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Updated: 27 मार्च, 2017 06:28 PM
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सचिन रमेश तेंडुलकर. क्रिकेट के भगवान को कौन नहीं जानता. उनके करियर रिकॉर्ड में 463 मैचों में 49 एकदिवसीय शतकों का आंकड़ा दर्ज है. लेकिन एकदिवसीय शतकों का ये आंकड़ा गलत है. असलियत तो ये है कि सचिन ने सारे शतक सिर्फ 385 मैचों में बनाए हैं. इसके पहले 78 वन-डे मैचों में तेंडुलकर के नाम एक भी शतक नहीं था. दिसंबर 1989 में सचिन ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया. लेकिन तीन अंकों का स्कोर पाने के लिए सचिन को 1989 से सितंबर 1994 तक पांच सालों का लंबा इंतजार करना पड़ा.

अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर सचिन को शतक के लिए इतना लंबा इंतजार करना पड़ा?

sachin-2_650_032717055002.jpgपहले शतक के लिए करना पड़ा 78 मैचों का इंतजार

दरअसल, इस समय तक सचिन बल्लेबाजी क्रम में 5वें या 6ठे नंबर पर बैटिंग करने आते थे. सचिन जब भी बल्लेबाजी करने के लिए क्रीज पर आते तो मुश्किल से 5-6 ओवर ही बचे होते थे. इस नंबर पर बैटिंग करने वाले के पास गेंदबाज़ों की धुनाई करने के लिए तो ऑप्शन होता है लेकिन खुद के स्टैट्स को बढ़ाने वाले रनों का अंबार खड़ा करने के लिए ऑप्शन नहीं होता. इसी कारण से सचिन का स्कोर 30, 40, 50 या 60 तो होता था पर शतक नहीं बना पाते थे.

भारतीय टीम के तत्कालीन कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन इस बात को समझ रहे थे और सचिन के बड़े शॉट खेलने की प्रतिभा से भी वो वाकिफ थे. इसलिए अजहर एक बार सचिन को सलामी बल्लेबाज के रूप में आजमाना चाहते थे. न्यूज़ीलैंड के खिलाफ भारतीय टीम विदेशी दौरे पर थी. एक मैच में भारतीय टीम के ओपनर नवजोत सिंह सिद्धू गर्दन में मोच की वजह से बाहर बैठे और बस, इतिहास के पलटने का दिन आ गया. वो 27 मार्च 1994 का दिन था, जब लिटिल मास्टर ने पहली बार ओपनिंग की.

sachin-azg=har_650_032717055034.jpgअजहर चाहते थे ओपनिंग कराना

ओपनिंग के लिए खुद तेंडुलकर भी बेकरार थे. सचिन कहते हैं- मैं गेंदबाजों पर हमला करने की क्षमता रखता था और वन-डे मैचों में शॉट खेलने के लिए पहले 15 ओवरों में फील्ड रेसट्रिक्शन का फायदा उठाना होता है. मुझे इस बात का यकीन था बस मुझे एक मौका चाहिए था.'

इस मैच में न्यूजीलैंड ने पहले बल्लेबाजी करके सिर्फ 142 रन बनाए थे. और पहली बार सलामी बल्लेबाज के तौर पर सचिन ने पारी की शुरूआत की थी. इस मैच में उन्होंने कीवी गेंदबाजी की धज्जियां उड़ा दीं. लिटिल मास्टर ने सिर्फ 49 गेंद में 82 रन बनाए. उनकी इस धमाकेदार पारी में 15 चौके और 2 छक्के शामिल थे.

आज के आईपीएल दौर के आदि हो चुके युवाओं के लिए ये स्कोर धमाकेदार नहीं होगा लेकिन वो 90 के दशक का था. इस दौर में सलामी बल्लेबाजों को पिच पर सेटल होने में ही समय लग जाता था. लेकिन सचिन को तो क्रिकेट की दुनिया का भगवान बनना था, तो सारे नियम-कायदे उनके लिए नहीं थे. उन्होंने किवी ऑलराउंडर गैविन लार्सन के पहले ओवर में ही 3 चौके और एक छक्का लगा कर अपना इरादा साबित कर दिया था. लार्सन अपनी रफ्तार और कम रनों के लिए जाने जाते थे लेकिन उनके ओवर का धागा सचिन ने ही खोल डाला.

untitled-8_032717055334.jpgन्यूजीलैंड को घर में ही किया ढेर

सचिन का 82 का स्कोर 70 मैचों में खेले गए उनके सबसे ज्यादा स्कोर से बस दो कम था. इस मैच के बाद सिद्दू तो फिट होकर वापस आ गए पर ओपनर की जगह अब सचिन के लिए फिक्स हो चुकी थी.

नौ मैचों के बाद 1994 के सितंबर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सचिन ने अपना पहला शतक बनाया और उसके बाद कभी वापस मुड़कर नहीं देखा. अपने वन-डे करियर में सचिन ने 49 शतकों के साथ 18,426 रन बनाए. यही नहीं वन-डे मैचों में दोहरा शतक बनाने वाले भी पहले बल्लेबाज बने. गेंदबाजों की चुटकियों में धज्जियां उड़ाने वाले सचिन को विश्व के महान बल्लेबाज बनने की नींव ऑकलैंड की उस एक पारी में पड़ी थी. 1994 के उस मैच के पहले तक वो बाकी खिलाड़ियों की तरह ही थे लेकिन गॉड बनने की प्रक्रिया इसके बाद ही शुरु हुई.

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