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Updated: 04 अक्टूबर, 2017 09:10 PM
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अमेरिकी इतिहास में हुई सबसे घातक शूटिंग की वारदात में स्टीफन पैडॉक ने 59 व्यक्तियों की हत्या कर दी और 500 से अधिक लोग घायल हुए. बिना किसी ऑटोमेटिक हथियार की सहायता से ये करना नामुमकिन था. सुरक्षा एजेंसियों के लिए ये भी एक जांच का विषय होगा कि आखिर कैसे एक 64 साल का अकाउंटेंट जिसकी कोई पुलिस हिस्ट्री नहीं है, अचानक से एक हत्यारा बन जाता है. और इतने लोगों का खून बहा देता है. साथ ही पुलिस को ये भी जांच करना होगा कि कैसे वो अपने होटल के कमरे में 43 राइफल जमा करके रख लेता है. जिसमें से 23 तो चोरी करके लाए गए थे. और किसी को कानों कान खबर भी नहीं होती.

पैडॉक ने हमला करने के लिए जो जगह और जिन हथियारों का इस्तेमाल किया था, वो साफ जाहिर करता है कि 'लास वेगास नरसंहार' किसी आवेश का नतीजा नहीं था. बल्कि उसके लिए ठंडे दिमाग से पूरी प्लानिंग की गई थी.

las vegasघटनास्थल और हमले की जगह

हमले का तरीका

मेंडले होटल के 32वें फ्लोर में कमरे के लोकेशन को देखें तो साफ जाहिर होता है कि प्लानिंग पूरी की गई थी. कमरे की लोकेशन को देखकर पता चलता है कि छिपकर हमला करने वाले निशानेबाज यानी स्नाइपर को इस तरह की मुफीद जगह ही चुनने की ट्रेनिंग दी जाती है. 2 अक्टूबर को उस ओपन एयर वेन्यू में 22,000 लोग इकट्ठा थे. वहां म्यूजिक फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा था. इस वेन्यू से होटल के उस कमरे की दूरी सिर्फ 450 मीटर थी. ये दूरी 5.56mm/.223 और 7.62mm/.308 जैसे राइफलों का उपयोग कर ज्यादा से ज्यादा लोगों का शिकार किया जा सकता है.

घटना स्‍थल को ज्‍यादा बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगा ये एनीमेशन :

इस जगह से गोलियां चलाने पर ज्यादा से ज्यादा लोग हताहत होंगे. क्योंकि हमले के लिए इस्तेमाल राइफल से कुछ सेकेंड में ही 30 गोलियां दागी जा सकती हैं. स्नाइपरों को सिखाया जाता है कि शहरों में ऐसे कमरों में छिपकर वार करना चाहिए. ऐसे में वो खिड़कियों या किसी छेद के जरिए हमला करते हैं.

'स्नाइपरों द्वारा हमला करने के लिए स्क्रीन सबसे ज्यादा जरूरी होता है. क्योंकि इनके जरिए स्नाइपर टीमों को शिकार और उसके आस-पास की जगह बहुत दूर तक और साफ-साफ दिखती है. लेकिन दुश्मन इन्हें नहीं देख पाते. हमले के समय पर्दों को नहीं हटाते बल्कि खिड़कियां या शीशे जो भी खुले, उसे खोल देते हैं.'

असल में हुआ क्या?

पैडॉक ने सुइट की दो खिड़कियों को तोड़ दिया. इस बात की पुष्टी नहीं हो सकी कि पैडॉक ने हमला करने के लिए दोनों ही खिड़कियों का इस्तेमाल किया या नहीं. लेकिन अगर उसने दोनों खिड़कियों का इस्तेमाल किया होगा तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है. क्योंकि ये मिलिट्री का तरीका है जिसे 'Jockeying' कहते हैं. इसमें शूटर दोनों जगहों से बारी बारी से फायर करता है ताकि उसकी लोकेशन का पता नहीं लगाया जा सके. साथ ही दुश्मन को ये लगे कि हमलावर एक से ज्यादा लोग हैं.

जब तक पुलिस ने पैडॉक के कमरे में प्रवेश किया तब तक उसने खुद को गोली मार ली थी. वहां से पुलिस को ट्राइपॉड पर दूरबीन लगी दो ऑटोमेटिक राइफल मिली. पेडॉक का यूएस मिलिट्री से कोई संबंध नहीं था. हां 1990 की शुरूआत में उसने तीन साल एक यूएस डिफेंस कंपनी के लिए काम किया था, जिसे बाद में लॉकहीड मार्टिन ने खरीद लिया था.

स्नाइपरों के बीच एक प्रचलित कहावत है- 'स्नाइपिंग सिर्फ 10 प्रतिशत शूटिंग होती है और 90 प्रतिशत बाकी सारे कारक.' 'बाकी सारे कारक' में हथियारों का चयन, हमला करने के लिए सबसे मुफीद जगह भी अहम होते हैं. 1 अक्टूबर को कत्लेआम मचाने के लिए पैडॉक ने इन्हीं स्नाइपर बारिकियों का इस्तेमाल किया था.

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लेखक

संदीप उन्नीथन संदीप उन्नीथन @sandeepunnithanindiatoday

लेखक इंडिया टुडे में डिप्टी एडिटर हैं.

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