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Updated: 10 सितम्बर, 2018 08:12 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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साल का आखिरी ग्रैंडस्लैम टेनिस टूर्नामेंट यूएस ओपन इस बार काफी विवादों से घिरा रहा. 23 बार ग्रैंड स्लैम का खिताब जीत चुकीं सेरेना विलियम्स का हार जाना शायद इतना मायने न रखे जितना वो विवाद मायने रखता है जो इस टूर्नामेंट के अंत में उनके नाम से जुड़ गया.

सेरेना विलियम्स का महिला सिंगल्स फाइनल में अंपायर कारलस रामोस के साथ विवाद हुआ जिसके बाद सेरेना पर 17,000 डॉलर का जुर्माना लगाया गया.

सेरेना पर 17,000 डॉलर का जुर्माना क्यों?

खेल के दौरान बाहर बैठे सेरेना के कोच ने उन्हें कोई इशारा किया जिसके लिए अंपायर ने सेरेना को वॉर्निंग दी. फिर सैरेना अंपायर को ये बताने लगीं कि- '' मेरे कोच ने केवल थम्सअप का इशारा किया था, हमारे बीच कोई कोड नहीं था. मैंने अपने जीवन में कभी चीटिंग नहीं की है. जीत के लिए चीटिंग करने से बेहतर मैं हारना पसंद करूंगी.'' उन्होंने अंपायर से उनसे माफी मांगने के लिए भी कहा.

serena williamsसेरेना पर चीटिंग का आरोप लगाया गया था

जब अंपायर से वो ये सब कह रही थीं, वहां दर्शकों ने उन्हें सपोर्ट नहीं किया वो उन्हें हूट करने लगे. सेरेना ज्यादा परेशान दिखाई देने लगीं और उनसे एक सर्विस छूट गई और गुस्से में उन्होंने अपना टेनिस रैकेट जमीन पर पटककर तोड़ डाला.

देखिए कैसे रैकेट पर गुस्सा हुईं सेरेना

इसके लिए उनपर एक पेनाल्टी पॉइंट डाला गया. उन्होंने अंपायर से कहा कि-  उनसे एक पॉइंट चुराया गया है. बहस करते वक्त सेरेना ने गुस्से में उन्हें 'चोर' और 'झूठा' भी कहा. गौरतलब है कि जापान की नाओमी ओसाका को पांचवें सेट में यही एक अंक दिया गया था जो सेरेना की हार की वजह बना.

इस तरह कोच की मदद लेने के लिए 4000 डॉलर, रैकेट तोड़ने के लिए 3000 डॉलर और अंपायर के साथ गलत व्यवहार करने के लिए 10000 डॉलर का जुर्माना लगाया गया.

हालांकि ये जो कुछ भी हुआ उसने फाइनल को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया था. और जो खिताब 24वीं बार भी सेरेना को मिलता वो नाओमी को मिल गया. सेरेना ने बहुत सहजता से अपनी हार स्वीकार की लेकिन अपने साथ हुए इस व्यवहार को उन्होंने सेक्सिस्ट कहा. उनका कहना था कि वो एक महिला हैं इसलिए उनके साथ इस तरह का क्रूरतापूर्ण व्यवहार किया गया. जो सही नहीं है. उनका कहना था कि- वो महिला अधिकारों और समानता के लिए लड़ती आई हैं, और हमेशा लड़ती रहेंगी, अपनी बेटी के लिए, बाकी महिला खिलाड़ियों के लिए.

रोमोस ने 2016 में भी सेरेना की बहन वीनस पर भी कोच की मदद लेने का आरोप लगाया था.

सेरेना का इस तरह गुस्से में चिल्लाना और बार-बार ये कहना कि मैंने चीटिंग नहीं की है, लोगों का मन नहीं बदल पाया क्योंकि उनके कोच Patrick Mouratoglou ने खुद सेरेना को इशारा करने की बात स्वीकार की थी.

क्या सेरेना को टार्गेट किया जा रहा था?

सेरेना हमेशा से एक मजबूत और कामयाब महिला रही हैं. वो हमेशा जीतीं लेकिन उनकी सारी उपलब्धियों के वावजूद वो जब मां बनने के बाद लौटीं तो वो पीड़ित की छवि के साथ लौटीं. यकीनन मां बनने के बाद उनका दोबारा फील्ड पर लौटना काफी मुश्किल भरा था. इसी बीच उनके रंग को लेकर भी उन्हें काफी सुनना पड़ा. उनपर अनुचित ड्रग टेस्टिंग हुई और अपने शरीर पर उन्हें न सिर्फ शर्मनाक टिप्पणियां सुननी पड़ीं, बल्कि उनकी ब्लड क्लॉट की समस्या के लिए जो कैटसूट बनवाया गया था, उसे भी बैन कर दिया गया था. देखा जाए तो एक चैंपियन के साथ इतना कुछ होना बेहद अजीब है. ऐसा लगा जैसे उन्हें टार्गेट किया जा रहा हो. लेकिन जो कुछ भी इस दौरान उनके साथ हुआ उनके खेल पर उसका असर भी दिखाई दे रहा था. एक चैंपियन कभी खुद की हार स्वीकार नहीं कर पाता. सेरेना भी नहीं कर पा रही थीं, खुद पर चीटिंग के इल्जाम को वो सह नहीं सकीं, और ऐसे में उनका गुस्सा कुछ इस तरह बाहर आया कि उन्होंने अंपायर को ही चोर और झूठा कह डाला. 

क्या ये वजह इतनी बड़ी थी?

हालांकि ऐसा नहीं है कि मैच के दौरान कुछ अनोखा हुआ हो, अक्सर खिलाड़ियों को उनके कोच इशारे करते हैं और अंपायर उन्हें इतनी गंभीरता से लेते भी नहीं हैं. लेकिन सेरेना के मामले में अंपायर ने उन इशारों को ज्यादा ही गंभीरता से ले लिया. और बात इतनी बढ़ गई. इसे सेरेना के खिलाफ अनुचित व्यवहार कहा गया. और जो लोग टूर्नामेंट पर डबल स्टैंडर्ड के आरोप लगाते आ रहे थे, उन्हें एक और मौका मिल गया अपनी बात सिद्ध करने का.

इस मामले में कुछ लोग सेरेना के साथ हैं कुछ अंपायर के. लेकिन एक बात जो साफ दिखाई देती है वो है क्रूरता जो दुनिया की सबसे अच्छी टेनिस प्लेयर के साथ की गई. ये तस्वीर ही अपने आप में टेनिस के डबल स्टैंडर्ड की पूरी कहानी कहती है. ऊपर पुरुष अंपायर और नीचे अश्वेत महिला सेरेना.

serena williamsएक तस्वीर जो सारी कहानी खुद कहती है

अपने गुस्से के बदले सेरेना को 17 हजार डॉलर भरने पड़ेंगे. और ऐसा करके टेनिस ऑथॉरिटी भले ही संतोष पा ले, लेकिन वो पक्षपात साफ दिखाई देता है क्योंकि इतिहास गवाह है पुरुष खिलाड़ियों के गुस्से और उनके नखरों का, जिन्होंने कोर्ट में गुस्सा भी दिखाया और उन्हें ईनाम भी मिला. जॉन मैकएनोर, आन्द्रे अगासे और जिमी कॉनॉर्स ऐसे ही कुछ उदाहरण हैं. जेम्स ब्लेक तो सेरेना से भी बहुत ज्यादा कह चुके हैं, लेकिन उनपर कोई जुर्माना नहीं लगाया गया. पुरुषों का गुस्सा बर्दाश्त हो जाता है, और गलत भी नहीं लगता, लेकिन एक महिला का चैंपियन होना स्वीकार्य है, लेकिन उसका गुस्सा बर्दाश्त नहीं कर सकते.

बिली जीन कहती हैं- ''जब एक महिला इमोशनल होती है, तो वह 'हिंसक' होती है और उसके लिए उसे दंडित किया जाता है. लेकिन जब कोई पुरुष वही करता है, तो उसे 'स्पष्टवादी' कहा जाता है और उसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं होती."

सेरेना विलियम्स को 17 हजार डॉलर देने पड़ेंगे इसका दुख तो किसी को नहीं है क्योंकि सेरेना के पास पैसों की कमी नहीं है, दुख इस बात का है कि उनके ऊपर एक ही खेल में एक के बाद एक तीन जुर्माने लगाए गए. उनके साथ जो कुछ भी हुआ वो साबित करता है कि टेनिस के खेल में अब भी महिलाओं खासकर अश्वेत महिलाओं के लिए राहें काफी मुश्किलों भरी हैं. और समानता की इस लड़ाई में महिलाओं को अभी बहुत कुछ देखना बाकी है. यूएस ओपन भले ही नाओमी ओसाका ने जीत लिया हो, लेकिन सेरेना तो लोगों के दिल जीत चुकी हैं, जो किसी भी हार पर भारी है.

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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