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Updated: 23 फरवरी, 2018 04:21 PM
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हाल ही में नवी मुंबई से एक वीडियो सामने आया है. वीडियो किसी भी सभ्य इंसान को शर्मसार करने के लिए काफी है. वीडियो नवी मुंबई के तुर्भे रेलवे स्टेशन का है, जिसमें यह साफ दिख रहा है कि एक शख्स ट्रेन का इंतजार कर रही लड़को को जबरदस्ती KISS कर देता है. वीडियो में आसपास बहुत से लोग हैं, लेकिन कोई भी न तो बीच-बचाव करते हैं, न ही बाद में उसे पकड़ने के लिए कुछ करते हैं. 

किसी भी महिला के लिए राह चलते छेड़-छाड़ का शिकार हो जाना शर्मिंदगी भरा होता है, साथ ही साथ ये भारत में तो रोजाना की घटना हो गई है. मेट्रो, लोकल बस, ट्रेन, में सफर करने वाली, कॉलेज जाने वाली, ऑफिस जाने वाली, स्कूल जाने वाली बच्चियां किसी न किसी ऐसे इंसान के शिकंजे में फंस ही जाती हैं जो चंद सेकंड के लिए अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए किसी लड़की के ब्रेस्ट दबा देता है या खुद लड़की के पीछे खड़ा होकर उसे गलत तरह से छूता है. लेकिन इसके बाद लड़की कुछ नहीं कर पाती.

ऐसे समय में लड़कियां बस शर्मिंदा होकर रह जाती हैं और कुछ नहीं हो पाता. ये समस्या इतनी विकराल है कि महिला हेल्पलाइन से लेकर पुलिस पेट्रोलिंग तक सब कुछ होने के बाद भी इसका कोई हल नहीं निकल पा रहा. ये सिर्फ देश की ही समस्या नहीं बल्कि विदेशों में भी ऐसी ही घटनाएं होती रहती हैं (कम ही सही) लेकिन ऐसा होता तो है. पर वहां की लड़कियां जो करती हैं शायद वो यहां भी किसी को अपनाना पड़ेगा.

एक Quora थ्रेड इसी तरह के सवालों का जवाब दे रहा है. इस थ्रेड में सवाल पूछा गया है कि अगर कोई दरिंदा लड़की से छोड़छाड़ करके भाग जाए तो क्या करना चाहिए. एक यूजर एंथी टीज़ ने इसका बहुत सही जबाव दिया है.

छेड़छाड़, सोशल मीडिया, इंस्टाग्राम, भारत, महिलाएं, हैरेस्मेंटQuora वेबसाइट का स्क्रीन शॉट

एंथी बताती हैं कि जब वो 14 साल की थीं तब एक बस स्टॉप पर वो और अनकी बड़ी बहन के साथ गईं थीं. उन्होंने एक स्लिट ड्रेस पहनी हुई थी. वो कहती हैं कि पीछे से एक आदमी आया जो 20-25 साल की उम्र का होगा. उसने आकर एंथी की ड्रेस के अंदर हथेली डाल दी और हंसता हुआ आगे निकल गया. सभी एंथी को देख रहे थे और उन्हें बहुत शर्मिंदगी हुई थी, लेकिन उनकी बड़ी बहन ने चुप रहने की जगह उस लड़के पर चिल्लाया, उसका पीछा किया.

एंथी भी अपनी बहन के पीछे भाग रही थीं. एंथी की बहन ने उस इंसान को किसी तरह कपड़ों से पकड़ लिया. उसके बाद तड़ातड़ तमाचे लगाने शुरू कर दिए. अचानक भीड़ इकठ्ठा हो गई.

- "तुम खुद को क्या समझते हो?" थप्पड़

- "तुम माफी मांगो वर्ऩा?" थप्पड़

- "ऐसा दोबारा किया तो समझ लेना?" थप्पड़

एंथी की बहन ने ये सब बोलकर न जाने कितने ही थप्पड़ उस इंसान को लगाए. उसने पब्लिक में माफी मांगी और शायद ये जिंदगी भर का सबक हो गया एंथी के लिए भी और उस लड़के के लिए भी. दरअसल, एंथी बहन की मदद करने नहीं उसे रोकने के लिए भाग रही थीं, लेकिन इस किस्से के बाद उन्हें समझ आया कि इस मामले में चुप रहकर वो उस लड़के की हिम्मत और बढ़ा देतीं.

छेड़छाड़, सोशल मीडिया, इंस्टाग्राम, भारत, महिलाएं, हैरेस्मेंटएंथी और उनकी बहन जो उस घटना के समय 14 और 21 साल की थीं.

कुछ सालों बाद अपने एक पुरुष सहकर्मी से उन्होंने ये बात साझा की और नतीजा ये निकला कि उस सहकर्मी की बहन ने ब्रेस्ट दबाने वाले इंसान के साथ ऐसा ही किया. जमकर मुक्का उसे दे मारा. वो भी एक बच्ची थी.

एंथी की जिंदगी का ये सबसे ज्यादा सीख देने वाला किस्सा था. लोग कहते हैं कि पुलिस बुलाएं, मदद के लिए चिल्लाएं, लेकिन इतने समय में तो हरकत करने वाला भाग ही जाएगा न. उसे उसी समय क्यों न पकड़ लिया जाए, क्यों न उसे उसी समय सज़ा दी जाए. अगर उसे पकड़ेंगे नहीं, तो पुलिस भी क्या ही कर लेगी.

जिस समय हैरेस्मेंट होता है उस समय एक लड़की को शायद जिस नंगेपन का अनुभव होता है वो किसी से बता नहीं सकती. एक पल के लिए लगता है कि वो मर जाए, न जाने कितने घंटों, हफ्तों, महीनों तक उस वहशी का हाथ अपने शरीर में महसूस कर पाती है वो लड़की. पहले ही शर्म और लिहाज के पर्दों में घिरी वो लड़की खुद और और भी ज्यादा बेबस महसूस करने लगती है.

ये होने के बाद लगता है कि न जाने क्या-क्या किया जा सकता था, लेकिन वो कर न पाई. ये टीस हमेशा के लिए रह जाती है कि आखिर क्या-क्या कर सकती थी वो. उस दरिंदे को सबक सिखाने के लिए, लेकिन हमारे देश में हमारे दिमाग को ऐसी शिक्षा नहीं दी जाती कि वो एकदम से कुछ भी रिएक्ट करे. उसे तो समझाया जाता है कि चुप रहो, कुछ न कहो, वर्ना आगे चलकर और समस्या हो जाएगी. शायद यही कारण है कि लड़कियों का रेप हो जाता है, उनपर एसिड फेंक दिया जाता है, उन्हें एक मजबूर जिंदगी जीने के लिए छोड़ दिया जाता है क्योंकि आखिर यहां अगर कोई एक लड़की आवाज़ भी उठाए तो उसका साथ देने के लिए कोई नहीं आएगा.

यही तो कारण है कि वो अपने घर, गली, शहर, देश में सुरक्षित घूम भी नहीं पातीं. सोचने वाली बात है कि आखिर 2018 में भी हम अपनी बच्चियों में ये हिम्मत नहीं डाल पाए हैं.

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