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Updated: 29 जून, 2016 07:18 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
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हर तरफ बॉलीवुड एक्टर तुषार कपूर के पिता बनने की खबर छाई हुई है. इस पूरे मामले की खास बात ये है कि तुषार अभी कुंवारे हैं. तुषार पिता तो बनना चाहते थे लेकिन शादी नहीं करना चाहते थे. इसलिए उन्होंने सरोगेसी प्रोसेस का सहारा लिया और एक बेटे के पिता बन गए. बेटे का नाम लक्ष्य रखा गया है. एक तरफ कपूर खानदान में बधाइयों का सिलसिला जारी है, वहीं आलोचनाओं के सुर भी धारे-धीरे कान में पड़ने लगे हैं कि तुषार ने ऐसा क्यों किया.

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 सेरोगेसी के जरिए बने पिता

किसी जरूरतमंद की मदद के लिए वरदान बनी सेरोगेसी क्या अब अमीरों के लिए फैशन बन गई है? इससे पहले आमिर खान और किरण राव सरोगेट मदर के जरिए मात-पिता बन चुके हैं. शाहरुख खान और गौरी भी सेरोगेसी के जरिए अबराम के पिता बने थे. पर तुषार के मामले वो अकेले पिता बने हैं, यानी सिंगल पेरेंट. यहां बच्चे का जिक्र है, पिता का जिक्र है, लेकिन उस इंसान का कोई जिक्र नहीं है जो बच्चे को दुनिया में लाने के लिए ही जानी जाती है. इस पूरे मामले में मां कहीं नहीं है. ये अपने आप में पहला ऐसा मामला है जहां मां के अस्तित्व को पूरी तरह से नकार दिया गया है. और हो न हो समाजिक विघटन में ये घटना एक अहम भूमिका निभा सकती है.

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तुषार कहते हैं कि 'अब हमारा परिवार पूरा हो गया, अब हम पांच हो गए, दादा-दादी, मैं, बहन एकता और छोटा लक्ष्य.' इस वाक्य में ही तुषार की अपरिपक्वता झलकती है. अगर एक परिवार में बच्चा है तो बिना मां के वो परिवार पूरा कैसे हो सकता है. अकेले रहना अपनी निजी पसंद हो सकती है. माना कि तुषार को अपने जीवन में एक महिला की कोई जरूरत नहीं है, न शादी के लिए और न ही बच्चा पैदा करने के लिए. पैसे से हर काम हो सकता है, बच्चा पैदा करने के लिए कोख भी मिल सकती है और बच्चा संभालने के लिए गवर्नेस भी. लेकिन पैसे से एक मां नहीं खरीदी जा सकती.

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 ट्विटर पर पिता बनने की जानकारी दी

एक बच्चे के लिए मां की अहमियत क्या है, उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता. नौ महीने कोख में रखकर बच्चे को अपने खून से सींचती मां, सिर्फ उसे जन्म नहीं देती बल्कि जीवन भर उसकी ढाल बनी रहती है. मां जैसी ममता कोई गवर्नेस नहीं दे सकती. दुनिया में बहुत से बच्चों को मां का प्यार नहीं मिलता, लेकिन तुषार ने तो जानबूझकर एक बच्चे से उसका ये हक छीना है. बच्चे के जीवन में एक पिता की जितनी अहमियत है उतनी ही एक मां की भी. लेकिन यहां न तो सिंगल पेरेंट बनना मजबूरी था और न ही बच्चे को जन्म देना. ये शायद तुषार के लिए सिर्फ एक एडवेंचर था.  

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यहां सवाल ये भी उठे कि अगर तुषार को पिता बनने का इतना ही शौक था तो उन्होंने किसी बच्चे को गोद क्यों नहीं ले लिया. शायद इससे किसी बच्चे का भविष्य संवर जाता. लेकिन इसपर तुषार का साफ-साफ कहना था कि वो बच्चा गोद नहीं लेना चाहते थे, बल्कि अपना खुद का बच्चा चाहते थे. इंसानों में सबसे बड़ी इच्छा अपने जीन कोड को आगे बढ़ाना ही है, और तुषार कपूर भी अपने मन में इसी इच्छा को पाले थे. बच्चा चाहिए लेकिन शादी का बंधन नहीं. काश सुष्मिता सेन से कुछ सीख पाते तुषार.

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 अपने दादा जीतेंद्र के साथ लक्ष्य की पहली तस्वीर

दुनिया के हर मां-बाप की तरह, जीतेंद्र और शोभा कपूर की नजरों में भी उनका 39 साल का बेटा तुषार कपूर फक्र करने लायक बेटा है. भले उनका कॅरियर उतना सफल नहीं रहा. लेकिन जब अपने जीवन में हीरो बनने का वक्त आया तो यहां भी तुषार असफल ही रहे. वो पिता तो बन गए लेकिन सिगल पेरेंट बनने की धुन में अपने ही बच्चे के साथ अन्याय कर बैठे. आज एक सिंगल पेरेंट बनने पर तुषार जितना उत्साहित होकर ये सब बता रहे हैं, कल को जब बच्चा अपनी मां के बारे में पूछेगा तो क्या इसी उत्साह से उसे जवाब दे पाएंगे?

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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