसी और अमेरिकी करंसी में बहुत बड़ा अंतर है. एपल हमेशा से अपना प्रोफिट मार्जिन निकाल कर अपने प्रोडक्ट्स बेचता है. अब अगर करंसी रेट में अंतर आएगा तो एपल का प्रॉफिट मार्जिन कम होगा. ऐसे में कंपनी अपने प्रोडक्ट की कीमत इतनी बढ़ा देती है कि चाहें करंसी की कीमत बढ़े या घटे एपल के प्रॉफिट मार्जिन पर असर न पड़े. अगर करंसी की कीमत 67 रुपए प्रति डॉलर होगी तो एपल इसे 90 रुपए प्रति डॉलर भी मान सकती है. ये सिर्फ उदाहरण के तौर पर है. इसमें एपल का गणित क्या कहता है ये तो पता नहीं.

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2. अपने पुराने हैंडसेट्स बेचने के लिए...

एक कारण ये भी हो सकता है कि भारत एक कॉस्ट इफेक्टिव मार्केट है. यहां सस्ते को ज्यादा अहमियत दी जाती है. एपल ने कई बार अपने पुराने मॉडल भारतीय मार्केट में बेचने की कोशिश की है. जैसे आईफोन 4S के समय जो ऑफर निकाला था जिससे एपल का फोन सिर्फ 17000 रुपए में मिल रहा था. ये ऑफर तब आया था जब पहले से ही 5S और 5C मार्केट में आ चुके थे. एक कॉस्ट इफेक्टिव मार्केट में प्रॉफिट मार्जिन ज्यादा रखने के पीछे इस तरह की कोई प्लानिंग भी हो सकती है.

3. बिचौलिए...

एपल का न ही कोई स्टोर है भारत में और न ही कोई प्रोडक्शन यूनिट. कंपनी फ्रेंचाइजी के जरिए अपने प्रोडक्ट्स भारत में बेचती है. ऐसे में बिचौलियों के साथ प्रॉफिट मार्जिन भी ज्यादा हो जाता है. थोड़ा हिस्सा बिचौलियों के पास जाता है और थोड़ा कंपनी के पास. जब फोन इम्पोर्ट होता है तो हो सकता है इसी प्रोसेस के कारण ये महंगा होता हो.

एपल अपना आधिकारिक स्टोर भारत में तब तक नहीं बना सकता जब तक उसका कोई एक प्रोडक्शन यूनिट यहां न हो. नियम के अनुसार जब तक किसी कंपनी के प्रोडक्ट का कोई एक भी पार्ट भारत में नहीं बनता वो अपना आधिकारिक स्टोर यहां नहीं खोल सकती.

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4. प्रॉफिट मार्जिन...

एपल कंपनी अपने प्रॉफिट मार्जिन और आईफोन की क्लास को लेकर काफी संजीदा है. इसीलिए एपल की मार्केटिंग स्ट्रैटजी यूनिट्स की जगह प्रॉफिट पर रहती है. भले ही कम हैंडसेट्स बिके, लेकिन प्रॉफिट कम न हो. ऐसे में कंपनी कई बार ये सर्वे करवा चुकी है कि लोग उसके हैंडसेट के लिए कितनी कीमत चुकाने को तैयार हैं. इसी के आधार पर कंपनी अपने हैंडसेट्स किसी भी देश में भेजती है. इसका उल्टा शाओमी जैसी किसी कंपनी के साथ देखा जा सकता है. कंपनी अपने हैंडसेट्स को यूनिट के आधार पर बेचती है और उसका प्रॉफिट मार्जिन कम होता है. यही कारण है कि शाओमी के फोन इतने सस्ते होते हैं.

ये सभी सिर्फ अनुमान हैं, लेकिन एपल की मार्केटिंग स्ट्रैटजी देखते हुए लगता है कि ये सही हो सकते हैं.

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लेखक

श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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