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Updated: 08 अगस्त, 2015 03:14 PM
काव्यांजलि कौशिक
काव्यांजलि कौशिक
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हमारे यहां वेश्यावृत्ति को कानूनी मान्यता देने या नहीं देने पर हमेशा बहस होती रहती है. कई लोग इसके पक्ष में हैं. एक दोस्त से इस बारे में चर्चा करने के दौरान उसने कहा कि इस बारे में कई प्रकार के तर्क-वितर्क दिए जा सकते हैं. वेश्यावृत्ति को मान्यता दिलाने की कोशिश का समर्थन करने वाली संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल और अन्य लोगों का मत है कि इससे कई फायदे होंगे. इस काम में लगी महिलाओं के खिलाफ पुलिस के रवैये में बदलाव आएगा. साथ ही इन महिलाओं को बेहतर मेडिकल सुविधा मिल सकेगी.

हालांकि, दूसरे तरीके से देखें तो ऐसा लगता है कि एमनेस्टी एक तरह से पुरुष और महिलाओं को सेक्स खरीदने-बेचने के लिए प्रेरित कर रहा है. उदाहरण के लिए एमनेस्टी की ओर से जारी किए गए डॉक्यूमेंट्स बताते हैं कि उनकी पॉलिसी इस विषय पर क्या कहती है. एमनेस्टी इंटरनेशनल का मानना है कि पेड सेक्स के लिए इच्छा जाहिर करना या उसके लिए पैसे देने या लेने के काम में राज्य को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. क्योंकि इसके दौरान कोई जबरदस्ती, हिंसा या डराने-धमकाने का मामला नहीं बनता है. वैसे भी, अगर कोई महिला पैसे के लिए जबरन वेश्यावृत्ति के काम में है तो भी उसकी शिकायत के बिना कैसे आरोप को साबित किया जा सकेगा.

मानव अधिकारों की बात करने वालों और चुनने की आजादी की बात करने वालों के बीच भी इसे लेकर चर्चा होती रहती है. लेकिन सवाल है कि क्या वेश्यावृत्ति को कानूनी मान्यता देने से उन महिलाओं को राहत मिलेगी जो न केवल तंगहाली में जीवन काट रही हैं बल्कि परिवार को चलाने के लिए अपना शरीर तक बेच रही हैं. कहीं ऐसा तो नहीं कि इसे कानूनी मान्यता मिल जाने से कई और बड़े अपराधी सेक्स ट्रेड के इस काम की ओर रूख करने लगेंगे?

कानूनी मान्यता का समर्थन करने वालों का मत

1) वेश्यावृत्ति को मान्यता दिए जाने का सबसे पहला नतीजा यह होगा कि इस काम में लगी महिलाओं को पुलिस की बर्बरता से छुटकारा मिलेगा. साथ ही किसी मामले की पीड़िता और कानून की जिम्मेदारी संभालने वालों के बीच संवाद को भी बढ़ावा मिलेगा. अगर वेश्याओं को गिरफ्तारी या हिंसा का डर रहेगा तो वे कैसे अपने साथ हुए किसी अपराध की रिपोर्ट पुलिस से कर सकेंगी?

2) सेक्स इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को होने वाली बीमारियां भी चिंता का बड़ा विषय है. इस लिहाज से अगर वेश्यावृत्ति को कानूनी मान्यता दी जाती है तो इस क्षेत्र में बड़े बदलाव देखने को मिल सकेंगे. उन्हें बेहतर मेडिकल सुविधाएं मिल सकेगी. सेक्स के जरिए फैलने वाली बीमारियों को देखते हुए साफ-सफाई और बेहतर मेडिकल इलाज मुहैया कराया जा सकेगा. सेक्स के काम से जुड़ी महिलाओं को समाज में अच्छी नजर से नहीं देखा जाता. हो सकता है इस कदम से उनके बारे में समाज में सोच बदले और ये महिलाएं भी ज्यादा आत्मविश्वास के साथ किसी भी विषय पर अधिकारियों के सामने अपनी बात रख सकेंगी.

3) वेश्यावृत्ति को मान्यता दिए जाने से अपनी इच्छा से यह काम करने वाली महिलाओं के लिए एक मुक्त वातावरण तैयार हो सकेगा. यही नहीं, वे इस काम को अधिकार, गरिमा और बिना सरकारी दखल के कर सकेंगी.

4) वेश्यावृत्ति को गैरकानूनी काम के दायरे में रखे जाने से इस क्षेत्र के बारे में बहुत स्पष्ट जानकारी सामने नहीं आ पाती. इससे वेश्याओं की जिंदगी सबसे ज्यादा खतरे में होती है. ऐसे में कानूनी मान्यता देने से एक साफ तस्वीर मिल सकेगी और वेश्याओं को भी समाज में बराबर का हक दिलाने में मदद मिलेगी.

5) इन सबके बीच सरकार भी इस इंडस्ट्री से टैक्स वसूल सकेगी जैसा कि वह अन्य व्यापारों के मामले में करती है.

विरोध करने वालों का मत

1) वेश्यावृत्ति समाज में हो रही गलत चीजों की ओर इशारा करती है. यह कमजोरों के साथ होने वाले अन्याय, पुरुष प्रधान समाज, गरीबों और गरीबी को लेकर हमारे रवैये, समाज में मौजूद गुलामी की प्रथा की एक बानगी पेश करती है. यह बीमारियों का घर है.

2) यह व्यापार मानव शरीर को बेचने और खरीदने की तर्ज पर चलता है. इसे मान्यता देने से वेश्यावृत्ति में शामिल महिलाओं को इस काम से दूर करने की कोशिशों को धक्का पहुंचेगा. साथ ही यह अपराधियों के लिए ज्यादा सुरक्षित और पुलिस की पहुंच से दूर हो जाएगा.

3) इस काम को कानूनी मान्यता देने से सेक्स वर्कर्स को जरूरी आधारभूत सुविधाएं और अधिकार मिल सकेंगे. लेकिन इसकी वजह से इस विश्वास को भी और बल मिलेगा कि समाज में अमीर और ऊंचे ओहदों पर बैठे लोग गरीबों का इस्तेमाल किसी भी तरीके से कर सकते हैं. मसलन, वे अपनी इच्छा पूर्ति के लिए किसी के भी शरीर को खरीद और बेच सकते हैं.

4) यह एक तरह से एक ऐसे काम को मान्यता देने के बराबर होगा जो बेहद डरावना और विवादित है. एमनेस्टी इंटरनेशनल का मानना है कि किसी भी व्यक्ति को अपनी इच्छा से अपनी जीविका कमाने का हक है. सरकार का दायित्व है कि वह ऐसा माहौल तैयार करे जहां फैसले आपसी सहमति से लिए जाएं, सभी को बराबरी का हक मिले. लेकिन सरकार और सिस्मट अगर इसे मान लेते हैं तो उसकी छवि भी एक 'दलाल' की तरह हो जाएगी.

5) जहां तक इस बिजनेस से टैक्स आने की बात है, तो क्या यह मॉडल सच में काम करेगा. क्या इस क्षेत्र से जुड़े दलाल, वेश्याएं या अन्य लोग टैक्स देना शुरू कर देंगे?

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लेखक

काव्यांजलि कौशिक काव्यांजलि कौशिक @kavyanjalik

लेखिका इंडिया टुडे में वरिष्ठ संवाददाता हैं.

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