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Updated: 26 अगस्त, 2021 08:01 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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कोविड-19 महामारी से जूझ रही दुनिया को इस साल कोरोनारोधी वैक्सीन के आने से उम्मीद बंध गई थी कि अब कोरोना वायरस से लड़ाई जीती जा सकती है. कई देशों में कोरोना वायरस के चलते लोगों पर लगाए गए प्रतिबंध खत्म किए जाने लगे थे. लेकिन, कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट ने दुनिया के करीब 140 से ज्यादा देशों में फिर से कहर बरपाना शुरू कर दिया है.

भारत की बात करें, तो कोरोना की दूसरी लहर के दौरान उपजे बुरे हालातों पर किसी तरह से काबू पा लिया गया. लेकिन, कोरोना की दूसरी लहर का पीक निकल जाने के साथ ही एक्सपर्ट ने तीसरी लहर को लेकर आशंका जतानी शुरू कर दी थी. तमाम एक्सपर्ट्स का कहना था कि अक्टूबर या नवंबर में कोरोना वायरस की तीसरी लहर आ सकती है. कोरोना संक्रमण के मामलों में आई कमी ने लोगों में भरोसा बढ़ाया था कि शायद कोरोना की दूसरी लहर खत्म हो चुकी है. लेकिन, बीते दो दिनों में कोरोना संक्रमण के मामलों में आई तेजी ने तीसरी लहर की आशंकाओं को और बल दे दिया है.

भारत में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर का पीक गुजर जाने के बाद से लेकर अभी तक हालात सामान्य नही हुए हैं. कोरोना संक्रमण के मामले कम होने के बजाय बढ़ते ही दिखाई दे रहे हैं. केरल राज्य में कोरोना संक्रमण के मामलों में रोज नया रिकॉर्ड बन रहा है. बीते दिन देश में कोरोना वायरस के संक्रमित मरीजों की संख्या का आंकड़ा 46,164 पहुंच गया है. जो निश्चित तौर पर चौंकाने वाला कहा जा सकता है. इन सबके बीच WHO यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन की चीफ साइंटिस्ट डॉ. सौम्या स्वामीनाथन के एक बयान ने भारत के लिए चिंताओं को बढ़ा दिया है. डॉ. स्वामीनाथन ने द वायर को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि भारत में कोरोना महामारी स्थानिकता में चरण में प्रवेश कर रही है. हो सकता है कि भारत से कोरोना महामारी कभी खत्म न हो. सौम्या स्वामीनाथन ने ये भी कहा कि देश के कई हिस्सों की जनसंख्या में विविधता और अलग-अलग प्रतिरक्षा प्रणाली की वजह से कोरोना संक्रमण के मामलों में लंबे समय तक उतार-चढ़ाव की स्थितियां देखने को मिलती रहेंगी.

भारत में कोरोनारोधी टीकाकरण की गति में कुछ तेजी आई है. भारत में कोरोनारोधी टीकाकरण की गति में कुछ तेजी आई है.

क्या होती है स्थानिकता, जिसने बढ़ाई चिंता

स्थानिकता यानी एंडेमिसिटी के दौरान आबादी में बीमारी या संक्रामक रोग की लगातार लोगों की बीच बना रहता है और उसका सामान्य रूप से फैलाव होता रहता है. बीमारी या संक्रामक रोग का ये फैलाव निम्न और मध्यम स्तर पर लोगों के बीच जारी रहता है. भारत जैसे देश की बात करें, तो यहां की विशाल आबादी विभिन्न इलाकों में फैली हुई है. हर व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता भी अलग-अलग है, तो संभावना बढ़ जाती है कि वायरस लोगों के बीच कई महीनों तक रह सकता है. हालांकि, इस दौरान संक्रमण के मामलों में उतार-चढ़ाव आते रहेंगे. लेकिन, वायरस लोगों के बीच से खत्म नहीं होगा. सौम्या स्वामीनाथन ने उम्मीद जताई है कि इस दौरान कोरोना की दूसरी लहर जैसे घातक परिणाम देखने को नहीं मिलेंगे. उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि जिन जगहों पर पहली और दूसरी लहर के दौरान पीक नहीं दिखे, वहां कोरोना संक्रमण के मामले सामने आ सकते हैं.

बच्चों पर बरसने वाला है कोरोना का कहर?

देश के तमाम एक्सपर्ट्स और सीरो सर्वे में भी इस बात की संभावना जताई गई थी कि कोरोना की तीसरी लहर का खतरा बच्चों के लिए भारी पड़ सकता है. ऐसा कहने की वजहें भी सही नजर आती हैं. दरअसल, भारत में अभी तक बच्चों का टीकाकरण शुरू नहीं किया जा सका है. 18 साल से कम उम्र के किशोरों और 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कोरोना की तीसरी लहर किसी खतरे से कम नही मानी जा रही है. बिना टीकाकरण के कोरोना वायरस से बचाव संभव नहीं है और भारत में बच्चों का टीकाकरण नहीं हुआ है, तो स्थिति की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है. हालांकि, सरकार की ओर से तीसरी लहर से निपटने की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. लेकिन, तीसरी लहर को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी न होने की वजह से खतरा लगातार बना हुआ है. डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने भी चिंता जताते हुए कहा कि यह संभव है कि बच्चे संक्रमित हो सकते हैं, लेकिन बच्चों में महामारी के लक्षण बहुत हल्के दिखाई दिए हैं. संभावना इस बात की ज्यादा है कि वे और संक्रमण फैलने की वजह बन सकते हैं. लेकिन, हमें हर तरीके से तैयारी करनी होगी.

धीमा टीकाकरण चिंता का बड़ा कारण

भारत में कोरोनारोधी टीकाकरण की गति में कुछ तेजी आई है. देश में अब तक करीब 60 करोड़ से ज्यादा लोगों का टीकाकरण किया जा चुका है. लेकिन, इनमें से 46 करोड़ से ज्यादा लोगों को वैक्सीन की केवल एक ही डोज लगी है. वैक्सीन की एक डोज की वजह से इन लोगों पर कोरोना वायरस का खतरा बरकरार है. 60 करोड़ टीकाकरण की संख्या को देखकर ये नहीं कहा जा सकता है कि ये सभी कोरोना वायरस से बच सकते हैं. वहीं, हाल ही में ये आंकड़ा भी सामने आया है कि 1.6 करोड़ लोगों ने कोरोनारोधी वैक्सीन के दूसरी डोज की समयसीमा निकल जाने के बाद भी वैक्सीन नहीं लगवाई है. ये सभी चीजें देश में कोरोना वायरस के फिर से कहर बरपाने की ओर काफी हद तक इशारा कर रही हैं. कोरोना का डेल्टा वेरिएंट देश के कई हिस्सों में तेजी से फैल रहा है. माना जा रहा है कि केरल में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी के पीछे डेल्टा वेरिएंट का ही हाथ है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की चीफ साइंटिस्ट डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि भारत में लोगों को कोरोना वायरस के साथ जीना सीखना होगा. वैक्सीनेशन की धीमी रफ्तार को देखते हुए फिलहाल तो यही कहा जा सकता है कि कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर लोग कोरोना गाइडलाइंस का पालन करना न भूलें. मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के साथ टीकाकरण ही बचाव का तरीका है.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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