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Updated: 18 फरवरी, 2020 05:03 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
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इन दिनों तलाक के अधिक मामले शिक्षित और संपन्न परिवारों में सामने आ रहे हैं क्योंकि शिक्षा और संपन्नता अंहकार पैदा कर रहा है जिसका नतीजा परिवार का टूटना है.  भारत में हिंदू समाज का कोई विकल्प नहीं है - मोहन भागवत (RSS प्रमुख)

शादी, परिवार, अपब्रिंगिंग जैसी सामाजिक चीजों पर अक्सर ही अपने बयानों के चलते सुर्खियां बटोरने वाले संघ प्रमुख (RSS Chief) मोहन भागवत (Mohan Bhagwat), फिर से आलोचकों के निशाने पर हैं. कारण बना है उनका वो बयान जिसका जिक्र हम ऊपर कर चुके हैं. बयान तलाक को लेकर है जिसके लिए भागवत (Bhagwat) ने शिक्षा  (Education) और परिवारों के संपन्न होने को जिम्मेदार ठहराया है. एक कार्यक्रम के दौरान मोहन भागवत, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं से मुखातिब थे और परिवार को लेकर बातें कर रहे थे. चूंकि संघ प्रमुख बोल रहे थे इसलिए इस प्रोग्राम पर मीडिया की भी पैनी नजर थी. मीडिया ने उनकी तमाम बातों से उस हिस्से को अलग किया जिसे लेकर बॉलीवुड एक्ट्रेस सोनम कपूर (Sonam Kapoor) ने भी आपत्ति दर्ज की है.

Mohan Bhagwat, Divorce, Sonam Kapoor, Marriageभागवत की बातों से आहत सोनम कपूर को पहले उनकी पूरी बातें सुननी चाहिए

मोहन भागवत की बातें सुन सोनम कपूर नाराज हुई हैं और उन्होंने इसपर आपत्ति जताई है. सोनम ने अपनी ट्विटर टाइम लाइन पर लिखा है कि कौन सा समझदार इंसान ऐसी बातें करता है ? साथ ही सोनम ने इसे पीछे की ओर ले जाने वाला मूर्खतापूर्ण बयान भी बताया है.

बता दें कि संघ प्रमुख अहमदाबाद में थे और संघ कार्यकर्ताओं और उनके परिवार वालों से संबोधित थे और कह रहे थे कि इन दिनों तलाक के मामले काफी बढ़ गए हैं. लोग छोटी-छोटी बातों पर लड़ने लगे हैं. जैसे-जैसे लोगों में शिक्षा और संपन्नता आई है उसके साथ लोगों में अहंकार भी आ गया है.

हो सकता है पहली नजर में मोहन भागवत की ये बातें किसी को सहज न लगें मगर जब हम इसे भारत के सांचे में रखकर देखें तो कई चीजें हमारे सामने आती हैं और पता चलता है कि भगवत ने कोई बता यूं ही बेवजह नहीं कही है और उनकी बातों का ये बड़ा हिस्सा तार्किक है.

भारत में तलाककथा

जैसे-जैसे शादियां कम लोकप्रिय होती जा रही हैं, दुनिया भर में तलाक की दर बढ़ रही है.यद्यपि विवाह धर्म, परिवार, संस्कृति, एक व्यक्तिगत व्यवहार, स्थान पर निर्भर है, यह वर्तमान में एकवैश्विक मुद्दा है. यह केवल एक संयोग मात्र हो सकता है, लेकिन विकसित देश विकासशील देशों की तुलना में तलाक की उच्च दर का सामना करते हैं. जिक्र अगर भारत का हो तो विकसित या अन्य देशों के मुकाबले यहां तलाक के मामले कम हैं. विश्व में जहां कहीं भी तलाक हो रहा है उसमें विसंगति, बेवफ़ाई, ड्रग / शराब की लत, शारीरिक / मानसिक शोषण वो अहम् कारण हैं जिनके चलते तलाक के मामले हो रहे हैं. 

विसंगति - पूरे विश्व की अपेक्षा भारत में तलाक के मामले कम हैं मगर ये जहां हुए हैं उनमें विसंगति एक बड़ा कारण हैं. अब विसंगति को यदि हम अपने समाज में रखकर देखें तो मिलता है कि ये मुद्दा अर्बन या ये कहें कि शहरी ज्यादा है. हमारे गावों अब भी इस कॉन्सेप्ट से दूर हैं.

चूंकि भारत की एक बड़ी आबादी गांवों में रहती है तो वहां स्त्री पुरुष के बीच ये कहने की गुंजाइश नहीं है कि वो एक दूसरे के साथ नहीं रह सकते. एक बार शादी हो जाने के बाद उन्हें हर सूरत में निभाना पड़ता है. वहीं शहरों में ऐसा नहीं है. शिक्षा और सम्पन्नता वो कारण हैं जहां स्त्री और पुरुष को ये कहने की छूट रहती है कि वो एक दूसरे के साथ नहीं रह सकते.

बेवफ़ाई - पूरे विश्व में हो रहे तलाक के मामलों में बेवफाई को भी तलाक की एक बड़ी वजह की तरह देखा जा रहा है. अब जब हम इसे भारत के परिदृश्य में देखते हैं तो भी गांवों में बेवफाई के मामले कम आते हैं.

गांव में एक बार जिसका विवाह हो गया वो अपने साथी के साथ ही रहता है जबकि शहरों का मामला अलग है आज शहरों में रह रही एक बड़ी आबादी इससे ग्रसित है. शहरों में वास कर रहे पुरुषों के अपने संबंध होते हैं. महिलाएं अपने संबंध बनाती हैं. शहरों के मामले में स्त्री पुरुष क्यों नहीं एक दूसरे को कुछ कहते हैं कारण हमें पता है.

ड्रग / शराब की लत - इस विकार को भी तलाक की एक बड़ी वजह माना जाता है. क्योंकि तलाक के मद्देनजर हमारी बातों का केंद्र भारत है तो बता दें कि ड्रग / शराब की लत के मद्देनजर तलाक देने के मामले में हमारे शहर आगे हैं. भारत में विवाह को एक पवित्र संस्था की तरह देखा जाता है.

तो पहले ही ये मान लिया गया है कि पति परमेश्वर और महिला यानी पत्नी घर की लक्ष्मी है तो गांव के लोग इसके प्रति बहुत गंभीर होते हैं और एडजस्ट करना उनकी मज़बूरी होता है वहीं शिक्षा के कारण शहर के लोग मुखर होते हैं तो वो इन चीजों को लेकर समझौता नहीं करते और तलाक के मामले सामने आ जाते हैं.

शारीरिक / मानसिक शोषण- शोषण चाहे मानसिक हो या फिर शारीरिक ये कहीं से भी सही नहीं है और न ही इसे जस्टिफाई किया जा सकता है और इसे भी समाज भले ही कोई हो तलाक की एक बड़ी वजह के रूप में देखता है.

बता दें कि भारत, चिली,कोलम्बिया, मेक्सिको, टर्की जैसे देशों में तलाक के मामले कम हैं वहीं जब हम दुनिया के सबसे शिक्षित मुल्कों में शुमार लक्समबर्ग, स्पेन, फ़्रांस, रूस, यूएसए तलाक के मामलों में कहीं आगे हैं. ज्ञात हो कि लक्समबर्ग में तलाक का प्रतिशत जहां 87% हैं तो वहीं यूएसए में ये 46 % और फ़्रांस में ये संख्या 55 परसेंट है. भारत में तलाक का रेट 1 परसेंट से भी कम है यहां 1000 शादियों में केवल 13 में तलाक की नौबत आती है.

गतिविधियों को करें एक दूसरे से डिस्कस

अहमदाबाद में संघ कार्यकर्ताओं और उनके परिवारों को संबोधित करते हुए कहा कि पति और पत्नी एक दूसरे से अपने काम को बताएं. कई बार घर की महिलाओं को हमसे ज्यादा कष्टदायक काम करना पड़ता है मगर ये चीज हमें दिखाई नहीं देती. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उनका काम हमें दिखता ही नहीं क्योंकि कभी हमने ये जानना ही नहीं चाहा कि वो काम कैसे करती हैं.

कही बराबरी का दर्जा देने की बात

संघ प्रमुख की बातों से साफ़ है कि तलाक की एक बड़ी वजह अपने से कमतर आंकना है. भागवत ने कहा कि आज से 2000 साल पहले ऐसा नहीं होता है. स्त्री पुरुष साथ काम करते थे चीजें सुचारू ढंग से चलती थीं. 2000 साल बाद आज समस्या केवल इसलिए हो रही क्योंकि हमने महिलाओं को घर की चारदीवारी में रख दिया है.

की संस्कारों की बात

भागवत ने संस्कारों की बात भी की है और कहा कि हमें हमारे संस्कार परिवार से मिलें हैं और यह यह मातृ शक्ति है, जिसने हमें यह सिखाया है. अब इस बात को अगर हम भागवत से हटाकर भारतीय संस्कृति के सन्दर्भ में भी देखें तो यहां संस्कारों को बल दिया गया है और संस्कार यही है जब स्त्री पुरुष एक दूसरे को छोटा-बड़ा नहीं बल्कि बराबर समझें.    

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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