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Updated: 17 जून, 2021 10:17 PM
ज्योति गुप्ता
ज्योति गुप्ता
  @jyoti.gupta.01
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आज मैंने पकड़ौआ शादी (Pakadwa vivah) की 20 घटनाओं की हेडलाइन देखी. हर घटना को लड़कों को हिसाब से लिखा गया है. किसी भी घटना में इस बात का जिक्र नहीं है कि उस लड़की का क्या होगा. आखिर उस लड़की की शादी भी तो जबरन (forcefully marriage) ही कराई जाती है. तो फिर क्यों उस लड़की की गलती ना होते हुए भी उसे दोषी मानकर उसका तिरष्कार किया जाता है.

वैसे भी शादी चाहें पकड़ौआ हो या अरेंज मैरिज, जब बात लड़की की शादी होती है तो सारी चीजें माता-पिता और घरवाले ही तय करते हैं. एक तरह से यह ब्लाइंड मैरिज होती है. यानी शादी के बाद अगर पति अच्छा निकल गया तो समझो आपकी लॉटरी निकल गई, वरना जिंदगी जाए भाड़ में. इसके बाद ना तो घरवालों को मतलब होता है ना ही ससुराल वालों को, बस शादी के नाम का ठप्पा लगाना जरूरी है.

भाग्यविधातालड़कियों को ऐसी शादी के लिए घरवाले ही मजबूर करते हैं

एक नजर पकड़ौआ शादी की घटनाओं की हेडिंग पर

1- बिहार में एक और पकड़ौआ विवाह: युवक को अगवा कर ले गए बदमाश

2- बिहार में पकड़ौआ विवाह: युवक को अगवा कर कराई शादी, हल्‍दी वाली तस्‍वीर से खुली पोल

3- बिहार में नौकरी ज्वॉइन करने से पहले जबरन शादी, घरवालों को पचा चला तो पीट लिया कपार

4- बिहार की ऊंची जातियों में ज्यादा आम है पकडुआ विवाह, अक्सर चल जाती हैं ऐसी शादियां

5- बिहार में फिर से हुआ पकड़ौआ विवाह, रस्म के दौरान फूट-फूटकर रोता रहा दूल्हा

इन जबरन बनाई गई जोड़ियों में सबने लड़कों को बेचारा बनाया, लेकिन उस लड़की का जिक्र किसी ने नहीं किया. जैसे मान लिया गया है कि लड़कियों के साथ तो यही होता है इसमें नया क्या है. लड़कियों के मामले में इस बात को मान लिया गया है कि उनकी शादी में उनकी मर्जी मायने नहीं रखती, इसमें पूछना क्या है.

एक लड़की अपनी शादी को लेकर क्या-क्या सपने देखती है. उसके कितने अरमान होते हैं. माना कि उसके सपनों के राजकुमार हकीकत में नहीं होते लेकिन लड़की क्या कोई गाय-भैंस है जिसे किसी के भी खूंटे से अचानक से बांध दिया गया, भले उसकी मर्जी हो या ना हो. लड़कियां भी इसी को अपनी किस्मत समझ लेती हैं.

असल में हमारे समाज में किसी परंपरा को तोड़ना इतना आसान नहीं है. जैसे कहने को तो दहेज गैरकानूनी है लेकिन डायरेक्ट नहीं तो इनडायरेक्ट दहेज देना तो पड़ता ही है. इसी तरह है पकड़ुआ विवाह, कहने के लिए इस पर कबका बैन लगा दिया गया है कि लेकिन आज भी ऐसी घटनाएं होती रहती हैं.

पकड़ौआ शादी पहले के जमाने से चली आ रही है. जिसमें कुछ दबंग लोगों का गिरोह, लड़के को पकड़कर जबरन उसकी शादी करवा देते हैं. लड़कियों को इस तरह की शादी करने के लिए उनपर जबरदस्ती की जाती है. यानी दोनों लोगों की शादी उनकी मर्जी के खिलाफ होती है लेकिन लोगों को दया के पात्र बस लड़के लगते हैं लड़कियां नहीं. कई लोग तो ऐसी शादियों के लिए लड़कियों को ही दोषी मानते हैं, कि इसकी वजह से ही यह सब हुआ है.

कुछ साल पहले इसी विषय पर भाग्यविधाता नाम का सीरियल, फिल्म 'अंतरद्वंद' और जबरिया जोड़ी आई थी. दरअसल, 80 के दशक में उत्तर बिहार में खासतौर पर बेगूसराय में पकड़ौआ विवाह के मामले खूब सामने आए थे. भाग्यविधाता में दिखाया गया कि कुछ सालों बाद सब ठीक हो जाता है और वह लड़का जबरन पत्नी बनाई लड़की को अपना लेता है, लेकिन यहां तक का उसका सफर काफी पीड़ादायी होता है.

वहीं जबरिया जोड़ी में पकड़ौआ शादी का महिमा मंडन किया गया है. यानी बताया गया है कि ऐसा करने के पीछे की वजह क्या है, लेकिन अंत में बात लड़के के दया के उपर आकर अटक जाती है. यानी लड़की की जिंदगी का फैसला उस लड़के के हाथ में होती है जिसे हम खबरों में दया का पात्र बताते हैं, लड़की का पक्ष किसी को क्यों नहीं दिखता.

परिवार वाले तो लड़की की जैसे-तैसे शादी कराके छुटकारा चाहते हैं लेकिन उसके फ्यूचर का क्या होगा इस बारे में कोई नहीं सोचता. ऐसा लगता है कि सबकुछ लड़कियों के भाग्य पर छोड़ दिया जाता है. अगर पति दया करके जबरन पत्नी बनाई गई लड़की को अपना ले तब तो ठीक है वरना उसकी जिंदगी है वो जाने, वह जीए चाहें मरे लेकिन जबरन के बनाए गए ससुराल में दया का पात्र बनकर किसी कोने में पड़ी रहे. जहां उसके होने या वा होने से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता.

ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब पकड़ौआ शादी में पति ने कई सालों तक पत्नी को अपनाया ही नहीं. अगर अपना भी लिया तो इस शादी के कड़वे यादों से उबर नहीं पाया. लड़की बस सांसे लेती है, उसे कोई पारिवारिक सुख नहीं मिलता. ससुराल वाले भी बहू के रूप में बस कर्मपूर्ति करते हैं. इन सब के बीच अगर पति ने अपना भी लिया तो वह हर वक्त इसी गिल्ट में जीती है कि वह किस तरह अचानक पति पर बोझ बन गई.

आंकड़ें की बात करें तो बिहार राज्य अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, जनवरी और नवंबर 2020 के बीच राज्य में 7,194 पकड़ौआ शादी के मामले, 2019 में 10,925 मामले, 2018 में 10,310 केस और 2017 में 8,972 जबरिया शादी के मामले दर्ज किए गए.

वहीं आपराधिक गिरोह के डर के कारण बड़ी संख्या में ऐसे मामले सामने आ ही नहीं पाते हैं. ये गिरोह जबरन शादियां कराने के लिए लड़की के घरवालों से पैसे लेता है, लेकिन उनको यह रकम देने में हर्ज नहीं होता क्योंकि यह दहेज के पैसे से बहुत कम होता है.

इस जबरन शादी की बकायदा वीडियो बनाई जाती है और इसी के साथ लड़की को उसके ससुराल भेज दिया जाता है. यह बिना सोचे कि उस लड़की के दिल पर क्या बीत रही होगी. उसके डर को कोई नहीं समझता या सब जानते हुए ही अनजान बनने की कोशिश करते हैं.

इस बात को इस तरह समझिए, जैसे आज से 20 साल पहले जब लड़कियों के साथ दुष्कर्म होता था तब घरवाले इस मामले को छिपाने की पूरी कोशिश करते थे. उन्हें डर था कि इसके बाद बेटी की शादी नहीं हो पाएगी, लेकिन अब लोग खुलकर इस अपराध के खिलाफ इंसाफ की लड़ाई लड़ते हैं.

ऐसा ही कुछ पकड़ौआ शादी के साथ है, इस परंपरा को अभी भी ढोया जा रहा है. लोगों को लगता है कि एक बार शादी हो जाए तो सब ठीक हो जाता है लेकिन जिस लड़की को यह सब झेलना पड़ता है वही समझती है.

जबरन शादी के बाद लड़का तो अपनी दुनिया में लौट जाएगा लेकिन लड़की उसका क्या. क्या वह अपनी दुनिया में लौट पाएगी...तो जबरिया शादी के बाद लड़कियों की जिंदगी का क्या, यह कौन सोचेगा?

लड़की के पक्ष में सहानुभूति क्यों न हो

असल में जिन जहगों पर ऐसी शादियों के मामले आते हैं, वहां दहेज की खूब परंपरा है. एक तरह से पकड़ौआ शादी को दहेज के खिलाफ एक निदान के रूप में माना गया. ऐसे विवाह के लिए अक्सर योग्य कुंवारे लड़कों के बारे में पूरी जानकारी जुटाई जाती है फिर उन्हें अगवा कर उन लड़कियों से शादी करने के लिए मजबूर किया जाता है, जिनके परिवार के लोग दहेज नहीं दे सकते.

लड़कियों के पिता खुद लड़कियों पर जबरदस्ती करने के लिए दबाव बनाते हैं कि वे पकड़ौआ शादी करें. भले गलती पिता की होती है क्योंकि शादी के बाद उनकी जिम्मेदारी तो खत्म हो जाती है, लेकिन सोचिए अगव वह लड़का दूसरी शादी कर ले तो? भोगना लड़की को पड़ता है.

इस तरह की शादियों की एंडिंग हमेशा हैपी नहीं होती. कुल मिलाकर यहां लड़के की कृपा पर ही लड़की की जीत होती है. असल में इस तरह की शादियों के पीछे मजबूरी की वजह है दहेज, लड़कियोंं की अशिक्षा और जातिवाद.

दहेज के खिलाफ सामाजिक परिवर्तन के लिए गैर कानूनी ही सही, लेकिन लोगों ने ये तरीका अपना लिया. मगर सोचिए इस सारी कहानी में असली पीड़ित कौन है...लड़का या लड़की? 

लेखक

ज्योति गुप्ता ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01

लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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