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Updated: 08 मार्च, 2021 12:15 PM
ज्योति गुप्ता
ज्योति गुप्ता
  @jyoti.gupta.01
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यह बात तो हम कई दफा पहले भी सुन चुके हैं कि बेटियां पापा और बेटे मां के करीब होते हैं. लड़के शादी से पहले मां और अगर बड़ी बहन हुई तो उस पर डिपेंड होते हैं. क्योंकि ममता के कई रूप हो सकते हैं. लड़कियां समय से पहले ही मैच्योर हो जाती हैं. बड़ी बहन एक समय के बाद मां का रूप ले लेती है. वहीं महिला दोस्त भी लड़कों का ख्याल मां जैसे रखने लगती हैं. जब शादी होती है तो एक पति अपनी पत्नी में प्रेमिका, दोस्त, साथी, पत्नी ये सब तो ढूंढता ही है, साथ वो अपनी पत्नी में मां को भी ढूंढ़ता है. ये तो हो गई शादी की बात. वहीं जो कपल रिलेशनशिप में होते हैं वहां भी लड़का अपनी गर्लफ्रेंड में मां की परछाई खोजता है. अब सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्यों? तो चलिए अब जवाब भी बताते हैं...

boys search his mother in wife, what boy want in girl, what boy want in girlfriend, what husband want in wifeएक पति हमेशा अपनी पत्नी में मां की क्वालिटी को खोजता है

पहली बात तो यह है कि सभी लड़के अपनी बीवी में मां को नहीं ढूंढ़ते, बस वही ढूढ़ते हैं जिनकी मां ने उन्हें बड़े नाजों से पाला होता है. बड़ी ममता के साथ उनका ख्याल रखा होता है. वैसे बेटे अगर मां के करीब हों तो यह अच्छी बात है, लेकिन एक होते हैं जिन्हें Mama’s Boy कहा जाता है. जो जरा सा कुछ हुआ नहीं कि मम्मी-मम्मी करने लगते हैं और अपनी वाइफ को भी कुछ समय बाद बीवी कम और मां ज्यादा समझने लगते हैं.

अब देखिए मां तो मां होती है, मां की जगह कोई नहीं ले सकता. मां की बात ही ऐसी है. मां ममता से भरी होती है. बेटा गलती भी करेगा तो भी मां को उसकी चिंता रहती है. बेटा भले मां से झगड़ा कर ले फिर उसे बेटे के खाने की चिंता रहती है. बेटा कितना भी गलती कर ले मां सब भुलाकर उससे पूछेगी कि बेटा खाना खाया?

बेटा भले नाराज हो जाए मां उससे नाराज नहीं होती, ना ही उसे बेटे से कुछ चाहिए होता है. उसे तो बस लगता है मेरा बच्चा अच्छा रहे. वह बेटे की खुशी में ही खुश हो लेती है. बेटा गलती करेगा तो भी मां नजरअंदाज करके उस पर प्यार लुटाती है. यानी मां अपने बेटे की हर गलती माफ कर देती है. मां, बेटे को बहुत प्यार से पालती है और उसकी सारी छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखती है.

लड़कियां एक समय के बाद अपना काम खुद करने लगती हैं लेकिन ज्यादातर लड़के मां के ऊपर डिपेंड रहते हैं. बेटे के लिए मां स्वादिष्ट खाना बनाती हैं. उनके कपड़े आयरन करती हैं, उनकी सारी बातों को ध्यान से सुनती हैं और गलती छुपा कर पापा से डांट खाने से भी बचाती हैं. साथ ही मां बेटे को आजादी भी देती हैं, चाहे बेटा कुछ भी करे उनका लाडला होता है. साथ ही मां बेटे को समझाती हैं और सही रास्ता भी दिखाती हैं लेकिन बेटा अगर मनमानी करे तो भी उनकी आंख का तारा होता है, अब मां की ममता होती ही ऐसी है.

वहीं वाइफ अगर अच्छा खाना भी बना दे तो भी पति यही कहते हैं आज तो पराठे एकदम मां के हाथ जैसे बने हैं. रेसिपी मां ने बताई थी क्या. या पत्नी कितनी भी मेहनत करके पूरा खाना बना दें बेटे यही कहेंगे अरे ये साग और पराठे तो मम्मी बहुत टेस्टी बनाती थी. यानी वाइफ कुछ भी कर ले बेटे अपनी मां से तुलना जरूर करेंगे. यार आज ये खाकर मां की याद आ गई. अगली बार मां से पूछकर बनाना.

मां को याद करना ठीक है लेकिन जिस लड़की ने आपसे शादी की है वह अपनी मां से भी कुछ सीख कर आई होगी और उसके अंदर उसके मां की परछाई भी तो हो सकती है. अब ऐसा तो है नहीं कि वाइफ ने अपनी मां से कुछ सीखा ही ना हो.

अब यहां लड़कों को यह बात समझनी चाहिए कि वाइफ को अपने पति से कुछ उम्मीदें और अपेक्षाएं होती हैं. जबकि मां के मन में माफी होती है. एक वाइफ होने के नाते उसका भी कुछ अधिकार हैं. पति या प्रेमी की भी अपनी पत्नी या प्रेमिका के प्रति कुछ जिम्मेदारी होती है.

मां हमेशा बच्चे का भला चाहती है और उसे सब कुछ देना चाहती है. बल्कि पत्नी पति से प्यार और समर्पण चाहती है. मां अपने बेटे को बहू को दे सकती है लेकिन एक पत्नी अपने पति को किसी को भी नहीं देना चाहेगी.

मां जितने में हो गुजारा कर लेती है लेकिन पत्नी सुविधाओं का डिमांड करती है. पत्नी चाहती है कि पति मेहनत करे काम करे. पति अक्सर अपनी पत्नी को बोलते हैं कि तुम कितना खर्च करती हो, शॉपिंग करती हो, घूमती हो, मेरी मम्मी तो ऐसा नहीं करती थीं...मां तो पापा के एक हजार रुपए में घर भी चला लेती थीं और बचा भी लेती थीं. पति को यह समझना चाहिए की मां की जगह मां है बीवी की जगह वीबी. दोनों की जगह अलग-अलग है. एक टाइम के बाद वाइफ सास की जगह लेती है और यह सिलसिला चलता रहेगा.

ऐसा होता भी है एक टाइम के बाद वाइफ पति को अपने बच्चे जैसा ट्रीट करने लगती है. पति की सारी बातों का ध्यान रखना, पसंद ना पसंद सबकुछ. पति के लिए खाना बनाकर अपने हाथों से सर्व कर खिलाना. उनकी बातें सुनना. उनको समझाना. कमजोर पड़ने पर उनका साथ देना आदि. लेकिन क्या महिलाओं को नहीं चाहिए कि कोई उनको भी संभाले, उन्हें भी समझे, उनके भी नखरे उठाए, कोई उन्हें भी मां या पिता जैसा प्यार दे. ऐसा बहुत कम ही होता है.

क्या कहता है साइंस

अक्सर कहा जाता है कि बेटे मां के करीब और बेटियां पिता के करीब होती हैं, दरअसल इसका साइंटिफिक कनेक्शन होता है. बेटे का मां और बेटी का पिता की तरफ झुकाव होता है उसे इडिपस कॉम्प्लेक्स और इलेक्ट्रा कॉम्प्लेक्स कहा जाता है. दरअसल, फेमस साइकोलॉजिस्ट सिग्मंड फ्रायड के अनुसार किसी इंसान की यौन चेतना का मानसिक विकास पांच चरणों में होता है. जो बच्चे के जन्म से लेकर किशोरावस्था के विकास में हिस्सा होते हैं.

बच्चा जब तीन से छह साल का होता है तो इस विकास के तीसरे चरण में होता है. इसे लैंगिंग चरण कहते हैं. इस चरण में एक बच्चा अलग-अलग लिंगों में अंतर करना सीखता है. साथ ही अलग लिंगों में रुचि लेना भी शुरू करता है. इसी समय बेटा का मां की तरफ और बेटी का पिता की तरफ झुकाव शुरू हो जाता है. फ्रॉयड का मानना है कि इडिपस कॉम्प्लेक्स बच्चे की सजह इच्छा होती है जिसमें वह विपरीत लिंग के गार्जियन की तरफ आकर्षित होता है. जो उसके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए जरूरी होता है.

फ्रायड के अनुसार, इस उम्र में दिमाग लगातार इच्छाओं का दबा रहा होता है. यह इच्छाएं वयस्कों की तरह जाहिर नहीं की जा सकतीं और यह दिमाग के अवचेतन हिस्से में चली जाती हैं. अवचेतन दिमाग भी उस समय तक विकसित नहीं होता. यही कारण है कि बेटे मां के ज्यादा करीब होते हैं जैसे की बेटियां. यानी ऐसा होने के पीछे की वजह इडिपस और इलेक्ट्रा कॉम्प्लेक्स है. यही कारण है कि जब बेटे शादी के बाद अपनी वाइफ में भी मां को ढूंढते हैं.

लेखक

ज्योति गुप्ता ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01

लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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