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Updated: 10 दिसम्बर, 2021 06:42 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई (BCCI) ने ऐलान कर दिया है कि रोहित शर्मा को 2023 वर्ल्ड कप तक वनडे फॉर्मेट का पूर्णकालिक कप्तान बने रहेंगे. टी20 वर्ल्ड कप के बाद रोहित शर्मा को पहले ही टी20 टीम का नया कप्तान बनाया जा चुका है. दरअसल, टीम इंडिया के पूर्व कप्तान विराट कोहली ने यूएई में खेले जा रहे आईपीएल के दूसरे चरण के दौरान ही घोषणा कर दी थी कि वह टी20 वर्ल्ड कप के बाद टी20 टीम की कप्तानी छोड़ देंगे. इसके बाद से ही माना जा रहा था कि जल्द ही विराट कोहली को वनडे की कप्तानी से भी 'भारमुक्त' किया जा सकता है. क्योंकि, टी20 की कप्तानी छोड़ने के ऐलान के समय विराट कोहली ने 'वर्कलोड' को लेकर एक बड़ा पत्र सोशल मीडिया पर सार्वजनिक किया था.

कहा जा रहा था कि बीसीसीआई की ओर से विराट कोहली पर कप्तानी छोड़ने को लेकर काफी दबाव बनाया गया था. हालांकि, बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली के आधिकारिक बयान के अनुसार, विराट कोहली खुद ही टी20 टीम की कप्तानी नहीं करना चाहते थे. उनसे टी20 टीम की कप्तानी छोड़ने को नहीं कहा गया था. वैसे, विराट कोहली से वनडे की कप्तानी वापस लिए जाने के बाद अब केवल टेस्ट मैचों में टीम इंडिया के लिए कप्तानी करेंगे. लेकिन, यहां भी संभावना बनी हुई है कि अगर विराट कोहली थोड़ा सा भी अड़ियल रवैया दिखाते हैं, तो टेस्ट की कप्तानी से भी हाथ धो बैठेंगे. खैर, ऐसा होगा या नहीं, ये आने वाला वक्त बताएगा. लेकिन, इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि विराट कोहली जैसों से कप्तानी क्यों छीनी जाती है?

BCCI snatched Captaincy from Virat Kohliविराट कोहली टीम इंडिया के कप्तान के तौर पर बुरी तरह से खेमेबाजी का शिकार हो गए थे.

पूरी टीम का परफॉर्मेंस उठा पाने में अक्षमता

विराट कोहली लंबे समय तक टीम इंडिया के सभी फॉर्मेट में टीम इंडिया के कप्तान रहे हैं. इस दौरान उन्होंने एक भी आईसीसी टूर्नामेंट अपने नाम नहीं किया. लेकिन, ऐसा भी नहीं है कि इस दौरान विराट कोहली ने कोई रिकॉर्ड्स अपने नाम नहीं किए. लेकिन, ये रिकॉर्ड एक टीम के तौर पर टीम इंडिया के किसी काम के नहीं थे. आसान शब्दों में कहा जाए, तो विराट कोहली अपनी कप्तानी के कार्यकाल में एक इंडिविजुअल खिलाड़ी के तौर पर काफी मजबूत हुए. लेकिन, टीम इंडिया की परफॉर्मेंस बहुत ज्यादा ऊपर नही उठी. एक कप्तान की जिम्मेदारी होती है कि वह अपनी परफॉर्मेंस के साथ ही साथी खिलाड़ियों पर भी काम करे, लेकिन विराट कोहली इसमें कामयाब नहीं हो पा रहे थे. ऐसा होता है कि कई बार टीम नतीजे देती रहती है, तो कप्तान की गलतियां छिप जाती हैं. लेकिन, बीते कुछ समय में कोई भी चीज विराट कोहली के पक्ष में नहीं थी. इस दौरान विराट कोहली और टीम के बीच तालमेल में कमी भी कई बार सामने आई. जिसकी वजह से कई टूर्नामेंट्स में पूरी टीम बुरी तरह से फ्लॉप रही. हालिया हुआ टी20 वर्ल्ड कप इस बात का सबसे बेहतरीन उदाहरण हो सकता है.

पूरी टीम के विश्वास पर खरे न उतर पाना

एक कप्तान के तौर पर ये आपकी जिम्मेदारी होती है कि आपको हर खिलाड़ी को साथ लेकर चलना है. टीम के कप्तान के रूप में कोई शख्स अपना ईगो दूसरों पर नहीं थोप सकता है. विराट कोहली भी टीम इंडिया के सीनियर खिलाड़ियों में से एक हो गए हैं. हालांकि, टीम इंडिया में अभी भी उनसे सीनियर खिलाड़ी हैं. इन खिलाड़ियों की अपनी विशेषताएं हैं. कई मौकों पर विराट कोहली की ओर से रविचंद्रन अश्विन और रोहित शर्मा समेत अन्य साथी खिलाड़ियों के लिए गलत अप्रोच रखी गई. जो कहीं न कहीं पूरी तरह से उनके खिलाफ गई. एक कप्तान के तौर पर विराट कोहली का व्यवहार हर खिलाड़ी के साथ एक जैसा होना चाहिए था. लेकिन, वह अपने साथी खिलाड़ियों के साथ अलग-अलग तरीके से व्यवहार करते थे. जिसकी वजह से वो पूरी टीम इंडिया के विश्वास पर खरे नहीं उतर पा रहे थे. इसी साल हुए वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में हार का ठीकरा दो सीनियर खिलाड़ियों पर थोप दिया गया.

अपने परफॉर्मेंस और टीम के परफॉर्मेंस में गैप आ जाना

बीते दो सालों से विराट कोहली एक भी शतक लगाने में कामयाब नहीं हो सके हैं. जिसकी वजह से उनके और टीम के परफॉर्मेंस में एक बड़ा गैप बन गया था. सबसे अहम बात ये भी रही कि ये गैप कम होने की बजाय हर सीरीज के साथ बढ़ता ही जा रहा था. इस परफॉर्मेंस गैप का असर कहीं न कहीं टीम पर भी पड़ता है. जिसकी वजह से विराट कोहली टीम इंडिया के खिलाड़ियों के साथ कोऑर्डिनेशन नहीं बना पा रहे थे. उदाहरण के तौर पर जब टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की परफॉर्मेंस भी इसी तरह कमजोर होने लगी, तो बीसीसीआई की ओर से उन्हें इशारा दे दिया गया. महेंद्र सिंह धोनी ने पहले अपनी परफॉर्मेंस सुधारने पर ध्यान दिया. लेकिन, सफलता न मिलने पर धीरे-धीरे क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से कप्तानी छोड़ दी. हालांकि, इस दौरान वह विकेटकीपर और फिनिशर के तौर पर टीम के साथ जुड़े रहे. ऐसे कई बड़े मुकाबले हुए जिनमें महेंद्र सिंह धोनी से एक कप्तानी पारी खेलनी की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन, वह ऐसा करने में कामयाब नहीं हो सके. जबकि, उनकी टीम का परफॉर्मेंस उनसे अच्छा रहा. कप्तान और टीम के परफॉर्मेंस में आने वाला ये गैप विराट कोहली पर भी लागू होता है. 

खेमे का हिस्सा बन जाना

विराट कोहली टीम इंडिया के कप्तान के तौर पर बुरी तरह से खेमेबाजी का शिकार हो गए थे. विराट कोहली की 'टीम इंडिया' में कुछ खास खिलाड़ियों पर निर्भरता बढ़ गई थी. कोई या कैसी भी परिस्थिति हो, इन खिलाड़ियों को आसानी से प्लेइंग इलेवन में जगह मिल जाती थी. लेकिन, अपनी परफॉर्मेंस को टीम इंडिया में शामिल होने के लिए इंप्रूव कर रहे और नतीजे देने वाले खिलाड़ियों को प्लेइंग इलेवन या टीम स्क्वाड से ही बाहर रख दिया जाता था. विराट कोहली को अपने करीबी साथी खिलाड़ियों और पूर्व कोच रवि शास्त्री की पसंद के खिलाड़ियों को प्लेइंग इलेवन में लेने के लिए जाना जाने लगा. इंग्लैंड दौरे पर गई टीम इंडिया में रविचंद्रन अश्विन को चारों मैच में बाहर रखा गया. कुलदीप यादव सरीखे युवा 'चाइना मैन' बॉलर को बेंच पर बैठाए रखा गया. 2019 के वर्ल्ड कप के लिए टीम इंडिया में नहीं चुने गए मध्यक्रम के बल्लेबाज अंबाती रायडू ने क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से इस्तीफा देने के साथ ही बीसीसीआई चयन समिति पर थ्रीडी चश्मे वाला तंज कसा था. आसान शब्दों में कहा जाए, तो आईपीएल का असर टीम इंडिया के प्लेइंग इलेवन और स्क्वाड चयन में भी नजर आने लगा था.

अनावश्यक कंट्रोवर्सी में पड़ना

विराट कोहली के हाथों से वनडे की कप्तानी जाने के मामले जो सबसे बड़ी उनके खिलाफ गई, वो थी अनावश्यक कंट्रोवर्सी में पड़ने की आदत. बीते कुछ सालों में विराट कोहली की आक्रामकता क्रिकेट की जगह अन्य जगहों पर दिखने लगी थी. सोशल मीडिया पर हुई मोहम्मद शमी की ट्रोलिंग के मामले में कुछ दिनों बाद विराट कोहली ने टीम इंडिया में एकजुटता दिखाने का फैसला लिया. लेकिन, ट्रोलर्स के फेक अकाउंट्स के बारे में जानकारी सामने आने के बाद शायद ये जरूरी नहीं था. वहीं, टी20 फॉर्मेट की कप्तानी छोड़ने के ऐलान के समय भी विराट कोहली के पत्र ने सोशल मीडिया पर बेवजह का बखेड़ा खड़ा कर दिया था. आसान शब्दों में कहा जाए, तो बेवजह कंट्रोवर्सी में पड़ने की आदत ने विराट कोहली की कप्तानी जाने में एक बड़ी भूमिका निभाई. जबकि, कोहली के सामने सचिन तेंडुलकर जैसा एक बड़ा उदाहरण सामने था.

अपने 25 सालों के क्रिकेटिंग करियर में सचिन तेंडुलकर हमेशा कंट्रोवर्सी से दूर रहे. टीम इंडिया के कप्तान के तौर पर जब उन्हें लगा कि कप्तान की भूमिका का असर उनके खेल पर पड़ रहा है, तो उन्होंने बिना समय गंवाए कप्तानी छोड़ दी. सबसे बड़ी बात ये है कि क्रिकेट का भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंडुलकर से कप्तानी छोड़ने के लिए बीसीसीआई की ओर से कोई इशारा नहीं किया गया था. बल्कि, तेंडुलकर ने यह फैसला खुद ही लिया था. कप्तानी छोड़ने के बाद भी तेंडुलकर लंबे समय तक टीम इंडिया का हिस्सा बनकर क्रिकेट खेलते रहे. लेकिन, कोहली ऐसा नहीं कर सके. बीसीसीआई खिलाड़ियों को मैनेज करने वाला एक बोर्ड है. अगर विराट कोहली की ओर से इसी तरह का रवैया आगे भी जारी रहा, तो एक खिलाड़ी के तौर पर भी उनके लिए टीम इंडिया में जगह बचा पाना मुश्किल हो जाएगा.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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