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Updated: 04 सितम्बर, 2021 07:13 PM
ज्योति गुप्ता
ज्योति गुप्ता
  @jyoti.gupta.01
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अभिनेता सिद्दार्थ शुक्ला के यूं अचानक चले जाने से उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. इस बात पर जब हम यकीन नहीं कर पा रहे हैं तो उनका क्या हाल होगा जिसकी वे दुनियां थे. हम कल्पना भी नहीं कर सकते, उनके दर्द का अंदाजा लगाना इतना आसान नही हैं.

सिद्धार्थ की मां रीता शुक्ला एक मजबूत महिला हैं, पति के निधन के बाद उन्होंने बच्चों की परवरिश की, उन्हें पढ़ाया लिखाया और इस काबिल बनाया कि वे अपने पैरों पर खड़े हों सके. उन्हें अपने बेटे पर नाज है. मां की जिंदगी सिद्धार्थ क आस-पास ही घूमती रहती. वहीं सिद्धार्थ एक दिन भाी अपनी मां के बिना नहीं रह पाते थे. वे मां के बेहद करीब थे और अपनी दोनों बड़ी बहनों से बहुत प्यार करते थे.

sidharth shukla, Sidharth Shukla Death, sidharth shukla last right सिद्धार्थ शुक्ला के परिवार ने शहनाज को दिया विशेष पूजा का अधिकार

पिता के जाने के बाद उन्होंने अपनी मां और बहनों को संभाले रखा. बहनों को कभी पिता की कमी महसूस नहीं होने दी. इनके बाद उनकी जिंदगी में सबसे खास नाम है शहनाज गिल. वो लड़की जो उन्हें अपना परिवार बुलाती थी. वो लड़की जो सिद्धार्थ के जाने बाद बदहवास अवस्था में है. जिसे होश नहीं है कि उसकी जिंदगी के साथ क्या हो रहा है. उसका सबसे करीबी दोस्त अब इस दुनियां में नहीं है.

जिन्हें लोगों ने प्यार दिया और दोनों का नाम जुड़कर Sidnaaz हो गया लेकिन जोड़ी बनने से पहले की टूट गई और सिड के बिना नाज अकेली रह गई. इन सभी गमों के साथ सिद्धार्थ की मां ने वो मिसाल कायम किया है जिसे सुनकर कोई भी अचंभित रह जाए.

sidharth shukla, Sidharth Shukla Death, sidharth shukla last rightपरिवार के साथ रस्में निभाती शहनाज गिल

इस मां अपने कलेजे के टुकड़े का अंतिम संस्कार कांपते हाथों से किया. इसके साथ ही उन्होंने शहनाज को वो अधिकार दिया जो हमारा समाज सोच भी नहीं सकता. सिद्धार्थ के अलावा शहनाज भी मां के बेहद करीब हैं. वे अक्सर उनसे मिलने आती रहती थीं. सिद्धार्थ शुक्ला के अंतिम संस्कार में पहुंची शहनाज सूजी आखों के साथ बेसुध होकर इधर उधर दौड़ती नजर आईं.

शहनाज बार-बार सिद्धार्थ का नाम ले रही थीं. उनके पैरों के पास बैठकर उन्हें बार-बार उठाने की कोशिश कर रही थीं. वहीं मां सदमें में चट्टान की तरह इन सब का सामना करने की कोशिश कर रही थीं.

मां की ममता ही है जो अपने बेटे के प्यार को समझती है. मां को याद रहा कि उनके बेटे के लिए शहनाज क्या हैं. उनका कलेजा फटा जा रहा होगा, एक तरफ बेटा का अंतिम संस्कार दूसरी तरफ वो सपना जो अधूरा रह गया. मां के वे अरमान जो उन्होंने बेटे का जाने के साथ ही सीने में दफन कर लिए. मां और बहनों ने सिद्धार्थ शुक्ला के अंतिम संस्कार की रस्मों में शहनाज गिल को शामिल किया.

sidharth shukla, Sidharth Shukla Death, sidharth shukla last rightभाई के साथ अंतिम संस्कार में पहुंची शहनाज गिल

मुखाग्नि देने से पहले परिवार ने जो विशेष पूजा की उसमें शहनाज गिल भी थीं. उनकी पूजा करते हुए कई तस्वीरें इंटरनेट पर वायरल हुईं हैं. तस्वीरों में शहनाज गिल को पंडित के साथ बैठे देखा जा सकता है और वह पूजा कर रही हैं. इस तस्वीर को देकखर लोगों का कलेजा फट जा रहा है. शहनाज गिल भले ही शुक्ला परिवार की बहू नहीं बन पाईं हों लेकिन परिवार ने पूजा में शामिल करके उन्हें जो सम्मान दिया है वह लोगों को हैरान करने वाला है.

हमारे समाज में प्यार करने वालों को कहां कोई हक समझा जाता है? लोग हर रिश्ते के नाम से हिसाब से तौलते हैं. जिस तरह से सिद्धार्थ शुक्ला की मां और बहनों ने उनकी कथित प्रेमिका शहनाज गिल से अंतिम संस्कार से पहले पूजा की जिम्मेदारी दी. वह एक बड़ी बात है.

sidharth shukla, Sidharth Shukla Death, sidharth shukla last rightपरिवार के साथ पूजा करतीं शहनाज गिल

आमतौर पर चकाचौंध से भरी दुनियां में शायद प्यार, मोहब्बत और जज्बात जैसी बातें मायने नहीं रखती हैं. सुशांत सुसाइड केस में रिया चक्रवर्ती के साथ कैसा व्यवहार हुआ वह हम सभी ने देखा है. मायानगरी में दोस्ती, प्यार और शादी काफी नाफ तौल कर होती है. ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जिनके रिश्ते दुनियां के लिए मिसाल बनते हैं.

sidharth shukla, Sidharth Shukla Death, sidharth shukla last rightशहनाज ने पूजा में शामिल होने के लिए मां से मांगी थी इजाजत

दूसरी तरफ यही मिसाल शहनाज गिल के पिता और भाई ने भी कायम की है. जितना हमने उन्हें जाना है वे एक सीधे-साधे हंसमुख किस्म के मध्यमवर्गीय लोग हैं, जो पंजाब से हैं. सिद्धार्थ के निधन के बाद शहनाज के पिता संतोख सिंह अपने बेटे को लेकर अपनी बेटी से मिलने तत्काल मुंबई पहुंचे और फिर उसे लेकर सिद्धार्थ के घर गए.

ये बातें इसलिए क्योंकि समाज में कितने ऐसे लोग हैं जो अपने बच्चों के प्रेम को इतना समझते हैं, इतना सम्मान देते हैं. ऐसे कितने लोग हैं जो अपने बच्चों के प्यार की कद्र करते हैं? दोनों ही परिवार के लोगों ने सिद्धार्थ और शहनाज के रिश्ते को समझा है और उन्हें मान दिया...इस समाज और दुनियां की परवाह किए बिना.

 
 
 
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लेखक

ज्योति गुप्ता ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01

लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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