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Updated: 04 जून, 2017 10:47 AM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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प्रेम एक ऐसी अनुभूति है जो जात - पात धर्म समुदाय के बंधन से परे होती है. जब व्यक्ति प्रेम में होता है तो उसे अपने चारों ओर बस प्रेम ही प्रेम दिखता है. प्रेम की सबसे खास बात ये है कि प्रेम के क्षणों में प्रेमी से लेके प्रेमिका तक किसी की भी ये कामना बिल्कुल नहीं रहती कि वो एक दूसरे का अहित चाहें. बात अगर भारत में प्रेम की हो तो ये देश आज भी राधा - कृष्ण, हीर - रांझा, सोनी - महिवाल, लैला - मजनू की कहानियां सुन मंत्र मुग्ध हो जाता है. अजंता - एलोरा से लेके खजुराहो तक प्रेम के अंतर्गत आज भी ऐसा बहुत कुछ है जो किसी भी व्यक्ति को आश्चर्य में डाल सकता है.

प्रेम न तो भद्दा होता है, न घटिया. न ही प्रेम का उद्देश्य देश की सभ्यता और संस्कृति को खराब करना है. कहा जा सकता है कि आज हमारे इस समाज में ऐसे लोग बहुतायत से मिलेंगे जिनको लगता है कि देश में सारी बुराइयों और कुप्रथाओं की जड़ प्रेम ही है. ध्यान रहे कि आज के जो हालात हैं उनमें प्रेम की नहीं बल्कि सिर्फ और सिर्फ नफरत की जगह है. व्यक्ति नफरत कर रहा है तो ठीक है मगर कहीं उसने प्रेम कर लिया तो बड़ी आफत है.

बहरहाल, इस बीच प्रेम पर जो अजीब-ओ-गरीब खबर सुनने में आ रही है वो हैरत में डालने वाली है. खबर है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने एक ऐसा बयान दिया है जिसने एक नए विवाद को जन्म देखर न सिर्फ सोशल मीडिया बल्कि सक्रीय मीडिया तक सबको हैरत में डाल दिया है.

भारत, समाज, रेप, आरएसएस, वैलेंटाइन डे संघ नेता ने कहा वैलेंटाइन डे के कारण होते हैं रेप

आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ने रेप, बच्चों के खिलाफ अपराध और महिलाओं से हिंसा के लिए भी वैलेंटाइन डे को जिम्मेदार माना है. इंद्रेश ने कहा है कि इस देश में रेप का कारण सिर्फ और सिर्फ वैलेंटाइन डे जैसे विदेशी त्यौहार है जो हमारी सभ्यता और संस्कृति का नाश कर रहे हैं. आपको बताते चलें कि ये बयान इंद्रेश कुमार ने जयपुर में स्वयंसेवकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा होने के बाद आयोजित एक समारोह में कही.

हो सकता है इंद्रेश सही हों और उनकी कही सारी बातें भी सही हों. यदि इंद्रेश की बात पर गौर किया जाए तो उनकी बात सुनकर मन विचलित हो जाता है और जहन कई अलग - अलग प्रश्नों के उत्तर तलाशने को मजबूर हो जाता है. इंद्रेश की बात के बाद प्रश्न ये उठता है कि यदि कोई व्यक्ति किसी 6 माह की बच्ची या फिर 65 - 70 वर्ष की महिला से रेप करता है या यौन हिंसा में लिप्त पाया जाता है तो इसके पीछे वैलेंटाइन डे कहाँ तक जिम्मेदार है.

हो सकता है ये बात इंद्रेश ने मीडिया में चर्चा में रहने के लिए करी हो और वो ये भूल गए हों कि हमेशा ही भारतीय संस्कृति ने लोगों को महिलाओं की इज्ज़त करने का मार्ग दर्शाया है जिसका निर्वाह लोग कर भी रहे हैं.

यदि रेप, यौन हिंसा, बाल शोषण जैसे बिन्दुओं पर गौर करें तो मिलता है कि इसके पीछे न तो वैलेंटाइन डे जैसे पर्व ही शामिल हैं न कुछ और. ये सब बस एक कुंठित मानसिकता का नतीजा है. अंत में हम यही कहेंगे कि इन समस्याओं से व्यक्ति को निजात तब ही मिल सकती है जब एक मां स्वयं अपने बेटे को अपनी बहन के अलावा तमाम महिलाओं की इज्जत करना सिखाए. साथ ही वो उन्हें ये एहसास दिलाए कि घर की चीजों में जितना अधिकार उसका है उतना ही उसकी बहन का है.

यदि ऐसा होता है तो ठीक है अन्यथा रेप हो ही रहे हैं किसी न किसी बहाने से हम उन्हें उचित ठहराना जानते ही हैं. 

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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