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Updated: 17 अप्रिल, 2021 10:17 PM
ज्योति गुप्ता
ज्योति गुप्ता
  @jyoti.gupta.01
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देश के कई राज्यों में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इसी बीच आरटी पीसीआर टेस्ट (RT PCR Test ct value) पर बहस छिड़ गई है. असल में मरीज, कोरोना पॉजिटिव है या नहीं इसका पता आरटी पीसीआर टेस्ट के जरिए लगाया जा रहा है. कोरोना संक्रमण के टेस्ट के लिए (RT PCR Test) को ही सबसे सही जरिया माना जा रहा है. इससे संक्रमण की लगभग सही-सही जानकारी मिलती है.

हाल ही में महाराष्ट्र के स्वास्थ्य सचिव, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के प्रमुख डॉ. बलराम भार्गव को एक पत्र में कहा गया है कि इसके ((CT) निर्धारित नमूने की वजह से कोविड पॉजिटिव की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है.

दरअसल, मुंबई में कोरोना पॉजिटिव के बढ़ते आंकड़े को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने आईसीएमआर से यह निवेदन किया था कि RT PCR Test में साइकिल थ्रेशहोल्ड यानी सीटी वैल्यू (Ct Value) के कट ऑफ की निर्धारित सीमा को घटाकर 24 कर दें जो अभी 35 है. हालांकि इस निवेदन को आईसीएमआर ने खारिज कर दिया था.

Coronavirus ct value in RT PCR test, RT PCR test, RT PCR test CT value, Coronavirus, Covid -19CT के आधार पर तय होता है मरीज कोविड पॉजिटिव है या नेगेटिव

असल में सीटी वैल्यू जितना कम होगा, वायरस का खतरा उतना ही ज्यादा होता है. आरटी पीसीआर टेस्ट में अगर सीटी वैल्यू 35 लिखा है तो इसका मतलब है कि मरीज नेगेटिव है. वहीं अगर सीटी वैल्यू 35 से नीचे है तो कोरोना मरीज पॉजिटिव होता है. आरटी-पीसीआर टेस्ट के सीटी वैल्यू से ही पता चलता है कि कोरोना पॉजिटिव मरीज में वायरस का कितना प्रभाव है.

सीटी वैल्यू से ही यह जानकारी मिलती है कि पेशेंट के अंदर बीमारी का कितना खतरा है. वह डेंजर जोन में है या खतरे से बाहर. सीटी वैल्यू रेट के हिसाब से ही डॉक्टर मरीज की हेल्थ कंडीशन को समझते हैं और उनका इलाज करते हैं.

सीटी वैल्यू की अचानक चर्चा तब शुरू हुई जब महाराष्ट्र सरकार ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के सामने इसके निर्धारित सीमा जो अभी 35 है, इसे लेकर मुद्दा उठाया. महाराष्ट्र सरकार का तर्क था कि निर्धारित सीमा घटाने से कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों की संख्या में कमी होगी. वहीं आईसीएमआर (ICMR) का मानना है कि सीटी कट ऑफ वैल्यू रेट कम होने की वजह से स्थिति कन्फ्यूजन पैदा करने वाली हो जाएगी, क्योंकि ऐसे में बहुत सारे मरीज छूट जाएंगे.

आईसीएमआर के epidemiology and communicable diseases head डॉ. समीरन पांडा का कहना है कि, "अगर आप सीटी वैल्यू रेट कम करते हैं तो किसी व्यक्ति की रिपोर्ट तो नेगेटिव आ जाएगी. उसमें वायरल लोड कम होगा लेकिन वह अभी भी संक्रमित होगा. वह दूसरों के लिए एक गंभीर समस्या पैदा कर देगा. उसे लगेगा कि उसकी रिपोर्ट तो नेगेटिव है यानी वह ठीक है. वह ना खुद को आइसोलेट करेगा ना ही अपना इलाज करवाएगा. इस तरह वह अपने परिवार और समाज के दूसरे लोगों में इंफेक्शन फैलाने का काम करेगा."

क्या वर्तमान सीटी वैल्यू की गाइडलाइन

जिस व्यक्ति का सिटी वैल्यू 35 या उससे कम है वही कोरोना पॉजिटिव की कैटेगरी में आता है. यानी 23 से 35 की वैल्यू यानी मरीज खतरे से बाहर है. वहीं CT वैल्यू 15 से कम होने पर मरीज को ऑक्सीजन बेड और 10 से कम होने पर उसे आईसीयू बेड की जरूरत होती है.

हालांकि सीटी वैल्यू की कई कमियां भी हैं. यह मरीज के हेल्थ हिस्ट्री पर भी डिपेंड करता है. कई बार कम सिटी वैल्यू वाले मरीज की हालत सही रहती है और ज्यादा वैल्यू वाले डेंजर जोन में होते हैं. यह जांच की पूरी प्रक्रिया पर भी डिपेंड करता है. जैसे- संक्रमण के कितने दिन बाद, किस तरह सैंपल लिया गया और कितने सुरक्षित तरीके से टेस्ट के लिए ट्रांसपोर्ट किया गया. सबसे जरूरी बात, आखिर में कितने सही तरीके से इसका एनालिसिस किया गया. इसलिए हम तो यही कहेंगे, अपना खूब ध्यान रखिए ताकि इस जांच की आपको जरूरत ही ना पड़े.

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लेखक

ज्योति गुप्ता ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01

लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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