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Updated: 29 नवम्बर, 2022 08:13 PM
ज्योति गुप्ता
ज्योति गुप्ता
  @jyoti.gupta.01
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श्रद्धा मर्डर केस (Shraddha murder case) ने मां-बाप के मन में दहशत पैदा कर दी है. वे पहले से अधिक सतर्क रहने लगे हैं. लोगों का रिश्तों पर से भरोसा उठ रहा है. लड़कियां अपने पार्टनर पर थोड़ा सा ही सही, शक करने लगी हैं. 

जिनकी बेटियां पढ़ाई या जॉब के लिए घरों से दूर रहती हैं, उनकी जान हलक में आ गई है. कई माता-पिता इस केस को देखने के बाद से घबराएं हुए हैं. उन्हें अपनी बेटी की चिंता सताने लगी हैं.

कई लोग अब बेटियों को घरों से दूर भेजने से पहले सौ बार सोचेंगे. ऐसे केस लड़कियों को पीछे ले जाने का काम करते हैं. जिन लड़कियों को परिवार से काफी लड़ने-झगड़ने के बाद बाहर जाने का मौका मिला उन्हें अपने पीछे होने की शंका सता रही है.

मुझे ऐसा इसलिए लगा, क्योंकि मेरे पापा अब मुझे दिन में कम से कम दो बार फोन करने लगे हैं. पहले मैंने इस पर ध्यान नहीं दिया मगर जब उन्होंने फोन पर मुझसे से कहा कि बेटा कुछ बात हो तो छिपाना मत...तब मुझे समझ आया है कि मामला क्या है?

देश में जो घटनाएं घटती हैं पापा अक्सर मुझसे उन टॉपिक पर चर्चा करते हैं, बहुत सी नई बातें बताते हैं मगर इस टॉपिक पर बात करते वक्त उनकी आवाज में एक अजीब सी चिंता थी.

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वे श्रद्धा के बहाने मुझे समझाने की कोशिश कर रहे थे. वे कह रहे थे कि श्रद्धा को अपने मां-बाप से कुछ छिपाना नहीं चाहिए था. आजकल के लड़के वीडियो बना लेते हैं. श्रद्धा की कोई तो मजबूरी रही होगी जो वह इतना मार खाने के बाद से भी आफताब का साथ नहीं छोड़ रही थी. हो सकता है कि उसके पास वीडियो हो, श्रद्धा को अपनी बदनामी का डर लग रहा हो, हो सकता है कि वह उसे ब्लैकमेल कर रहा हो.

अगर आफताब ने यह भी कहा हो कि मैं तुम्हार वीडियो लीक कर दूंगा तो काश वह कहती है, हां जाओ जो करना है कर लो. लड़कियों को पिता से सारी बातें शेयर करनी चाहिए. उन्हें ससुराल में जुर्म नहीं सहना चाहिए. कम से कम जिंदगी तो बची रहेगी. पापा मुझे यह सब समझा रहे थे.

मुझे समझ में आ गया कि आज श्रद्धा केस के बाद शायद हर बेटी के पिता का यही हाल होगा. लड़कियों के पिता बेचैन होगें कि कहीं उनकी बेटी को कोई आफताब न मिल जाए. इधर मम्मी सुबह-शाम फोन करने लगी हैं. पहले दिन में एक बार कॉल कर लिया करती थीं. आजकल कई बार वो देर रात भी फोन लगा लेती हैं. कहती हैं, बेटा नींद नहीं आ रही थी. सोचिए एक केस का आम लोगों की जिंदगी पर क्या असर पड़ता है? हो ना हो बाकी के माता-पिता का भी यही हाल होगा...

जब बेटी घर से दूर हो ऐसे में मां-बाप की चिंता करना लाजिमी है. वैसे को मां-बाप का अपनी बेटियों के लिए चिंता करना सामान्य है मगर कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जो उनके दिमाग से उतरती नहीं है. इस तरह का माहौल निर्भया केस के समय हुआ था.

इन दिनों लड़कियों के लिए "टुकड़े कर दूंगा" मुहावरा चल पड़ा है...

हाल ही में कानपुर का एक मामला सामने आया. जहां एक मुस्लिम लड़के ने हिंदू लड़की पर शादी का दबाव बनाया. लड़की ने जब मना किया तो उसने कहा कि जिस तरह आफताब ने श्रद्धा के टुकड़े किए थे, उसी तरह तुम्हारे भी टुकड़े कर दूंगा. लड़की ने यह बात अपने परिजनों को बताई तब लड़के को गिरफ्तार किया गया. सोचिए इस केस का अपराधिक किस्म के लोगों पर किस तरह का असर पड़ा है?

कहना गलत नहीं होगा कि श्रद्धा केस में 35 टुकड़े ने लोगों के मन में अलग डर पैदा किया है. जिन बेटियों की शादी हो गई है उनके माता-पिता को अपनी बेटी की सुरक्षा की चिंता लगी रहती है कि कहीं उसके साथ कुछ गलत ना हो जाए.

जब एक लड़की किसी के साथ रिश्ते में पड़ती है तो उसे भी मालूम नहीं रहता है कि समाने वाला उसे धाखा देगा. इसलिए हम उसके सिर भी ब्लेम नहीं कर सकते हैं.

हां बेटियों को इतना जरूर कह सकते हैं कि रास्ते में अगर तुम्हें आफताब मिले और तुम उसे पहचान जाओ तो उससे दूरी बना लेना, ना पहचान पाओ तो उसके लिए अपने मां-बाप को खुद से दूर मत करना और उनसे कुछ छिपाना मत...मां-बाप तुम्हारे साथ होंगे तो तुम हर आफताब से निपट लोगी. 

लेखक

ज्योति गुप्ता ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01

लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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