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Updated: 24 सितम्बर, 2021 03:51 PM
ज्योति गुप्ता
ज्योति गुप्ता
  @jyoti.gupta.01
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साड़ी पहनने पर रेस्त्रां में जाने की अनुमति नहीं (restaurant denies entry to woman in saree) है, शॉर्ट्स पहनने पर कॉलेज को ऐतराज है, आखिर जमाना लड़कियों से चाहता क्या है? पता नहीं लोगों के दिमाग में मॉडर्न महिला की परिभाषा क्या है? क्या साड़ी पहनने वाली महिला मॉडर्न नहीं होती? या कोई मॉडर्न महिला साड़ी नहीं पहनती?

अपने ही देश में साड़ी का इस कदर अपमान? आज भी जब किसी भारतीय नारी को सबसे सुंदर दिखना होता है तो वो साड़ी का चुनाव करती है. माना जाता है कि साड़ी में कोई भी महिला बहुत खूबसूरत लगती है. हम लड़कियां रोज साड़ी नहीं पहनतीं लेकिन जब भी कोई खास मौका होता है तो साड़ी हमारी पहली पसंद होती है. साड़ी हमारा प्यार है गूरूर है. साड़ी को कोसने वाले लोगों ने शायद लॉकडाउन के समय साड़ी चैलेंज नहीं देखा?

असल में दिल्ली में इन दिनों साड़ी की चर्चा हो रही है. हुआ यूं कि अंसल प्लाजा स्थित अक्विला रेस्टोरेंट में साड़ी पहनकर आई महिला को रेस्टोरेंट ने अंदर आने से यह कहकर मना कर दिया कि हमारे यहां साड़ी पहनकर आने वालों की अनुमति नहीं है, क्यों भाई अब आपको साड़ी से क्या चिढ़ है?

साड़ी, रेस्त्रां, दिल्ली में साड़ी विवाद, social media video viral, restaurant denies entry to woman in saree, restaurant saree controversy, saree controversy in delhiसाड़ी और शॉर्ट्स दोनों से क्या दिक्कत है?

चिढ़ तो लोगों को छात्राओं के शॉर्ट्स पहनने से भी है. हाल ही में असम के सोनितपुर जिले में एक 19 साल लड़की प्रवेश परीक्षा के लिए अंदर जाने से मना कर दिया क्योंकि उसने शॉर्ट्स पहना था. हैरानी की बात है कि वह पेपर देने अपने पिता के साथ गई थी. उसके पिता को तो उसके शॉर्ट्स पहनने से कोई दिक्कत नहीं थी. कॉलेज वालों ने पिता को बाजार से फुल पैंट खरीदकर लाने को कहा. वे बाजार पैंट खरीदने भी गए, क्योंकि उनके लिए बेटी का पेपर देना बहुत जरूरी था. इसके बाद पेपर देने में देरी हो रही थी, दो अन्य छात्राओं ने युवती को पर्दा लपेटने को कहा. मजबूरी में उस छात्रा को पर्दा लपेटकर पेपेर देना पड़ा. जैसे उसने कोई जुर्म कर दिया हो.

आज की लड़कियां अपनी सहूलियत के हिसाब से जींस भी पहनती हैं और साड़ी भी. जींस पहनने का यह मतलब नहीं है कि उन्होंने अपनी संस्कृति को छोड़ दी है. दूसरी तरफ ये कहां से लोगों के दिमाग में आ गया है कि साड़ी पहनने वाली महिलाएं स्मार्ट नहीं होतीं? आज भी भारत में महिलाएं सबसे ज्यादा साड़ी ही पहनती हैं.

लोगों ने ये कैसे सोच लिया है कि साड़ी स्मार्ट कैजुअल नहीं है. हमने चंद सेकेण्ड की इस वीडियो को कई बार देखा कि शायद कहीं हम गलत तो नहीं सुन रहे, कहीं इनके कहने का मतलब तो कुछ नहीं है, लेकिन इस वीडियो में साफ दिख रहा है कि रेस्ट्रों में काम करने वाली कर्मचारी कह रही है कि ‘बात बस इतनी है कि साड़ी स्मार्ट कैजुअल नहीं है, हमारे यहां सिर्फ स्मार्ट कैजुअल की ही परमिशन है’.

एक तरफ शॉर्ट्स पहनने वाली लड़की को परीक्षा हॉल में एंट्री नहीं दी गई और अब साड़ी पहनकर रेस्ट्रों में जाने पर बैन लगा दिया...लोगों को कब समझ आएगा कि माडर्न सिर्फ अच्छे कपड़े पहनने से नहीं बनते, मॉडर्न तो लोग अपने दिमाग और प्रगतिशील सोच से बनते हैं.

वहीं अब रेस्त्रां ने सफाई दी है कि उस रात हुआ क्या था. रेस्त्रां का कहना है कि साड़ी पहनने वाली महिला ने उनके स्टाफ को थप्पड़ मारा था. जबकि हमारी एक कर्मचारी ने साड़ी को लेकर कुछ टिप्पड़ी की थी, हम उसके लिए माफी मांगते हैं.

दूसरी तरफ ट्वीटर पर अपने साथ हुई इस घटना की वीडियो शेयर करने वाली अनीता चौधरी का कहना है कि रेस्त्रां वाले झूठ बोल रहे हैं. मैं अपनी बेटी का बर्थ डे मनाने गई थी, टेबल भी बुक किया था. मुझे साड़ी में देखकर ही वे घूरने लगे थे फिर बेटी को साइड में बुलाकर ले गए और हमें अंदर जाने से मना कर दिया. उनका कहना था कि 'साड़ी स्मार्ट कैज़ुअल वेयर में नहीं आता.'

आप भी देखें अनीता का क्या कहना है-

समझ नहीं आता कि अपने देश में साड़ी पहनने पर इज्जत कैसे कम हो जाती है? लड़कियां जींस पहन लें तो असंस्कारी हो जाती हैं. लड़कियां तेज बोल दें तो दिक्कत, खुलकर जरा जोर से हंस दें तो दिक्कत, लड़कियों के दोस्त हों तो दिक्कत, शादी में थोड़ी देरी हो तो दिक्कत, प्रेम विवाह करें तो दिक्कत, लड़की की लंबाई लड़के से बड़ी हो तो दिक्कत, होने वाली दुल्हन अपने दूल्हे से उम्र में बड़ी हो दिक्कत. पत्नी की सैलरी पति से ज्यादा हो तो दिक्कत...आखिर ये लोग औरतों से चाहते क्या हैं? किस जमाने में जी रहे हैं ये लोग?

जब घरवालों को दिक्कत नहीं है, माता-पिता को दिक्कत नहीं है तो फिर पड़ोसी, रिश्तेदार और समाज को क्यों परेशानी है? एक तरफ तो खुद को मॉडर्न बोलते हैं, दूसरी तरफ यह ओछी सोच...उफ्फ सिर्फ बातें करने से हम मॉडर्न नहीं हो जाएंगे, कुछ बातों को जिंदगी में अपनाना भी पड़ेगा.

जो साड़ी भारत की परंपरा है, जिसे विदेशी भी सम्मान मिलता है, उसे पहनने पर अपने ही देश मे किसी को क्यों झेपना पड़े? कोई दूसरा क्यों तय करे कि किसी महिला को क्या पहनना है? उसकी मर्जी है, चाहें साड़ी पहनें या जींस...

लेखक

ज्योति गुप्ता ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01

लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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