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Updated: 03 अगस्त, 2018 09:17 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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हमारा भारत देश कई देशों से अलग है. यहां जितने तरह के अलग-अलग लोग रहते हैं उतनी ही तरह के रीति-रिवाज और मान्यताएं भी हैं. किसी को पूजा-पाठ पर भरोसा होता है, तो कोई विज्ञान पर भरोसा रखता है, तो किसी को तांत्रिक पूजा सही लगती है. भारत में न जाने ऐसे कितने लोग हैं तो तंत्र विद्या पर भरोसा रखते हैं.

कोलकाता में एक ऐसा ही किस्सा सामने आया है जिससे पता चलता है कि आखिर तांत्रिक के झांसे में लोग क्या-क्या नहीं कर देते. कोलकाता में डॉक्टरों ने एक 14 साल की बच्ची के गले से 9 सुईयां निकाली हैं. शुरुआत में ये लगा कि शायद लड़की ने खुद सुई निगली है, लेकिन बाद में समझ आया कि ये एक-एक करके उस लड़की के गले में डाली गई हैं.

बेटा मरा तो बेटी को तांत्रिक के पास ले गए..

मामला बहुत पेचीदा दिखता है. नाडिया जिले के कृष्णानगर में रहने वाली आपरूपा बिस्वास कोलकाता के सरकारी अस्पताल में अपने माता-पिता के साथ इलाज करवाने पहुंचीं. हुआ कुछ यूं था कि आपरूपा के माता-पिता ने उसे बचपन में गोद लिया था. उनका एक बेटा भी था.

तीन साल पहले बेटे की मौत हो गई थी. आपरूपा तब से ही सहमी-सहमी सी रहती थी. उसका व्यवहार अचानक बदल गया. उसके बाद आपरूपा के माता-पिता ने एक तांत्रिक की सलाह लेने की सोची. ये एक तांत्रिक पूजा के दौरान ही हुआ था जब आपरूपा के गले में ये सुईयां डाली गईं.

अभी इस बारे में तो नहीं पता कि आखिर ये सुईयां माता-पिता के सामने डाली गईं थीं या नहीं, लेकिन शुरुआती पूछताछ में आपरूपा का परिवार ये बताने को तैयार नहीं था कि आखिर उसके गले में ये सुईयां आई कहां से? डॉक्टरों के अनुसार खुद आपरूपा ने बताया कि सुईयां तांत्रिक ने डाली थीं.

तांत्रिक, पूजा, धर्म, रिवाज, साधना, कोलकाताआपरूपा के गले से सुईयां निकालने में पूरे 3 घंटे लगे

आपरूपा के गले में सुईयां इतनी बुरी तरह से फंसीं थीं कि डॉक्टरों को पूरे तीन घंटे लग गए इन्हें बाहर निकालने में. भाई की मौत के बाद आपरूपा का व्यवहार बदल गया था तो इसे किसी ने डिप्रेशन या शॉक नहीं समझा. जब्कि इंसानों में किसी अपने के अचानक चले जाने पर ऐसा होना लाज़मी है.

गुस्सा, दुख, शॉक कुछ भी इसका कारण हो सकता है. भारत में ऐसा अक्सर देखा गया है कि लोग अपना इलाज करवाने के लिए, घर की समस्या के लिए, मानसिक रोगों के लिए तांत्रिकों का सहारा लेते हैं किसी को ये नहीं लगता कि असल में ये तांत्रिक एक तरह से लोगों की मनोस्थिती और बिगाड़ देते हैं. उन्हें और प्रताड़ित करते हैं. ठीक करने की जगह तरह-तरह के प्रयोग उनपर किए जाते हैं.

अगर आपरूपा का वक्त पर इलाज नहीं किया जाता तो उसके माता-पिता उसे भी खो देते. डॉक्टरों के अनुसार सुईयां निकालने का प्रोसेस काफी तकलीफदेह था. आपरूपा अब तो खतरे से बाहर हैं, लेकिन उन्हें अभी साइकोलॉजिकल ट्रीटमेंट भी दिया जाएगा.

धर्म एक ऐसा विचार है जो लोगों को उम्मीद देता है और शायद यही कारण है कि लोग ऐसे ऊल जलूल और बकवास प्रयोगों पर यकीन कर लेते हैं. भारत में ऐसा कितनी बार हुआ है कि तांत्रिक के चक्कर में आकर लोग अपना नुकसान कर बैठे हैं. कहीं तांत्रिक रेप करते हैं, तो कहीं कुछ खिलाकर लूट-पाट मचाते हैं, तो कहीं किसी बच्चे की बली चढ़ा देते हैं. भूत-प्रेत हटाने के दावे करने वाले ये तांत्रिक असल में खुद ही समाज के लिए किसी भूत की तरह हैं जिनसे दूर रहना ही सही है.

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श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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