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Updated: 22 जून, 2017 05:43 PM
एस कन्नन
एस कन्नन
 
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बुधवार को देश में कुंबले के इस्तीफे के बाद मचे घमासान से दूर भारतीय क्रिकेट टीम वेस्टइंडीज पहुंच गई. हालांकि इधर कुंबले के इस्तीफे के बाद से मीडिया में बहस का दौर जारी है और लोगों की 'सहानुभूति' का पलड़ा कुंबले की तरफ ही झुका हुआ है. यहां तक की सुनील गावस्कर जैसे दिग्गज ने भी कुंबले के साथ हुए व्यवहार पर भारतीय टीम को जमकर लताड़ लगाने में गुरेज नहीं किया.

मंगलवार के बाद से कई ऐसे प्रश्न हैं जिनके जवाब मिलने बाकी हैं. अगर सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण जैसे दिग्गजों से लैस क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) ने अगर कुंबले को दोबारा कोच बनने के लिए कहा था तो फिर ये सब इतनी जल्दी कैसे हुआ?

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कहा जा है कि नया कोच खोजने के लिए सीएसी को इंटरव्यू करना था और उसके बाद बीसीसीआई को सारे नाम फॉरवर्ड किए जाने थे. अगर कुंबले को एक्सटेंशन दिया जा रहा था, तो उन्होंने एक्सटेंशन के ऑफर को उसके नियमों और शर्तों के कारण मना नहीं किया था. बल्कि इसके पीछे का असल कारण था कि बीसीसीआई के कुछ अधिकारियों ने कुंबले को बताया कि कप्तान विराट कोहली का उनके साथ कुछ 'मुद्दों' पर मतभेद है.

खैर अगर फिर से बीसीसीआई अधिकारियों की बात करें तो बाजार में अब इस तरह की बातें फैलाई जा रही है कि कोच के खाली पद के लिए कई लोग अप्लाई कर सकते हैं! समय सीमा समाप्त होने से पहले सीवी भेजने वाले लोगों में टॉम मूडी, वीरेंद्र सहवाग, लालचंद राजपूत, डोडा गणेश और रिचर्ड पाइबस शामिल हैं.

कहा जा रहा है ये सारे तिकड़म इसलिए लगाए जा रहे हैं ताकि कोच के पोस्ट के लिए रवि शास्त्री अप्लाई कर सकें. हालांकि इस खबर में कितनी सच्चाई है इस बात की अभी तक पुष्टि नहीं हुई है लेकिन फिर भी अटकलों का बाजार गर्म हो चुका है. जल्दी से रवि शास्त्री के बारे में कुछ बात कर लेते हैं. कप्तान कोहली और रवि शास्त्री की खुब छनती है. यहां तक की शास्त्री से अपने मन की बात कहने में कोहली कभी संकोच भी नहीं करते. लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि पिछले साल भी सीएसी को शास्त्री का इंटरव्यू करना था, लेकिन गांगुली इसके पक्ष में नहीं थे.

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नए कोच की भर्ती के बारे में बीसीसीआई के कार्यवाहक अध्यक्ष सीके खन्ना और राजीव शुक्ला का क्या कहना था ये जानना दिलचस्प है. भारतीय टीम के श्रीलंका के लिए रवाना होने के पहले ही बीसीसीआई इस काम को खत्म करना चाहती है. चर्चा इस बात की भी है नए कोच को 2019 के विश्वकप तक का कॉन्ट्रैक्ट भी ऑफर किया जाएगा.

वीरेंद्र सहवाग और टॉम मूडी के रिकॉर्ड को अगर देखें तो कागज पर टॉम मूडी, सहवाग पर भारी पड़ते हैं. साथ ही एक कोच के रूप में मूडी ने पहले भी अपना लोहा मनवाया है.

मूडी पहले श्रीलंका के कोच थे और अब आईपीएल टीम सनराइजर्स हैदराबाद के कोच हैं. जिसका सीधा सा मतलब ये है कि मूडी को कम से कम वीवीएस लक्ष्मण का समर्थन तो जरूर मिलेगा. मुद्दा ये है कि नए कोच के सेलेक्शन में उसकी राष्ट्रीयता से कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए.

कोच के पद के लिए सबसे अच्छे व्यक्ति का ही चुनाव होना चाहिए और उसे टीम के बारे में अच्छे से जानकारी भी दे दी जानी चाहिए. पहले भी जब कोच की बात को टीम में नहीं सुनी जाती थी तो कई मुद्दों पर मैनेजर ही बात को संभालता था.

आज, बीसीसीआई ने कोहली को बहुत ऊंचा दर्जा दे दिया है. यही समय है सीएसी, सीओए (कमिटि ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर्स) और बीसीसीआई को कप्तान और कोच के बीच का संतुलन बहाल करने की जरूरत है.

भारतीय क्रिकेट को अपनी खोई हुई इज्जत फिर से वापिस हासिल करने की जरूरत है. जो भी नया कोच अब लाया जाएगा उसे डिसिप्लिन के मामले में कड़क होना चाहिए. साथ ही कोच का पद कप्तान की पसंद-नापसंद और उसके मूड को सूट करने के मुताबिक एडजस्ट नहीं किया जाना चाहिए.

(DailyO से साभार)

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एस कन्नन एस कन्नन

लेखक मेल टुडे में स्पोर्ट्स एडीटर हैं

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