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टेस्ट मैच की नई रोमांचक दुनिया में क्रिकेट प्रेमियों का स्वागत है
ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच खेली जाने वाले Ashes series के पहले टेस्ट मैच से वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप का आधिकारिक रूप से शंखनाद होगा. उसके बाद टेस्ट मैच खेलने वाली टॉप की 9 टीमों में से प्रत्येक टीम को अगले दो साल तक छः-छः सीरीज खेलनी होंगी.
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अब से लगभग एक दशक पहले आईसीसी (ICC) ने क्रिकेट के सबसे सबसे पुराने और सबसे लम्बे फॉर्मेट टेस्ट क्रिकेट को बचाने के लिए वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप कराने की योजना बनाई थी. आईसीसी का मानना था कि टेस्ट क्रिकेट में भी एक विश्व चैंपियनशिप जैसी प्रतियोगिता होने पर लोगों की दिलचस्पी टेस्ट क्रिकेट में बनी रहेगी और साथ ही यह आईसीसी के उस लक्ष्य प्राप्ति में भी मदद करेगी, जिसमें आईसीसी हर फॉर्मेट के लिए एक विश्वकप जैसा टूर्नामेंट कराना चाहता है. अब आखिरकार 9 सालों के लम्बे इंतजार के बाद आईसीसी की यह योजना मूर्त रूप धारण करने जा रही है. आने वाले 1 अगस्त से जून 2021 तक हरेक टेस्ट मैच (कुछ मैचों को छोड़ कर) टेस्ट चैम्पियनशिप का हिस्सा होंगे. और इस दो साल की अवधि के बाद जो भी दो टीम अंकतालिका में ऊपरी दो स्थानों पर होगी, उन्हें जून 2021 में लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर टेस्ट चैम्पियनशिप का फ़ाइनल खेलने का मौका मिलेगा और इस मैच की विजेता टीम के सिर पर टेस्ट चैंपियनशिप जीतने का ताज सजेगा.
ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच खेली जाने वाले एशेज सीरीज (Ashes series) के पहले टेस्ट मैच से वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप का आधिकारिक रूप से शंखनाद होगा. उसके बाद टेस्ट मैच खेलने वाली टॉप की 9 टीमों में से प्रत्येक टीम को अगले दो साल तक छः-छः सीरीज खेलनी होंगी, जिसमें तीन सीरीज अपने घरेलू मैदान पर, जबकि 3 सीरीज अपने देश से बाहर खेलनी होंगी. आईसीसी ने सभी सीरीज के लिए 120 अंकों का प्रावधान रखा है, फिर चाहे सीरीज में दो टेस्ट मैच खेले जाएं या फिर 5. पांच टेस्ट की सीरीज में एक मैच के 24 अंक होंगे. चार टेस्ट की सीरीज में एक मैच के 30 अंक, तीन टेस्ट की सीरीज में एक मैच में 40 और दो टेस्ट की सीरीज में एक मैच के 60 अंक दिए जाएंगे. इस तरह जिन दो टीमों के सबसे ज्यादा अंक होंगे, वो टीमें फाइनल में खेलेंगी.
ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच खेली जाने वाले एशेज सीरीज के पहले टेस्ट मैच से वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप का आधिकारिक रूप से शंखनाद होगा.
भारतीय टीम अपने टेस्ट चैम्पियनशिप की शुरुआत वेस्टइंडीज के खिलाफ 2 टेस्ट मैचों की सीरीज के साथ करेगी. यह टेस्ट सीरीज वेस्टइंडीज में ही खेली जाएगी. इसके बाद भारतीय टीम अक्टूबर-नवंबर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 3 टेस्ट मैचों की सीरीज, नवंबर में बांग्लादेश के खिलाफ दो मैचों की सीरीज भारतीय धरती पर खेलेगी. इसके बाद भारतीय टीम फ़रवरी 2020 में न्यूज़ीलैण्ड के खिलाफ न्यूज़ीलैण्ड की धरती पर ही 2 टेस्ट मैच की सीरीज खेलेगी, जबकि दिसंबर 2020 में टीम ऑस्ट्रेलिया में चार टेस्ट मैचों की सीरीज खेलेगी. भारतीय टीम इस टेस्ट चैम्पियनशिप की आखिरी सीरीज जनवरी से मार्च 2021 के बीच भारतीय धरती पर ही खेलेगी जब इंग्लैंड की टीम 5 टेस्ट मैचों की सीरीज खेलने के लिए भारत का दौरा करेगी. इस प्रकार भारतीय टीम इस चैम्पियनशिप में 18 टेस्ट मैच खेलेगी.
हालांकि, भले ही टेस्ट चैम्पियनशिप की शुरुआत इस साल हो रही है मगर आईसीसी को इस चैम्पियनशिप का आइडिया 2009 में आ गया था. एक साल के अंदर ही साल 2010 में इसे स्वीकृति दे दी गई. शुरुआत में आईसीसी चाहती थी कि 2013 में इसकी शुरुआत हो जाए और इसके लिए आईसीसी एकदिवसीय मैचों की चैंपियंस ट्रॉफी को बंद कर दिया गया, मगर समीकरण ना बन पाने के कारण टेस्ट चैम्पियनशिप को 2017 तक के लिए टाल दिया गया मगर तब भी बात नहीं बनी. आईसीसी 2017 तक टेस्ट चैम्पियनशिप को भी एक टूर्नामेंट की शक्ल में कराना चाहती थी, जिसमें बकायदा सेमिफाइनल का भी प्रावधान था. हालांकि, आईसीसी इसे तब नहीं करा सकी. अब आखिरकार आईसीसी टेस्ट चैम्पियनशिप को मूर्त रूप देने में कामयाब हुई है, लेकिन अब यह किसी टूर्नामेंट की शक्ल में नहीं है.
यह सही है पिछले कुछ सालों में T20 क्रिकेट के बढ़ते प्रभाव के कारण टेस्ट क्रिकेट के फॉर्मेट में लोगों की रुचि कम हो गयी है. हालांकि, लोगों की रुचि कम होने के पीछे टेस्ट मैचों में बेमेल देशों के बीच क्रिकेट होना भी रहा है. कई बार टेस्ट मैचों में कोई टीम एक आध दिनों में ही हथियार डालते दिखी है. टेस्ट मैचों के साथ एक समस्या टेस्ट मैचों में तैयार पिचों में भी देखने को मिली है, जहां कभी कभी पिच पर तो इतनी जान होती है कि गेंदबाज को खेलना ही मुश्किल हो जाता है तो किसी पिच पर बल्लेबाज रनों के अम्बार लगाते नहीं थकते. अब इसे T20 क्रिकेट का बढ़ता प्रभाव ही कहें कि वर्तमान के बल्लेबाजों के विकेट पर टिकने के माद्दे में भी कमी आयी है और साथ ही बल्लेबाजों की तकनीक में भी. ऐसी सूरत में आईसीसी की क्रिकेट के सबसे पुराने फॉर्मेट को बचाने के लिए की गयी कोशिश वाकई प्रशंसनीय है. हालांकि, अभी भी इस टेस्ट चैम्पियनशिप के फॉर्मेट में कुछ कमियां हैं, जिसे समय के साथ दुरुस्त करने की जरूरत है, मगर फिर भी आईसीसी का यह सही दिशा में उठाया गया कदम है. इससे ना केवल क्रिकेट के सबसे बेहतर फॉर्मेट को बचाने में मदद मिलेगी, बल्कि उस तकनीक को भी बचाने में मदद मिलेगी, जिसके लिए क्रिकेट को जाना जाता है.
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