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Updated: 10 सितम्बर, 2017 03:11 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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12 सितंबर को आईफोन 8 लॉन्च होने जा रहा है. इस फोन को लेकर कई बातें पहले ही सामने आ चुकी हैं. एपल कंपनी दुनिया की सबसे सीक्रेटिव कंपनियों में से एक मानी जाती है. इस कंपनी की सिक्रेसी और उसे हासिल करने के तरीकों को लेकर कई बातें होती रहती हैं. एपल की सीक्रेसी की सभी कहानियां स्टीव जॉब्स से जुड़ी हुई हैं. कुछ कहती हैं कि जॉब्स अपने कर्मचारियों पर ऑफिस के बाद भी नजर रखवाते थे तो कुछ कहती हैं कि स्टीव जॉब्स खुद ही आईफोन से जुड़ी कुछ बातें लीक करवा देते थे. जिससे लोगों के बीच जिज्ञासा बनी रहे.

सीक्रेट रखने के सनकी तरीके...

एपल के पूर्व कर्मचारियों ने कई तरह की कहानियां सुनाई हैं. एपल कंपनी अपने सीक्रेट बचाकर रखने के लिए तरह-तरह के जतन करती थी. द वायर्ड की एक रिपोर्ट में ये बताया गया है...

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1. नए कर्मचारियों के साथ करते थे ऐसा...

नए कर्मचारियों को ओरिएंटेशन प्रोग्राम में कंपनी के नियम और उससे जुड़ी सारी बातें समझाई जाती थीं, लेकिन ये नहीं बताया जाता था कि उनका काम क्या होगा. एक कर्मचारी का कहना था कि जब तक उसने सीक्रेट कॉन्ट्रैक्ट नहीं साइन कर लिया था तब तक उसे ये नहीं बताया गया कि उसका काम क्या होगा. उसे सिर्फ इतना पता था कि उसे आईपॉड से जुड़ा कोई काम करना है.

2. कमरे में बंद कर्मचारी...

एपल के मामले में ये बात बहुत लोकप्रिय है कि वहां कई सीक्रेट रूम होते हैं जहां कर्मचारियों को बंद कर दिया जाता है. सीनेट साइट के एक एनालिस्ट जॉश लेवन्सन का कहना है कि एपल की बिल्डिंग नए प्रोजेक्ट के साथ ही बदल दी जाती है. नए प्रोजेक्ट के हिसाब से इंटीरियर होता है. नए कमरे बनाए जाते हैं जिसमें नया सिक्योरिटी प्रोटोकॉल होता है, नए दरवाजे और नई दीवारें.

पार्दशी खिड़कियां या तो ब्लर कर दी जाती हैं या फिर हटा ही दी जाती हैं जिससे लोग ये न देख सकें कि अंदर क्या चल रहा है. एपल इसे लॉक रूम कहती है. कोई भी जानकारी अंदर से बाहर या बाहर से अंदर ऐसे ही नहीं जाती. सभी कर्मचारी सिर्फ ये सोच सकते हैं कि क्या चल रहा है अंदर, लेकिन सिर्फ उस प्रोजेक्ट के इंजीनियर्स को ही पता होता था कि अंदर क्या है.

3. चुप्पी तोड़ने की इतनी बड़ी सजा...

स्टीव जॉब्स अपने इंजीनियर्स को लेकर बेहद सचेत रहते थे. कंपनी के कर्मचारियों को एक नहीं दो अलग-अलग एग्रिमेंट साइन करने पड़ते थे. उस एग्रिमेंट में लिखा होता था कि एपल के सीक्रेट प्रोजेक्ट के बारे में अपनी पत्नि और बच्चों तक को कुछ नहीं बताया जाएगा. एक पूर्व कर्मचारी का कहना है कि एग्रिमेंट में साफ कर दिया जाता था कि अगर मीटिंग की कोई भी बात बाहर गई तो न सिर्फ उन्हें टर्मिनेट कर दिया जाएगा बल्कि उनके वकील वो सब कुछ करेंगे जो कर सकते हैं. यानि आपकी जिंदगी बर्बाद करने की पूरी तैयारी की जा सकती है.

4. जासूसी भी वर्ल्ड क्लास...

टेकक्रंच वेबसाइट की एक रिपोर्ट के मुताबिक एपल कंपनी अपने कर्मचारियों की ऑफिस के बाहर भी जासूसी करवाती थी. सिक्योरिटी ऑफिसर प्लेन कपड़ों में रहते थे. ये उन कई तरीकों में से एक था जिससे एपल के कर्मचारियों पर नजर रखी जाती है. एक और कर्मचारी का कहना है कि एपल को एक धर्म की तरह माना जाता है न कि एक कंपनी की तरह.

क्या वाकई जॉब्स ने लीक की थी आईफोन की जानकारी?

जब स्टीव जॉब्स के घर पर आईफोन के इंजीनियर्स पहला डेमो लेकर गए थे तब वो एक बक्से में बंद था जिसपर ताला लगा हुआ था. इसके बाद सीक्रेट मीटिंग स्टीव जॉब्स के घर पर हो रही थी. तभी एक फेडएक्स (कोरियर कंपनी) कर्मचारी जॉब्स के घर पर आया. उसे एक पार्सल डिलिवर करना था. वो जॉब्स का रेगुलर डिलिवरी मैन नहीं था. जॉब्स उठे. पहला आईफोन उनके हाथ में था. उन्होंने दरवाजा खोला और फोन अपनी जीन्स के पीछे की पॉकेट में रखा. कर्मचारी से पार्सल लिया साइन किया और दरवाजा बंद कर दिया. सारे इंजीनियर्स चौंक गए क्योंकि उन्होंने जॉब्स से ऐसी उम्मीद नहीं की थी. जॉब्स एपल का सबसे सीक्रेट प्रोजेक्ट एक डिलिवरी मैन को दिखाने वाले थे. अगर उसने जॉब्स के हाथ पर ध्यान दिया होता या फिर एक बार भी झांक कर जॉब्स की पॉकेट देख ली होती तो यकीनन उसे आईफोन के बारे में पता चल जाता.

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ऐसी खबरें कई बार सामने आई हैं कि स्टीव जॉब्स खुद आईफोन की कुछ डिटेल्स मार्केट में लीक कर देते थे. हालांकि, इसके बारे में कुछ कभी भी साफ तौर पर सामने नहीं आया, लेकिन आईफोन की डिटेल्स लीक होने के बाद से ही मार्केट में लगातार कई सालों से नए फ्लैगशिप स्मार्टफोन्स की जानकारी लीक होने लगी. ये एक ट्रेंड बन गया. इसे ऐसे भी देख सकते हैं कि लोगों में उत्सुक्ता बनाए रखने के लिए ऐसा किया गया हो.

पहले आईफोन की लॉन्चिंग के समय हुआ था ऐसा....

दुनिया का पहला आईफोन पेश करने के लिए स्टीव जॉब्स जो हैंडसेट स्टेज पर लेकर गए थे उसमें इतनी कमियां थीं कि अगर वो जरा भी तय डेमो से ज्यादा चलाया जाता तो क्रैश हो जाता. वह डिवाइस वीडियो या सॉन्ग तो प्ले कर सकता था लेकिन अगर उसपर पूरा वीडियो क्लिप प्ले किया जाता तो वह क्रैश हो सकता था. लॉन्चिंग के समय जिन ऐप्स का डेमो दिया गया था वे सभी पूरी तरह से डेवलप नहीं हो पाए थे. इंजीनियर्स को डर था कि वे डेमो दिखाते समय ही क्रैश न हो जाए. इंजीनियर्स इतने डरे हुए थे कि ऑडियंस में बैठकर विस्की पी रहे थे. वो जानते थे कि दुनिया का पहला आईफोन पेश हो रहा है और ये अपने आप में अनूठा है. अगर जरा भी गड़बड़ हुई तो जॉब्स उन्हें नहीं छोड़ेंगे. डेमो के लिए दिया गया फोन सिर्फ लिमिटेड काम ही कर सकता था. न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक लॉन्च के समय इंजीनियर्स जॉब्स के गुस्से से डरे थे. इसीलिए सब अपनी परेशानी कम करने के लिए नशे में धुत थे.

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लेखक

श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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