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Updated: 26 फरवरी, 2022 12:51 PM
ज्योति गुप्ता
ज्योति गुप्ता
  @jyoti.gupta.01
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गर्भपात (miscarriage) शब्द सुनकर ही दिमाग सिहर जाता है. किसी महिला को बच्चा चाहिए होता है या फिर नहीं चाहिए होता है. जब कोई महिला गर्भवती होती है तो अपने आने वाले बच्चे के सुनहरे सपने देख रही होती है. वह अपने पति के साथ मिलकर बच्चे के लिए नाम सोच रही होती है. वह सोचकर ही चहक उठती है कि वह कुछ महीनों में मां बनने वाली है. उसकी सारी बातें अपने आने वाले बच्चे पर ही जाकर रूक जाती है. वह डॉक्टर की बताई गईं एक-एक छोटी-छोटी चीजों का ध्यान रख रही होती है.

वह बच्चे के लिए कपड़े, दूध की बोतल, मोजे का इंतजाम करने लगती है. वह अपने बच्चे का इस दुनिया में आने का इंतजार करती है, लेकिन उसके सभी सपनें जब टूट जाते हैं जब अचानक उसका मिसकैरेज हो जाता है. वह अपने बच्चे को पाने से पहले ही उसे खो देती है. मिसकैरेज होने के बाद वह कुछ दिनों के लिए चुप हो जाती है. वह रोकर अंदर ही अंदर कुढ़ती रहती है. उसे अपने अंदर कुछ खाली सा लगता है और इसलिए वह किसी से बात तक नहीं करना चाहती. मिसकैरेज का दर्द उसे अपने बच्चे को खोने से कम लगता है.

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मैं यह सब लिख रही हूं हो तो ऐसी 3,4 महिलाओं का चेहरा मेरी आंखों के सामने बार-बार आ रहा है जिन्होंने इस दर्द को सहा है. उनके उदास चेहरे और सूनी आंखें...ऐसा लगता है शांत होकर भी कितने सवाल करती हैं क्योंकि इन महिलाओं को इनके मिसकैरज के लिए कहीं ना कहीं दोषी बनाया गया. एक तो इन्होंने अपने बच्चे को खाया ऊपर से इनके ऊपर यह इल्जाम लगा कि तुम्हारी गलती के वजह से आज हमने बच्चे को खो दिया.

शायद, हर महिला के साथ ही होता है कि जब उसका मिसकैरेज हो जाए या वो मां न बने तो क्या घरवाले और क्या बाहरवाले सब उसे ही ब्लेम करते हैं.

रीता आंटी के घरवालों को बेटा चाहिए था लेकिन उनकी तीन बेटियां हो गईं. इसके बाद बेटे की चाह में उनका गर्भपात करा दिया जाता. उनके पति दवाई लाकर देते और उन्हें खाना ही पड़ता. दो बार ऐसा हुआ लेकिन तीसरी बार जब वह गर्भवती हुईं तो 4 महीने बाद अपने आप उनका मिसकैरेज हो गया. हालात इतनी खराब थी कि रात के 2 बजे उन्हें एडमिट करना पड़ा. जब वे अस्पताल में थीं तो सब उन्हें ही ब्लेम कर रहे थे कि इसने ही लापरवाही कर दी. अगर यह ध्यान रखती तो ऐसा नहीं होता...उनकी आंखों से बस आंसू बह रहे थे.

सोनी की 6 साल की बेटी है. उसके ऊपर अब दूसरा बच्चा करने के लिए घरवालों ने दबाव बनाना शुरु कर दिया. वह एक ही संतान चाहती थी लेकिन समाजिक दबाव के कारण उसने खुद को दूसरे बेबी के लिए तैयार किया. सोनी को घर के सभी काम करने पड़ते. इसके कुछ ही दिनों पहले उसे कोरोना हो गया था. वह कमजोर थी और जांच में पता चला कि उसे थायराइड भी है. उसे घरवालों के साथ ट्रेवल भी करना पड़ा. इसके बाद घर के फंक्शन में बहुत काम करना पड़ा, एक दिन उसे तेज दर्द और इतनी ब्लीडिंग हुई कि वह बाथरूम में कांपती हुई बेहोश हो गई. उसे लगा शायद वह मरने वाली है. उसने अपने घर फोन लगाया इसके बाद उसे अस्पताल पहुंचाया गया. उसने बहुत कोशिश की थी लेकिन वह अपने होने वाले बच्चे को नहीं बचा पाई. जब वह अस्पताल से घर आई तो सभी ने इसके लिए उसे ही जिम्मेदार माना. हमारे घर में काम ही क्या है? इतनी कमजोर है तो बच्चा कैसे होगा. हमारे जमाने में हम भी काम करते थे...आजकल की लड़कियां किसी की बात कहां मानती हैं...

मीनू भाभी पर बच्चा होने का इतना दबाव था कि शादी के 3 महीने बाद ही वे मां बन गईं लेकिन पहली बार ही उनका मिसकैरेज हो गया. इसके बाद हर बार वे प्रेगनेंट होतीं और हर बार उनका मिसकैरेज हो जाता जबकि वे शारीरिक रूप से मजबूत थीं. सभी लोग एक ही बात करते कि यह मां नहीं बन रही है. इसके अंदर कुछ कमी है. एक बार बोता है समझ में आता है इसका तो हर बार का है. ये बांझ है कभी मां बनना ही नहीं चाहती है. वे छुप-छुपकर रोती थीं और हमेशा उदासी और चिंता में रोती रहती थीं.

एक लड़की जिसकी लव मैरिज की और शादी के बाद अपने ससुराल चली गई. शादी के 1 साल तक तो सब ठीक था लेकिन इसके बाद उसे बच्चे के लिए टोका जाने लगा. लव मैरिज के कारण उसके ससुराल वाले उसे खास पसंद नहीं करते थे. उसने इस चक्कर में अपनी नौकरी भी छोड़ दी. वह हमेशा खुद में कोई रहती. उसने लोगों से मिलना-जुलना कम कर दिया. वह फोन पर कम ही बात करती. उसने डॉक्टर को दिखान शुरु किया. उसे गांठ की समस्या थी, हर बार वह चाहती थी कि उसका पीरियड न आए. 6 महीने बाद वह दो महीने की प्रेग्नेंट थी. वह घर का काम भी करती. एक दिन उसका मिसकैरेज हो गया जिसके बाद वह डिप्रेशन में चली गई. हालांकि पति ने साथ दिया लेकिन ससुराल के लोगों ने खूब ताने मारे.

नैनतारा की शादी अभी 6 महीने पहले ही हुई थी. वह अपने ससुराल में खुश थी. वह प्रेग्नेंट हुई लेकिन उसका मिसकैरेज हो गया. असल में उसका रूम नीचे वाले फ्लोर पर और किचन ऊपर था. वह घर में अकेले बहू थी. उसे ही सारा काम करना पड़ता था. वह दिन भर सीढ़ियां ही चढ़ती रहती. उसे किसी ने डॉक्टर से भी नहीं दिखाया और ना कोई जांच करवाई लेकिन जब गर्भपात हो गया तो सभी ने कहा कि इसमें नैनतारा की ही गलती है. उसी ने लापरवाही की है, उसे बच्चा नहीं चाहिए था. वह बहुत दुखी हुई और हमेशा हंसने वाली नैनतारा एकदम शांत हो गई.

असल में जो अपना बच्चा खोने वाली महिला एक तो पहले से ही टूटी रहती है ऊपर से मिसकैरेज के लिए उसे दोषी ठहराकर उसका दिल और तोड़ दिया जाता है. जब उसे अपनों की जरूरत होती है. जब उसे इमोशनली सपोर्ट चाहिए होता है तो परिवार वाले उसे अकेला छोड़ देते हैं. साइकोलोजिस्ट तो दूर की बात है उसे तो उसका पति ही नहीं समझता है ताकि वह अपने मन की बात उससे शेयर कर सके.

सिर्फ आम महिलाएं ही नहीं कई बॉलीवुड अभिनेत्रियों ने भी मिसकैरेज का सामना किया है. 90 के दशक की मशहूर अभिनेत्री महिमा चौधरी ने बताया था कि उनका दो बार मिसकैरिज हुआ है. उनके पति ने साथ नहीं दिया. 'मुझे पति का सपोर्ट नहीं मिला. कई बार लोग असंवेदनशील हो जाते हैं.'

तो अगली बार जब किसी महिला के मिसकैरेज पर सवाल उठाने से पहले यह याद कर लीजिएगा कि उसकी शारीरिक और मानसिक हालत क्या है? यह सिर्फ पुरुषों के लिए नहीं महिलाओं के लिए भी है क्योंकि मिसकैरेज की तकलीफ को महिलाएं अच्छी तरह समझती हैं फिर जब दूसरी महिला दर्द में रहती है तो उसे ही ब्लेम क्यों करती हैं. चाहें वह बहू हो, बेटी हो, बहन हो, भाभी हो, जेठानी हो या फिर देवरानी, है तो एक मां ही...

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लेखक

ज्योति गुप्ता ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01

लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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