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Updated: 02 मई, 2018 02:46 PM
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ड्रोन भारत में धीरे-धीरे अपनी जगह बना रहे हैं. एक समय में अचंभे से देखे जाने वाले ड्रोन्स अब बहुत तेज़ी से भारतीय इकोनॉमी का हिस्सा बनने को तैयार हैं. खेती से लेकर स्मार्ट सिटी के सर्वे तक ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल भारतीयों के काफी काम आ सकता है. शायद यही कारण है कि भारत में ड्रोन स्टार्टअप कंपनियां बढ़ रही हैं. Martian Way Corporation, Aarav Unmanned Systems, Aerial Photo India, Aerialair जैसी करीब 30 ऐसी स्टार्टअप कंपनियां हैं जो अपना काम ड्रोन की मदद से करती हैं.

इनमें से कई तो 2017 में ही बनी हैं. दिसंबर 2017 तक ड्रोन को लेकर भारत में नई नियमावली आ गई थी. अब 2018 में इसके और आगे बढ़ने की उम्मीद है. कुल मिलाकर देखा जाए तो भारत आगे तो बढ़ रहा है, लेकिन धीमी गति से.

ड्रोन, तकनीक, DGCA, सोशल मीडियाभारत में ड्रोन अभी भी पूरी तरह से कानूनी नहीं है

तेज़ी से बढ़ता, लेकिन कानूनी नहीं..

सबसे पहले तो बात करते हैं उन लोगों की जिन्हें ड्रोन खरीदने की जल्दी है. उनके लिए ये जानना जरूरी है कि किसी गलत जगह ड्रोन उड़ाना उन्हें जेल की हवा भी खिला सकता है. Directorate General of Civil Aviation (DGCA) द्वारा ड्रोन उड़ाने और इस्तेमाल करने वालों के लिए कुछ गाइडलाइन्स दी गई हैं.

आम नियम..

भारत में ड्रोन का इस्तेमाल सिर्फ कुछ जगह ही हो सकता है और ये तभी मुमकिन है अगर ड्रोन इस्तेमाल करने वाला सारे नियमों का पालन करे. 250 ग्राम से ऊपर वजन वाला ड्रोन उड़ाते समय ध्यान रखे जाएंगे....

1. रिहायशी इलाकों में बिना परमीशन ड्रोन नहीं उड़ाया जा सकता. 2. एयरपोर्ट या हैलिपैड के 5 किलोमीटर के आस-पास ड्रोन नहीं उड़ाया जा सकता. 3. दिन के समय और अच्छे मौसम में ही ड्रोन उड़ाया जाए. 4. सेंसिटिव जोन या हाईप्रोफाइल सिक्योरिटी वाले इलाके में ड्रोन न उड़ाया जाए. 5. सरकारी ऑफिस, मिलिट्री स्पॉट आदि में ड्रोन वर्जित हैं. 6. ड्रोन उड़ाने वाला कम से कम 18 साल या उससे ऊपर का होना चाहिए. 7. सभी ड्रोन एक लाइसेंस प्लेट के साथ उड़ाए जाएं जिनमें ऑपरेटर का नाम और उन्हें कैसे कॉन्टैक्ट करना हो ये लिखा हो. 8. अपने ड्रोन को उसी सीमा तक उड़ाएं जहां तक देखा जा सके. 9. एक से अधिक अनमैन्ड ऑटोमैटिक वेहिकल (UAV) या ड्रोन एक बार में न उड़ाए जाएं. 10. किसी भी इंटरनेशनल बॉर्डर से 50 किलोमीटर के अंदर ड्रोन न उड़ाया जाए. 11. समुद्र से 500 मीटर दूर ही ड्रोन उड़ाया जाए. 12. विजय चौक, दिल्ली से 5 किलोमीटर के अंदर ड्रोन न उड़ाया जाए. 13. नैशनल पार्क, पब्लिक स्पॉट, वाइल्डलाइफ सेंचुरी आदि में ड्रोन न उड़ाया जाए. 14. सभी ड्रोन्स का लायबिलिटी इंश्योरेंस होना चाहिए.

ड्रोन उड़ाने से पहले लेनी होगी अनुमति...

ड्रोन जिनका वजन 250 ग्राम से 2 किलो के बीच होता है और कैमरा ऑपरेट करते हैं उन्हें उड़ाने के लिए कम से कम पुलिस की परमीशन की जरूरत होती है और जिनका वजन 2 किलो से ज्यादा होता है या फिर जो 200 फिट से ज्यादा ऊंचाई पर उड़ सकते हैं उन्हें लाइसेंस, फ्लाइट प्लान के साथ-साथ पुलिस परमीशन और कई मामलों में DGCA की परमीशन भी लगती है. 25 किलो से ऊपर वाले ड्रोन तो बिना DGCA की अनुमति के उड़ाए ही नहीं जा सकते.

ड्रोन, तकनीक, DGCA, सोशल मीडियाबिना अनुमति ड्रोन उड़ाना भारी पड़ सकता है

किसी पब्लिक प्लेस पर ड्रोन उड़ाने की परमीशन लेने के लिए पहले DGCA का फॉर्म भरना होगा. इसमें अपना नाम, कंपनी का नाम, किस लिए ड्रोन का इस्तेमाल करना है, क्यों फोटो या वीडियो चाहिए, ड्रोन कैमरा की डिटेल, ड्रोन की कमपनी, कब ड्रोन उड़ाया जाएगा ये सभी डिटेल देनी होती हैं. इसके लिए बाकायदा

DGCA से अनुमति लेने का फॉर्म..

क्यों भारत में ड्रोन्स पैदा कर सकते हैं मुश्किलें...

इसके बहुत ही आसान से उदाहरण हैं.

1. पहला कारण जिसकी वजह से भारत सरकार ने ड्रोन को गैर-सरकारी कामों के लिए बैन किया था वो ये था कि सरकार को लगता था कि ड्रोन्स आतंकी गतिविधियों में बहुत आसानी से इस्तेमाल किए जा सकते हैं और ये बिलकुल सही है. भारत जैसे देश में जहां कई जगह सुरक्षा में कमी देखी जा सकती है वहां ड्रोन का ऐसा इस्तेमाल हो सकता है.

2. दूसरा कारण है जगह. भारत जैसे देश में जहां लोग बहुत ज्यादा हैं और जगह बहुत कम वहां लोगों की प्राइवेसी ड्रोन से खतरे में पड़ सकती है. ये थ्री ईडियट्स वाली बात नहीं कि किसी की खिड़की पर ड्रोन ले गए और मजाक हो गया. यहां वाकई उड़ने वाले कैमरे का बहुत गलत इस्तेमाल हो सकता है और जब तक सरकार इसके ठोस नियम और नियमों का उलंघन करने वाले के लिए सज़ा नहीं तय कर देती इसका आम लोगों के लिए इस्तेमाल थोड़ा खतरनाक साबित हो सकता है.

3. नो फ्लाइंग जोन का गणित भी कुछ ऐसा ही है. कईं एयरपोर्ट, किसी रिहायशी इलाके आदि के पास अगर ड्रोन उड़ते हैं तो प्राइवेसी के साथ-साथ सुरक्षा को भी खतरा हो सकता है.

4. अगर ड्रोन को आम लोगों के लिए लीगल कर दिया जाता है तो भारत जैसे देश में बिजली के तारों की भी बड़ी समस्या हो सकती है. बच्चे अगर पतंग की जगह ड्रोन उड़ाते हैं तो यकीनन तार कटने का खतरा बढ़ सकता है. गावों में ही नहीं शहरों में भी बिजली के तारों की कोई खास व्यवस्था नहीं है.

5. पुलिस डिपार्टमेंट ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है, लेकिन इसे भी पूरी तरह से हाईटेक बनाने में वक्त लगेगा.

ये नियम भले ही बहुत अच्छे लगें, लेकिन इन्हें तोड़ना कोई बहुत मुश्किल बात नहीं है. भारत में ड्रोन तकनीक कई मामलों में बहुत मददगार साबित हो सकती है. चाहें अमेरिका की तरह ड्रोन डिलिवरी की बात करें, या फिर सुरक्षा मजबूती की, या फिर पुलिस या ट्रैफिक कंट्रोल की या सिर्फ फोटोग्राफी की ही बात करें. किसी भी विकसित देश में ऐसा नहीं है कि ड्रोन के इस्तेमाल पर ऐसी सीमा लगाई जाती हो, लेकिन अपनी जरूरतों के साथ-साथ भारत एकदम से ड्रोन अपना भी नहीं सकता.

DGCA की 2017 की पॉलिसी के अनुसार आम लोगों को अपने घर के आस-पास ड्रोन उड़ाने की परमीशन तो दे दी गई है और कुछ मामलों में कमर्शियल इस्तेमाल के लिए भी, लेकिन अभी भी इसका कोई ठोस नियम नहीं देखा जा सकता. उदाहरण के तौर पर डिलिवरी के लिए, फोटोग्राफी के लिए आदि ड्रोन्स का इस्तेमाल हो सकता है, लेकिन इसका प्रोसेस कैसे लागू होगा और क्या किया जाएगा इसके बारे में अभी कोई बात नहीं की गई है. उम्मीद है कि ड्रोन्स के मामले में सरकार जल्द नई पॉलिसी लेकर आएगी.

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