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Updated: 30 जुलाई, 2017 08:52 PM
मोहित चतुर्वेदी
मोहित चतुर्वेदी
  @mohitchaturvedi123
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कोहली को आखिरकार अपनी ड्रीम टीम तो मिल चुकी है और श्रीलंका में भी उन्होंने पहला टेस्ट आसानी से जीत लिया. लेकिन अभी भी वो टेंशन में हैं. मनचाहा कोच और स्टाफ मिलने के बाद भी कोहली की टेंशन खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. पहले कोच की टेंशन वो खत्म हुई तो अब खिलाड़ियों की फिटनेस की टेंशन.

कहें कि कप्तान कोहली को कई टेंशन ने घेरा हुआ है. कप्तान बनने के बाद से ही कोहली ने कुछ न कुछ नया करने का सोचा. कुछ नया तो हुआ लेकिन धोनी जैसा मिडाज टच नहीं आ पाया. धोनी को जब टीम मिली थी तो ज्यादातर बड़े क्रिकेटर्स मौजूद थे. उनके पास चुनौती थी कि कैसे नए खिलाड़ियों को मौका दिया जाए. जिसे उन्होंने बखूबी निभाया और नए खिलाड़ियों को भी मौका दिया. अभी की स्थिति की बात करें तो कोहली के पास सजी हुई टीम मौजूद है.

सभी खिलाड़ी फॉर्म में हैं और 2019 वर्ल्ड कप के लिए तैयार लगती है. लेकिन पीछे की कहानी कुछ और ही है. जो शानदार फॉर्म में हैं वो चोटिल हैं और जो टीम इंडिया में हैं वो फॉर्म से झूझ रहा है. शिखर धवन की ही बात कर लेते हैं. श्रीलंका टूर से पहले वो आउट ऑफ फॉर्म में चल रहे थे.

पहले टेस्ट में उन्होंने शानदार 190 रन की पारी खेल ली. लेकिन उनके साथ उतरने वाले मुरली विजय चोटिल हैं. पहले टेस्ट में अभिनव मुकुंद ने भले ही दूसरी पारी में 80 बना लिए. लेकिन प्रेशर में उन्होंने पहली पारी में आसानी से विकेट दे दिया था. रोहित शर्मा भी आराम पर चल रहे हैं. ऐसे में कोहली की सबसे बड़ी टेंशन ओपनिंग डिपार्टमेंट है.

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बॉलिंग डिपार्टमेंट में भी यही परेशानी

टीम इंडिया की बॉलिंग डिपार्टमेंट तो थोड़ा सुधार हुआ है लेकिन फास्ट बॉलिंग लाइन अप में वो चमक दिखाई नहीं दे रही. शुरुआती विकेट दिलाने में मोहम्मद शमी और उमेश यादव को परेशानी हो रही है. अश्विन और जडेजा ने स्पिन डिपार्टमेंट को बखूबी निभाया है. लेकिन फास्ट बॉलिंग में कोहली को बदलाव की जरूरत है.

भुवनेश्वर भी टीम में आ जाते हैं तो उनका साथ बुमराह जैसे अटैकिंग बॉलर की जरूरत पड़ेगी. लेकिन टीम इंडिया में फास्ट बॉलर्स चोटिल रहने की सबसे बड़ी टेंशन है. चोट से उभरना फिर शानदार वापसी करना मुश्किल हो रहा है.

ग्राउंड पर कोहली का गुस्सा होना कितना ठीक

चैम्पियंस ट्रॉफी में कोहली ने कहा था कि खिलाड़ियों को इतना कड़वा कहो कि वो अच्छी परफॉर्मेंस दें. हालाकि टीम इंडिया चैम्पियंस ट्रॉफी के फाइनल में पहुंच गई थी. श्रीलंका के खिलाफ पहले टेस्ट में देखा गया कि चौका लगने के बाद कोहली ने गुस्से में बॉल को पैर से मारा था. ये वीडियो काफी वायरल भी हुआ.

हमने कैप्टन कूल धोनी की कप्तानी देखी है जहां वो हर मौके पर शांत रहते हैं और दिमाग से मैच निकाल लाते हैं. ऐसे में कोहली को गुस्सा में देखना ठीक नहीं लगता. मैच जब हाथ में हैं तो गुस्सा क्यों ? ऐसे में बॉलर्स का मोराल डाउन हुआ तो क्या होगा ? देखा जाता है कि कप्तान टेंशन में आपा खो बैठे तो कप्तानी तक छोड़ देता है. अगर ऐसा हुआ तो वर्ल्ड कप का क्या होगा.

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ऐसे में वर्ल्ड कप कैसे जीतेंगे

2019 में इसी टीम को वर्ल्ड कप में उतरना है. कोहली के पास भले ही धोनी का साथ हो. लेकिन फैसले और चुनौतियों का उन्हें ही सामना करना होगा. टीम इंडिया की जैसी स्थिति है उससे कोहली को ही निपटना होगा. वर्ल्ड कप में टीम कैसे उतारनी है इसका मंथन उन्हें ही कोच रवि शास्त्री के साथ करना होगा. बीसीसीआई ने कोहली के पसंदीदा रवि शास्त्री को 2019 वर्ल्ड कप तक कोच नियुक्त किया है. ऐसे में उनका काम बनता है कि कोहली के गुस्सा शांत करने की कोशिश करें और टीम को साथ लेकर चलें.

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लेखक

मोहित चतुर्वेदी मोहित चतुर्वेदी @mohitchaturvedi123

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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