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Updated: 05 अप्रिल, 2018 05:06 PM
अशरफ वानी
अशरफ वानी
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जम्मू कश्मीर के बांदीपोरा जिले के हाजिन इलाके में बुधवार देर रात लश्कर के आतंकियों ने अब्दुल गफ्फार धार के घर में घुसकर उनके परिवार की पिटाई की और उसके बाद उन्हें और उनके 21 वर्षीय बेटे मंज़ूर अहमद को अगवा करके ले गए. अब्दुल गफार आतंकियों के चंगुल से भाग निकलने में कामयाब रहे, बावजूद उसके कि उसपर आतंकियों ने गोली मारी लेकिन उनका बेटा अभी भी आतंकियों के कब्ज़े में है.

man kidnappedमंज़ूर अहमदअब भी आतंकियों के कब्जे में है

अब्दुल गफ्फार का इलाज श्रीनगर के एक अस्पताल में चल रहा है और उनके बेटे की तलाश में पुलिस बांदीपोरा के कई इलाकों को खंगाल रही है. इसी हफ्ते सोमवार को भी देर रात लश्कर के आतंकी फ़ारूक़ अहमद परे के घर में घुसे थेस जहां अंधाधुंध फायरिंग करके उनकी पत्नी और बेटी को घायल कर दिया था, जबकि उनके दामाद नसीर अहमद शेख का अपहरण करके घर से थोड़ी दूर ले जाकर गोली मारकर हत्या कर दी. परिवार की दोनों महिलाओं का अभी भी श्रीनगर के अस्पताल में इलाज चल रहा है. पिछले साल इसी परिवार के एक सदस्यीय मुज़फ्फर की भी आतंकियों ने हत्या कर दी थी.

naseer ahmadइसी हफ्ते नसीर अहमद शेख का अपहरण कर हत्या कर दी गई थी

दरअसल हाजिन बांदीपोरा पिछले कई सालों से लश्कर के आतंकियों का गढ़ रह चुका है. यहां पिछले कई सालो में लश्कर के कई प्रमुख कमांडर भी मारे गए. हाजिन बांदीपोरा में ही लश्कर प्रमुख ज़कीउर रहमान लकवी के भांजे ओवैद को 17 नवंबर 2017 को मारा गया था, उसी मुठभेड़ से कुछ दिन पहले यहां पर ही इंडियन एयरफोर्स के 2 कमांडो भी शहीद हुए थे, और पिछले साल ही हाजिन बांदीपोरा में ही छुट्टी पर आये बीएसएफ के एक जवान मुहम्मद रमजान की लश्कर के ही आतंकियों ने घर में घुसकर हत्या की थी.

पुलिस का कहना है हाजिन बांदीपोरा लश्कर के आतंकियों का गढ़ है और जो भी लश्कर आतंकी सीमा पार से घुसपैठ में सफल हो जाते है वह सबसे पहले बांदीपोरा ही आते हैं. यहां लश्कर के कई समर्थक भी मौजूद हैं और इसके अलावा यहां कुछ स्थानीय युवकों को लश्कर ने अपने आतंकी संघठन में शामिल भी किया हुआ है जिससे उन्हें इलाके को पहचानने और परखने में आसानी होती है.

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2017 में ऑपेरशन आल आउट के दौरान लश्कर के सबसे ज़्यादा आतंकी हाजिन और बांदीपोरा के ही इलाके में मारे गए थे जिन की तादाद 27 थी.

हाजिन में अब जिन परिवारों पर हमले हो रहे हैं उनपर आतंकियों को शक है कि वो पुलिस और सेना के मुखबिर हैं. इस बात में कितनी सचाई है ये तो कहना मुश्किल है लेकिन इतना तय है कि हाजिन बांदीपोरा लश्कर के लिए तोरा बोरा से कम नहीं. जिस तरह ओसामा बिन लादेन ने तोरा बोरा अफ़ग़ानिस्तान में अपना गढ़ बनाया था, लश्कर की भी कोशिश रही है वह हाजिन बांदीपोरा को आतंकी गढ़ बनाए.

वैसे हाजिन बांडीपोर वही गांव है जहां 20 साल पहले 1997 में आतंकवाद के खिलाफ कोका परे ने इखवान बनाकर सेना के समर्थन के साथ आतंकवादियों के खिलाफ लड़ाई के लिए एक फौज खड़ी की थी, जिस फौज का अब कश्मीर में कोई नामो निशां भी नहीं है.

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लेखक

अशरफ वानी अशरफ वानी @ashraf.wani.9

लेखक आजतक जम्मू-कश्मीर के ब्यूरो चीफ हैं

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