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Updated: 06 जून, 2016 07:25 PM
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पहले गूगल और आईफोन और अब फेसबुक, ये सभी आपकी बातचीत न सिर्फ सुन रहे हैं बल्कि उसे रिकॉर्ड भी कर रहे हैं! यानी आपकी प्राइवेसी में इन कंपनियों का दखल बढ़ता जा रहा है. हाल में आई मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ये सभी दिग्गज कंपनियां किसी न किसी रूप में अपने यूजर्स की बातचीत को सुन रही हैं.

हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ फ्लोरिडा की मास कम्युनिकेशन की प्रोफेसर केली बर्न्स ने पाया कि फेसबुक उनकी बातचीत सुन रहा है. केली के इस बयान से एक बार फिर से ये बहस छिड़ गई है कि क्या फेसबुक आपकी बातचीत सुनता है? अगर फेसबुक ऐसा करता है तो इसकी वजह क्या है? आइए जानें इसकी पूरी हकीकत.

क्या फेसबुक आपकी बातचीत सुनता है?

प्रोफेसर केली बर्न्स अफ्रीकन सफारी जाना चाहती थीं और वहां जीप की सवारी करने को लेकर बेहद उत्साहित थीं. केली ने ये बातें अपना फोन अपने हाथ में पकड़े हुए कही थीं. केली बर्न्स ये देखकर हैरान रह गईं कि यह बात बोलने के एक ही मिनट बाद उनके फेसबुक फीड की पहली स्टोरी सफारी के बारे में थी. और जल्द ही उनके फेसबुक पेज पर एक कार का ऐड आने लगा. जिसके बाद बर्न्स को यकीन हो गया कि फेसबुक एप हमारी बातचीत सुनता है और उसका इस्तेमाल विज्ञापन दिखाने में करता है. 

दरअसल फेसबुक पर ये आरोप लगता रहा है कि उसका एप यूजर्स के फोन माइक्रोफोन की तरह इस्तेमाल करता है और उसकी मदद से यूजर्स की बातचीत सुनकर उसका इस्तेमाल उन्हें संबंधित विज्ञापन दिखाने में करता है. अब सवाल ये कि क्या फेसबुक आपकी बातचीत सुनता है?

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क्या कहना है फेसबुक काः

फेसबुक का कहना है कि उसका एप कभीकभार अपने यूजर्स के फोन के आसपास की ऑडियो को सुनता है. लेकिन फेसबुक का कहना है कि ये फीचर ऑप्शनल है और फेसबुक कभी अपने यूजर की किसी बातचीत या ऑडियो को रिकॉर्ड नहीं करता है बल्कि वह इस फीचर के माध्यम से वह यह देखता है कि लोग क्या देख और सुन रहे हैं, जिसे वह स्टेटस अपडेट करते समय आपको सुझाता है.

फेसबुक ने कहा है, 'फेसबुक आपके फोन के माइक्रोफोन का इस्तेमाल आपको ऐड दिखाने या न्यूज फीड में आप क्या देखते हैं, इसमें परिवर्तन करने के लिए नहीं करता है. हाल में कुछ आर्टिकल्स में कहा गया है कि हम लोगों की बातचीत को सुनकर उन्हें संबंधित ऐड दिखाते हैं. यह सच नहीं है. हम लोगों को ऐड उनकी पसंद और दूसरी प्रोफाइन जानकारियों से दिखाते हैं- न कि आपकी बातचीत से.'

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फेसुबक ऐप के जरिए आपके आसपास के ऑडियो को सुन सकता है

फेसबुक का ये भी कहना है, 'हम आपके माइक्रोफोन तक तभी पहुंचते हैं जब आपने ऐसा करने के लिए ऐप परमिशन दे रखी हो और आप विशेष रूप से ऐसे फीचर का इस्तेमाल कर रहे हों जिसके लिए ऑडियो की जरूरत होती है. इसमें वीडियो रिकॉर्डिंग करना या दो साल पहले हमारे द्वारा लाया गया वह ऑप्शनल फीचर है जिसमें आप संगीत या अन्य ऑडियो को अपने स्टेट्स में अपडेट करते हैं शामिल है.'

कैसे काम करता है फेसबुक का ये फीचर?

फेसबुक का ये फीचर दो साल पहले लॉन्च किया गया था, जिसका नाम है 'ऑडियो रिकग्निशन'. फेसबुक ऐप में ऑडियो रिकग्निशन की इजाजत देने के बाद फेसबुक को आपके आसपास की ऑडियो सुनने का अधिकार मिल जाता है. मान लीजिए आपने अपने फेसबुक एप में इस फीचर को ऑन कर रखा है.

अब अगर आप कोई म्यूजकि सुन रहे हैं या मूवी देख रहे है और आप उसी समय इसे अपने फेसबुक स्टेटस पर अपडेट करना चाहते हैं. तो जैसे ही आप अपना स्टेटस खोलेंगे तो आपको उस गाने या मूवी का नाम लिखने की जरूरत नहीं पड़ेगी बल्कि फेसबुक खुद ही आपके आसपास के ऑडियो को सुनकर आपको उस गाने या मूवी के नाम के नाम के बारे में बता देगा.

इससे आपको उस मूवी या गाने का नाम टाइप नहीं करना पड़ेगा. वैसे तो ये फीचर सिर्फ स्टेट्स अपडेट को आसान और बेहतर बनाने के लिए लिया गया है. लेकिन अब इस इस फीचर पर विवाद उठ खड़ा हुआ है.

कैसे बंद कर सकते हैं ये फीचरः

लेकिन आपको अपनी प्राइवेसी को लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि फेसबुक एप का ये फीचर ऑप्शनल है. आप फेसबुक ऐप की सेटिंग में थोड़ बदलाव करके इस फीचर को बंद कर सकते हैं. जिसके बाद फेसबुक आपके द्वारा की जाने वाली किसी भी प्रकार की बातचीत को नहीं सुन पाएगा.

इसके लिए आपको अपने फेसबुक एप की सेटिंग्स में जाकर ऐप्स में जाना होगा, फिर गियर बटन में जाइए और फिर माइक्रोफोन में, उसके बाद टोगल में जाकर फेसबुक एप्स ऑफ कर दीजिए. इसका पाथ इस तरह है, सेटिंग्स>ऐप्स>गियर बटन>माइक्रोफोन>टोगल>फेसबुक एप्स ऑफ. ऐसा करके आप आसानी से फेसबुक को आपकी प्राइवेसी में खलल डालने से रोक सकते है.

हालांकि फेसबुक ने इस बात का खंडन कर दिया है कि वह यूजर्स की बातचीत सुनता है लेकिन ऐसे में सवाल ये है कि आखिर ऑडियो रिकग्निशन जैसे फीचर्स की जरूरत क्या है. अगर सच में फेसबुक लोगों की बातचीत नहीं सुनना चाहता तो ऐसे फीचर्स लाना उसकी मंशा पर सवाल जरूर खड़े करते हैं. इससे पहले भी गूगल और ऐप्पल जैसी कंपनियों पर भी यूजर्स की बातचीत सुनने की खबरें आ चुकी हैं.

गूगल का ओके गूगल और ऐप्पल के सिरी जैसे फीचर भी यूजर्स की ऑडियो को सुनकर सर्च रिजल्ट दिखाते हैं, जोकि जाहिर सी बात है कि यूजर की बातों को सुनकर ही किया जाता है. ऐसे में इन सभी कंपनियों से ये सवाल पूछा जाना चाहिए कि यूजर्स को ज्यादा सुविधाएं देने की होड़ में कहीं ये कंपनियां लोगों की निजता का हनन तो नहीं कर रही हैं.

इन कंपनियों को ये समझने की जरूरत है कि लोग सोशल मीडिया और अपने स्मार्टफोन का सुविधाजनक इस्तेमाल तो करना चाहते हैं लेकिन अपनी प्राइवेसी की कीमत पर बिल्कुल नहीं.

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