New

होम -> समाज

 |  5-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 29 मई, 2018 01:46 PM
आईचौक
आईचौक
  @iChowk
  • Total Shares

भारत में एक लड़की का पैदा होना आम बात है, लेकिन एक लड़की का संस्कारी, सभ्य और समाज के अनुसार बड़ा होना बहुत मुश्किल है. कारण ये है कि समाज लड़कियों से कभी खुश नहीं हो सकता. समाज ने लड़कियों के लिए तय पैमाने बना कर रखे हैं जिनमें अगर कोई लड़की जरा सी भी ऊपर-नीचे हुई तो उसे कैरेक्टरलेस का तमगा मिल जाएगा. भले ही कोई लड़की रोड पर खड़ी होकर अपने भाई के साथ गोलगप्पे खा रही हो, तो उसे भी रास्ते से चलने वाले अनजान लोग एक बार ऐसी नजर से ही देखेंगे जैसे वो अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ खड़ी हो, और अगर वो वाकई अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ खड़ी हो जो कि कोई गलत बात नहीं तब तो लोग तौबा ही कर देंगे.

महिला, शरीर, बॉडी शेमिंग, सोशल मीडिया, रिसर्च, पीरियड

Quora पर इसी तरह का एक सवाल पूछा गया जिसमें उन सबसे खराब बात बताने को कहा गया जो भारतीय महिलाएं झेलती हैं. What’s the worst part of being a woman in India? ये सवाल देखने में बहुत आसान लगता है, लेकिन इसके अपने कई मतलब हो सकते हैं और यकीनन इसके जवाब तो असंख्य हो सकते हैं. इस सवाल के जवाब में कई लड़कियों ने अपने हाल बताए.

1. मां छोड़कर गई तो किसी ने नहीं पूछा, ब्वॉयफ्रेंड बनाया तो थप्पड़ पड़े...

Quora पर Sushmita Nath नाम की एक यूजर ने अपने मार्मिक दर्द को बताया. सुषमिता जब आठवीं में थीं तो एक दोपहर उनकी मां ने उनसे आकर पूछा कि वो मां के साथ रहना चाहती हैं या पिता के साथ, सुषमिता ने पिता को चुना और उनकी मां उन्हें छोड़कर चली गईं. मां के जाने के बाद पिता अक्सर देर से घर आते, शराब पीते और खाना बनाते थे. इन दोनों में कोई बात नहीं होती. अकेलेपन के कारण उन्होंने एक ब्वॉयफ्रेंड बना लिया जिससे वो बात कर सकें, पड़ोस की किसी आंटी ने एक दिन दोनों को बात करते देख लिया और पिता जी से शिकायत कर दी. ये वो आंटी हैं जिन्होंने मां के जाने के बाद एक बार भी सुषमिता का हाल नहीं पूछा.

महिला, शरीर, बॉडी शेमिंग, सोशल मीडिया, रिसर्च, पीरियड

स्कूल की दो टीचर्स जो मॉरल पोलिसिंग के लिए चर्चित थीं उन्होंने सुषमिता को थप्पड़ भी मारे और कहा कि वो ये सब बंद कर दें. ब्वॉयफ्रेंड ने भी उन्हें धोखा दिया और उससे किसी ने कुछ नहीं कहा. सुषमिता कैरेक्टरलेस घोषित हो गईं और स्कूल के लड़के भी उन्हें तंग करने लगे. हर बात में सिर्फ लड़कियों को ही सुनना पड़ता है और सिर्फ वही कैरेक्टरलेस कहलाती हैं. चाहें कोई बच्ची किसी लड़के से बात करे या कोई 50 साल की महिला जीन्स पहने या अपना कोई शौक पूरा करे.

2. हेयरकट नहीं करवा सकते क्योंकि शादी करनी है..

Gayathri Avinasiappan लिखती हैं कि इंजीनियरिंग फाइनल इयर में उन्हें बालों का लेयर कट करवाना था और अपनी मां को लेकर वो पार्लर गईं थीं. पार्लर वाली आंटी ने उन्हें लेयर कट करवाने से मना कर दिया क्योंकि उनकी शादी की उम्र हो गई है और शादी के वक्त बालों में चोटी या जू़ड़ा बनाने में दिक्कत होगी. उनकी मां भी इस बात को मान गईं और गायत्री बिना अपने मन का हेयरकट करवाए वापस आ गईं. उनकी मां चाहती थीं कि गायत्री चोटी बनाएं. हालांकि, 1 महीने बाद उन्होंने लेयर कट करवा लिया, लेकिन फिर भी पार्लर वाली की सोच समाज का आइना ही तो थी.

3. पीरियड्स के कारण बेइज्जती होना..

Tanvi Sharma का इस मामले में एक अलग ही उन्होंने अपनी जिंदगी के किस्से बताए.

पहला: एक रिश्तेदार के कारण..

पिछले साल अगस्त में मैं अपने एक कजिन के घर गई हुई थी और वहां पीरियड्स समय से पहले आ गई. मुझे बेड पर बैठने की मनाही थी. मैं किचन में नहीं जा सकती थी. हर वक्त एक प्लास्टिक की कुर्सी पर बैठना होता था जिसके कारण मेरी कमर में दर्द होने लगा. मुझे कभी इतना असहाय और बेइज्जत महसूस नहीं हुआ.

दूसरा: मां के द्वारा..

मैं हाल ही में मथुरा-वृंदावन की ट्रिप पर गई थी वहां मेरे पीरियड्स के कारण मुझे हफ्ते में दो बार अपने बाल धोने पर मजबूर किया गया. मैं अपनी मां को समझाना चाहती थी कि ये जरूरी नहीं है पर मेरी सुनी नहीं गई. तुलसी की माला खरीदने से मुझे रोक दिया गया क्यों? क्योंकि मैं एक महिला हूं जिसके पीरियड्स होते हैं. तो क्या मैं अपने जनांग हटा दूं तुलसी की माला खरीदने के लिए.

ये वाकई तकलीफ देता है. मुझे ऐसा लगता है कि मैं एक गुड़िया हूं जिसका जन्म सिर्फ खून बहाने, बेइज्जत होने और एक नई जिंदगी को जन्म देने के लिए हुआ है. पीरियड्स में कई लोगों को बहुत दर्द होता है, उन्हें तकलीफ होती है, बच्चे को जन्म देते वक्त काफी दर्द होता है, लेकिन महिलाएं ये सहती हैं.

हम कुछ इज्जत चाहते हैं उसके एवज में. मुझे नहीं लगता मैं बहुत कुछ मांग रही हूं इस समय. आखिरी बात. पीरियड्स गंदगी नहीं होते. अगर आपको लगता है कि खून बहाने वाली महिला गंदी है या गलत है तो आप गलत हैं और गंदे हैं क्योंकि आप भी उसी खून का नतीजा है. ये फालतू बातें बंद कर दीजिए.

महिलाएं भले ही पढ़ी-लिखी हों या अनपढ़ हों, शहरों में रह रही हों या गांव में भारतीय सोसाइटी में रह रही महिलाओं के लिए पैमाने कहीं न कहीं एक जैसे ही हो जाते हैं. कहीं न कहीं उनके दिमाग में ये जरूर आ जाता है कि काश वो लड़का होतीं.

ये भी पढ़ें-

खाने के तीन प्रकार, जो पीरियड पर 3 तरह से असर करते हैं

मुझे बचा लो मां, क्योंकि अब मैं बड़ी हो रही हूं...

लेखक

आईचौक आईचौक @ichowk

इंडिया टुडे ग्रुप का ऑनलाइन ओपिनियन प्लेटफॉर्म.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय