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Updated: 10 अगस्त, 2022 03:29 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 (Commonwealth Games 2022) के आखिरी दिन भारत की खाते में 5 मेडल आए. और, कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत 22 गोल्ड, 16 सिल्वर और 23 ब्रॉन्ज समेत कुल 61 मेडल के साथ चौथे स्थान पर रहा. वहीं, 67 गोल्ड, 57 सिल्वर, 54 ब्रॉन्ज मेडल के साथ ऑस्ट्रेलिया ने पहले स्थान पर दबदबा कायम रखा. बताना जरूरी है कि 2018 के कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत ने मेडल टैली में 66 मेडल के साथ तीसरे स्थान पर कब्जा किया था. कॉमनवेल्थ गेम्स के आखिरी दिन भारत के खाते में चार गोल्ड मेडल और एक सिल्वर मेडल आए. लेकिन, वो क्या वजहें रहीं जो कॉमनवेल्थ खेलों में भारत अपना पुराना प्रदर्शन नही दोहरा पाया? आइए जानते हैं कि कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 भारत के लिए कैसा रहा? और, किन इवेंट्स में भारतीय सूरमाओं ने गोल्ड का मौका गंवाया? भारत को मेडल टैली बढ़ाने के लिए क्यों जरूरी है 'ट्रैक' बदलना?

Commonwealth Games 2022 India medal tallyभारत को मेडल टैली बढ़ाने के लिए कुश्ती और वेटलिफ्टिंग से इतर खेलों की ओर ध्यान देना होगा.

शूटिंग के न होने से हुआ भारत का नुकसान

कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में शूटिंग और आर्चरी ऑप्शनल स्पोर्ट्स में शामिल थे. जिसके चलते इस बार बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में शूटिंग और आर्चरी को शामिल नही किया गया था. पुराने आंकड़ों को देखा जाए, तो शूटिंग के सहारे भारत का मेडल टैली में स्थान और मजबूत हो सकता था. 2018 के कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को शूटिंग में 16 मेडल मिले थे. जिनमें 7 गोल्ड, 4 सिल्वर और 5 ब्रॉन्ज शामिल थे. इस लिहाज से देखा जाए, तो भारत को शूटिंग के कॉमनवेल्थ गेम्स में न शामिल किये जाने से बड़ा झटका लगा था. लेकिन, इसके बावजूद भारतीय खिलाड़ियों ने मेडल टैली में भारत को चौथे स्थान पर पहुंचा दिया. ये अपने आप में देश के खिलाड़ियों का एक बड़ा प्रदर्शन ही कहा जाएगा.

कुश्ती में दबदबा कायम, लेकिन बदला नही कई मेडल का रंग

कुश्ती के खेल में भारत का हमेशा से ही दबदबा रहा है. तकरीबन हर कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को शूटिंग के बाद सबसे ज्यादा मेडल कुश्ती में ही मिलते रहे हैं. इस बार भी कुश्ती के खेल में भारत के खाते में 6 गोल्ड, 1 सिल्वर, 5 ब्रॉन्ज मेडल मिले हैं. कुश्ती के अलग-अलग वेट कैटेगरी के 12 इवेंट में उतरे भारतीय पहलवानों ने हर इवेंट में कोई न कोई पदक जीता ही है. वैसे, कुश्ती के खेल में जिस तरह से भारत का प्रदर्शन रहा है. उसे देखकर आसानी से कहा जा सकता है कि भारत के पास सिल्वर और ब्रॉन्ज को गोल्ड में बदलने का मौका था. लेकिन, ऐसा हो नही सका. वैसे, भारत के लिए 2026 में होने वाला कॉमनवेल्थ गेम्स चिंता का विषय बन सकता है. क्योंकि, संभव है कि शूटिंग के बाद कुश्ती को भी कॉमनवेल्थ गेम्स का हिस्सा न बनाया जाए. और, ऐसा होने की संभवानाएं काफी ज्यादा हैं. तो, भारत को दूसरे खेलों में अपनी मेहनत को और बढ़ाना होगा.

वेटलिफ्टिंग में भारत का 'सोना' घटा

2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को वेटलिफ्टिंग में 3 गोल्ड, 5 सिल्वर और 6 ब्रॉन्ज समेत 14 मेडल मिले थे. वहीं, 2018 के कॉमनवेल्थ गेम्स में 5 गोल्ड, 2 सिल्वर और 2 ब्रॉन्ज समेत 9 मेडल भारत के खाते में आए थे. आसान शब्दों में कहा जाए, तो 2018 में भारत के गोल्ड मेडल बढ़े थे. लेकिन, सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल घट गए थे. वहीं, कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत को केवल 3 गोल्ड ही मिले. वहीं, अलग-अलग वेट कैटेगरी में भारतीय खिलाड़ियों को 3 सिल्वर और 4 ब्रॉन्ज ही मिल सके. भारत के कॉमनवेल्थ गेम्स में पिछले प्रदर्शनों के हिसाब से भारतीय वेटलिफ्टरों का प्रदर्शन इस बार कुछ खास नही रहा.

एथलेटिक्स में बेहतरीन प्रदर्शन को रखना होगा बरकरार

कॉमनवेल्थ गेम्स के ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में भारत का प्रदर्शन चौंकाने वाला कहा जा सकता है. 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत ने 2 गोल्ड, 3 सिल्वर और 7 ब्रॉन्ज के साथ अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था. लेकिन, इसके बाद से ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में भारत का प्रदर्शन लगातार घटता ही रहा. वहीं, इस बार जेवलिन थ्रो में भारत के लिए गोल्ड ला सकने वाले नीरज चोपड़ा चोटिल होने के बाद कॉमनवेल्थ गेम्स में शामिल नही हुए थे. तो, यह भारत के लिए ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में बड़ा झटका था. इसके बावजूद भारत ने एथलेटिक्स में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 1 गोल्ड, 4 सिल्वर और 3 ब्रॉन्ज मेडल कब्जा लिये. वैसे, भारत को ट्रैक एंड फील्ड में मिली सफलता को बरकरार रखना होगा. क्योंकि, अगले कॉमनवेल्थ गेम्स से कुश्ती को हटाए जाने की संभावना है.

बैडमिंटन में गोल्ड बढ़ा, लेकिन पिछले प्रदर्शन से एक मेडल कम मिला

कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत ने बैडमिंटन में 3 गोल्ड, 1 सिल्वर और 2 ब्रॉन्ज मेडल जीते. वहीं, 2018 में भारत को बैडमिंटन में 2 गोल्ड, 1 सिल्वर और 3 ब्रॉन्ज मेडल मिले थे. देखा जाए, तो इस बार भारत का गोल्ड बढ़ा है. लेकिन, 2018 की तुलना में एक मेडल का नुकसान ही हुआ है. लेकिन, भारत में खेलों को लेकर बदले माहौल में उम्मीद की जा सकती थी कि ये सभी मेडल गोल्ड में तब्दील हो सकते हैं. और, अगले कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत का मेडल टैली ऊपर बढ़ेगा.

टेबल टेनिस में बढ़ा 'सोना'

2018 के कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को टेबल टेनिस में 3 गोल्ड, 2 सिल्वर और 3 ब्रॉन्ज मेडल मिले थे. वहीं, कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 के टेबल टेनिस इवेंट की बात की जाए, तो इसमें भारत अपने पिछले प्रदर्शन से 3 मेडल कम ही रहा है. हालांकि, भारतीय खिलाड़ियों ने टेबल टेनिस में 3 गोल्ड मेडल के साथ अपना प्रदर्शन बरकरार रखा. लेकिन, इस बार टेबल टेनिस में भारत को एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज से ही संतोष करना पड़ा. ये साफ इशारा है कि भारतीय खिलाड़ियों के पास टेबल टेनिस में मेडल बढ़ाने का बड़ा मौका है.

बॉक्सिंग में भारत को नुकसान ही रहा

ओलंपिक में भारत के लिए बॉक्सिंग में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली लवलीना बोरगोहेन कॉमनवेल्थ गेम्स में कोई कमाल नही दिखा सकीं. कॉमनवेल्थ गेम्स की शुरुआत से ही लवलीना बोरगोहेन के नाम पर कोच को लेकर विवाद के साथ ओपनिंग सेरेमनी को बीच में ही छोड़कर चले आने का विवाद जुड़ गया था. कहा जा सकता है कि इसकी वजह से भारत को बॉक्सिंग में मिल सकने वाले एक गोल्ड मेडल का सीधा नुकसान हुआ है. कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत को 3 गोल्ड, 1 सिल्वर और 3 ब्रॉन्ज मिले हैं. जबकि, 2018 में भारत के खाते में 3 गोल्ड, 3 सिल्वर और 3 ब्रॉन्ज आए थे. आसान शब्दों में कहा जाए, तो भारत को बॉक्सिंग में एक पदक का नुकसान हुआ. जो गोल्ड भी हो सकता था. और, 3 ब्रॉन्ज मेडल को रंग भी बदला जा सकता था.

जल्द चमकेगा हॉकी में भारत का भाग्य

कुछ दशक पहले तक हॉकी में भारत का दबदबा ओलंपिक से लेकर हर विश्व स्तरीय प्रतियोगिता में नजर आता था. लेकिन, अब भारत को अपने राष्ट्रीय खेल में ही प्रदर्शन करने में बड़ी चुनौती मिलती है. इस बार के कॉमनवेल्थ गेम्स में पुरुष हॉकी टीम ने सिल्वर मेडल पर कब्जा जमाया है. लेकिन, ऑस्ट्रेलिया के हाथों फाइनल मुकाबले में 7-0 से शर्मनाक हार मिली है. वैसे, ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली पुरुष हॉकी टीम का प्रदर्शन बेहतर ही रहा है. और, अगर ऐसी ही मेहनत जारी रही, तो मेडल का रंग गोल्ड भी हो सकता है. वहीं, महिला हॉकी टीम ने भी कॉमनवेल्थ गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा जमाकर कमाल कर दिया. ओलंपिक में महिला हॉकी टीम मेडल जीतने से चूक गई थी. लेकिन, कॉमनवेल्थ गेम्स में महिला टीम ने मौका नही चूका.

जूडो, लॉन बॉल्स, स्कवैश से उम्मीदें बढ़ीं

भारत को जूडो में 2 सिल्वर और 1 ब्रॉन्ज मेडल मिला है. वहीं, लॉन बॉल्स में भारतीय खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है. महिला टीम ने लॉन बॉल्स में गोल्ड, तो पुरुष टीम ने सिल्वर पर कब्जा जमाया है. इसी तरह स्कवैश में भारत के खाते में दो ब्रॉन्ज मेडल आए हैं. इन तमाम मेडल्स को देखते हुए कहा जा सकता है कि भारत को जूडो, लॉन बॉल्स और स्कवैश के खेल में मेडल का रंग बदलने का मौका मिलेगा. अगर भारतीय खिलाड़ी अगले कॉमनवेल्थ गेम्स में अपना बेहतरीन प्रदर्शन करेंगे, तो मेडल टैली में भारत मजबूत होगा.

पैरा खिलाड़ियों ने भी दिखाया दम

कॉमनवेल्थ गेम्स में के पैरा पावरलिफ्टिंग इवेंट में सुधीर ने भारत को गोल्ड दिलाया. वहीं, पैरा टेबल टेनिस इवेंट में भारत के खाते में महिला खिलाड़ियों ने दो ब्रॉन्ज मेडल दिलाये. देखा जाए, तो भारत के पैरा खिलाड़ी अगले कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत की मेडल टैली को मजबूत कर सकते हैं.

पहली बार क्रिकेट शामिल हुआ और महिला खिलाड़ियों ने दिखाया दम

कॉमनवेल्थ गेम्स में पहली बार क्रिकेट को शामिल किया गया था. हालांकि, यह इवेंट केवल महिलाओं के लिए ही था. तो, कॉमनवेल्थ गेम्स खेलने पहुंची भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने पहले ही खेल में शानदार प्रदर्शन किया. कहा जा सकता है कि महिला क्रिकेट टीम इस इवेंट में गोल्ड जीत सकती है. क्योंकि, ऑस्ट्रेलिया ने भारत को केवल 7 रनों से ही हराया था. तो, उम्मीद जताई जा सकती है कि अगले कॉमनवेल्थ गेम्स में यह प्रदर्शन और सुधरेगा.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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