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Updated: 07 अगस्त, 2021 03:03 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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टोक्यो ओलंपिक 2021 (Tokyo Olympics 2021) में भारत का अब तक का सफर काफी अच्छा रहा है. खिलाड़ियों ने पदक भी जीते हैं और करोड़ों लोगों का दिल भी. बहुत हद तक संभावनाएं हैं कि इस बार के टोक्यो ओलंपिक के बाद शायद भारतीय लोगों में खेलों के प्रति नजरिया बदल जाएगा. हॉकी, मुक्केबाजी, कुश्ती, बैडमिंटन और वेट लिफ्टिंग में भारत के खिलाड़ियों के बेहतरीन प्रदर्शन को देखते हुए कहा जा सकता है कि देश में अब केवल क्रिकेट के लिए ही दीवानगी देखने को नहीं मिलेगी. टोक्यो ओलंपिक के खत्म होने में कुछ ही दिन बाकी हैं. जिसमें भारत ट्रैक-एंड-फील्ड में अपना पहला पदक भी जीत सकता है. भारत की ओर से पहला ओलंपिक खेल रहे नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) जेवलिन थ्रो (Javelin Throw) यानी भाला-फेंक के क्वालिफाइंग राउंड में पहले स्थान पर रहे हैं. हो सकता है कि नीरज चोपड़ा के थ्रो से टोक्यो ओलंपिक में भारत को अपना पहला स्वर्ण पदक भी मिल जाए. 7 अगस्त को होने वाले फाइनल मुकाबले में उनका सामना विश्व के कई धुरंधर जेवलिन थ्रोअर्स से होना है. आइए जानते हैं कि कौन हैं नीरज चोपड़ा.

24 दिसंबर 1997 को हरियाणा के खांद्रा गांव में जन्मे नीरज चोपड़ा किसान परिवार से आते हैं.24 दिसंबर 1997 को हरियाणा के खांद्रा गांव में जन्मे नीरज चोपड़ा किसान परिवार से आते हैं.

गोल-मटोल हरियाणवी छोरे से स्टार एथलीट बनने का सफर

24 दिसंबर 1997 को हरियाणा के खांद्रा गांव में जन्मे नीरज चोपड़ा किसान परिवार से आते हैं. उनके पिता एक छोटे से किसान हैं. 11 साल की उम्र में ही नीरज मोटापे का शिकार हो गए थे. उनका बढ़ता वजन देख घरवालों ने मोटापे को कम करने के लिए नीरज को खेल-कूद का सहारा लेने की सलाह दी. जिसके बाद वो वजन कम करने के लिए पानीपत के शिवाजी स्टेडियम में जाने लगे. एक आम भारतीय लड़के की तरह उनकी भी पहली पसंद क्रिकेट ही था. लेकिन, स्टेडियम में जेवलिन थ्रो की प्रैक्टिस करने वाले खिलाड़ियों को देखकर उनके मन में आया कि मैं इसे और दूर तक फेंक सकता हूं. यही से नीरज चोपड़ा के मन से क्रिकेट आउट हो गया और जेवलिन थ्रो ने एंट्री की.

शिवाजी स्टेडियम में कुछ समय तक अभ्यास करने के बाद जेवलीन थ्रो में ही करियर बनाने का सपना देखने वाले नीरज चोपड़ा ने पंचकूला के ताऊ देवी लाल स्टेडियम का रुख कर लिया. स्थानीय स्तर पर होने वाली प्रतियोगिताओं में नीरज का शानदार प्रदर्शन शुरू हो चुका था. 2012 में हुई एथलेटिक्स चैंपियनशिप ने नीरज चोपड़ा ने कमाल का प्रदर्शन करते हुए नए रिकॉर्ड के साथ गोल्ड मेडल जीता था. लेकिन, 2013 में यूक्रेन में आयोजित IAAF वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप में उन्हें तगड़ा झटका लगा. इस इवेंट में नीरज चोपड़ा 19वें स्थान पर रहे थे. लेकिन, उन्होंने हार नहीं मानी और इस दौरान अपनी फिटनेस के साथ ही टेक्निक पर जमकर फोकस किया.

2015 में चीन में हुई एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में नीरज चोपड़ा अपने पिछले प्रदर्शन से उबरने की कोशिश करते दिखे और 9वें स्थान पर रहे. लेकिन, 2016 में ही उन्होंने कमाल कर दिया. साउथ एशियन गेम्स में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय गोल्ड मेडल जीतने के बाद उन्होंने एशियन जूनियर चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल हासिल किया. 2016 में ही नीरज चोपड़ा ने IAAF अंडर-20 वर्ल्ड चैंम्पियनशिप में 86.48 मीटर दूर भाला फेंककर गोल्ड जीता था. 86.48 मीटर दूर जेवलिन थ्रो कर नीरज ने अंडर-20 स्तर पर नया रिकॉर्ड भी बनाया था. इसके बाद उन्होंने 2018 के एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीता था. हालांकि, 2018 का सीजन खत्म होने से पहले हुई IAAF डायमंड लीग में वो पोडियम फिनिश नहीं कर सके.

2018 जितना अच्छा रहा, 2019 उतना ही खराब

2018 में नीरज ने अपने बेहतरीन खेल से दो स्वर्ण पदक भारत की झोली में डाले. लेकिन, सीजन खत्म होने के साथ ही उनकी कोहनी चोटिल हो गई. जिसकी वजह से उन्हें उस साल हुए कई बड़े इवेंट्स में शामिल होने से पीछे होना पड़ा. 2019 का पूरा साल उनके चोटिल होने की वजह से खराब हो गया.

टोक्यो ओलंपिक में शानदार वापसी

चोट से उबरकर शानदार वापसी करते हुए नीरज चोपड़ा ने इसी साल मार्च में हुई इंडियन ग्रांड प्रिक्स में 88.07 मीटर की दूरी तक जेवलिन थ्रो किया था. नीरज चोपड़ा ने इस पर्सनल बेस्ट थ्रो के साथ नेशनल रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया था. टोक्यो ओलंपिक में नीरज ने अपने पहले ही प्रयास में 86.65 मीटर जेवलिन थ्रो कर फाइनल में जगह बना ली है. अगर वह अपने नेशनल रिकॉर्ड को ही दोहरा देते हैं, तो संभावना है कि मेडल टैली में भारत के हिस्से एक और पदक आ जाएगा. हालांकि, फाइनल मुकाबले में नीरज चोपड़ा के सामने जर्मनी के जोहानस वेटर बड़ी चुनौती होंगे. जोहानस वेटर को जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल का प्रबल दावेदार माना जा रहा है. वेटर का पर्सनल बेस्ट थ्रो पोलैंड में आयोजित वर्ल्ड एथेलेटिक्स कॉन्टिनेंटल टूर गोल्ड इवेंट में 97.76 मीटर था. हालांकि, टोक्यो ओलंपिक के क्वालिफाइंग राउंड में वे नीरज से पिछड़ गए हैं. अब देखना है कि क्या ऐसा उनके फॉर्म में न होने की वजह से हुआ, या ये उनकी रणनीति है.

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लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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