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Updated: 07 जुलाई, 2015 06:40 PM
देबदत्त भट्टाचार्या
देबदत्त भट्टाचार्या
  @debdutta.bhattacharjee.9
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हम सभी अर्जेंटना के स्टार खिलाड़ी लियोनेल मेसी को पसंद करते हैं. क्या इसमें रत्ती भर भी शक है कि वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी नहीं हैं? ज्यादातर जवाब 'नहीं' में ही मिलेंगे. आखिरकार इस जादुई फुटबाल खिलाड़ी ने वर्षों से हमें अपना दीवाना बनाया हुआ है. गेंद पर गजब का नियंत्रण, विरोधी खिलाड़ियों को छकाने की बेहतरीन क्षमता, पासिंग और इस सबसे ऊपर उनके दमदार गोल. यह सभी मेसी की ऐसी खासियत हैं जिसे देखने के लिए दुनिया भर के फुटबाल प्रेमी कितना भी खर्च करने को तैयार रहते हैं.

मेसी ने ऐसे ही चार बार साल के सर्वश्रेष्ठ फुटबाल खिलाड़ी का खिताब नहीं जीता है. वह स्पेन के फुटबाल लीग ला लीगा में सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी हैं. साथ ही चैम्पियंस लीग में भी सबसे ज्यादा गोल करने के मामले में चिर-प्रतिद्वंद्वी पुर्तगाल के क्रिस्टयानो रोनाल्डो को कड़ी टक्कर देते नजर आते हैं. बात केवल इसकी नहीं है कि उन्होंने कितने गोल किए. उन्होंने किस अंदाज में यह सभी गोल किए, यह बात उन्हें सबसे अलग खड़ा करती है. कोई दो राय नहीं कि मेसी के बेजोड़ खेल के हम सभी कायल हैं.

मैं भले ही इस बारे में बात करना पसंद नहीं करूं लेकिन इस मुद्दे को छेड़ना जरूरी है. तमाम खूबियों के बावजूद क्या मेसी को 'महानतम' खिलाड़ियों में शामिल किया जा सकता है? कार्ल लुइस, मैजिक जॉनसन, पेले, मोहम्मद अली और डिएगो माराडोना वे नाम हैं, जिन्होंने अपने-अपने खेल में ऐसे नायाब मुकाम हासिल किए हैं जिसके बारे में हम और आप केवल सपने ही देख सकते हैं.

कोपा अमेरिका टूर्नामेंट के फाइनल में शनिवार को चिली से अर्जेंटीना की हार ने एक बार फिर मेसी पर कई सवाल खड़े कर दिए. मौजूदा दौर के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में शुमार मेसी क्या सर्वकालिक महान खिलाड़ियों में भी शामिल हो सकेंगे? कोपा अमेरिका एक और बड़ा टूर्नामेंट रहा जहां बड़ी उम्मीदों के बावजूद मेसी अपने देश को खिताब नहीं दिला सके. उन्होंने कुछ मौकों पर अपने उम्दा खेल का नजारा जरूर पेश किया. लेकिन अर्जेंटीना के लिहाज से वे नाकाफी रहे. विश्व कप (2010 और 2014), कोपा अमेरिका कप (2007 और 2011) में भी मेसी अपने उस उम्दा लय में नजर नहीं आए जिसके लिए वह जाने जाते हैं.

महान खिलाड़ियों की एक पहचान यह भी होती है कि वह बेहद खराब हालात में भी टीम को अपने साथ आगे ले जाने की क्षमता रखता है. माराडोना का कद फुटबाल की दुनिया में ऐसा ही है. उन्होंने 1986 में अर्जेंटीना को विश्व चैम्पियन बनाने में बड़ी भूमिका निभाई. उस विश्व कप के क्वार्टर फाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ उनका दूसरा गोल इतिहास के सर्वश्रेष्ठ गोलों में से एक माना जाता है.

ऐसे ही ब्राजील के पेले भी महान खिलाड़ियों में गिने जाते हैं. उनकी मौजूदगी में टीम ने 1958, 1962 और 1970 में फीफा विश्व कप जीते. विश्व कप-1966 में पुर्तगाल के यूसेबियो ने प्रशंसकों को दिल जीता जबकि 1998 के विश्व कप में फ्रांस के जिनेदिन जिदान बाजी मार ले गए. जिदान ने यूरो-2000 में भी फ्रांस को विजेता बनाने में अहम भूमिका निभाई. इन सभी खिलाड़ियों की खूबी यही है कि वे बड़े टूर्नामेंटों में अपना लोहा मनवाने में कामयाब रहे.

दूसरी ओर, मेसी इस मामले में नाकाम रहे हैं. उन्होंने अपने क्लब बर्सिलोना के लिए एक से बढ़कर एक कमाल किए. लेकिन अर्जेंटीना के लिए खेलते हुए उनका प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा. हो सकता है कि अर्जेंटीना के लिए मैदान पर उतरते समय उम्मीदों के बोझ के कारण उनका प्रदर्शन प्रभावित होता हो. कई ऐसे मौके भी रहे जहां मेसी को प्रशंसकों की नाराजगी झेलनी पड़ी. यहां तक की कोपा अमेरिका के फाइनल के बाद उनके परिवार को भी इस नाराजगी का शिकार होना पड़ा. लेकिन एक 'बड़ा' खिलाड़ी होने के नाते उन्हें उम्मीदों का यह बोझ उठाना होगा और आलोचना झेलनी होगी. सचिन तेंदुलकर की किताब से शायद मेसी इस बारे में कुछ सीख सकते हैं.

कई ऐसे मौके आए हैं जब मेसी की तुलना माराडोना से होती रही है. माराडोना खुद उन्हें ऊंचे दर्जे का खिलाड़ी मानते हैं. इन दोनों के बीच अच्छे संबंध भी हैं. इसकी एक बानगी 2010 विश्व कप के दौरान देखने को मिली थी जब माराडोना अर्जेंटीनी टीम के कोच थे. साल-2007 के कोपा डेल रे कप में गेटाफे के खिलाफ मेसी के गोल की तुलना इंग्लैंड के खिलाफ 1986 विश्व कप में माराडोना के गोल से की जाती है. बहरहाल, मेसी बार्सिलोना के लिए कितने भी दमदार प्रदर्शन क्यों न करते रहें. लेकिन अर्जेंटीना को अगर वह कोई बड़ा खिताब दिलाने में नाकाम रहते हैं उनकी गिनती महानतम खिलाड़ियों में नहीं की जा सकती.

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लेखक

देबदत्त भट्टाचार्या देबदत्त भट्टाचार्या @debdutta.bhattacharjee.9

लेखक इंडिया टुड़े में सीनियर सब एडिटर हैं.

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