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Updated: 27 अप्रिल, 2018 06:45 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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जब अनुष्का और विराट की शादी हुई थी तब सोशल मीडिया पर दूल्हे और दुल्हन से ज्यादा अनुष्का के लहंगे की बात हो रही थी जो सब्यसाची मुखर्जी ने डिजाइन किया था. लहंगे की इतनी तारीफ हुई कि उसपर सोशल मीडिया मीम भी बनने लगे. चाहें कोई भी बॉलीवुड हिरोइन हो, किसी खास दिन पर ट्रेडिश्नल लुक लेना हो, सबसे पहले डिजाइनर सब्यसाची की याद आती है. उनके डिजाइन एकदम यूनीक और अलग होते हैं... क्या वाकई ऐसा है?

सब्यसाची को जानने वाली लगभग हर लड़की को लगता है कि वो शादी करे तो सब्यसाची का डिजाइन किया हुआ लहंगा पहने. शायद इसी मेहनत के कारण सब्यसाची को भारत सरकार की तरफ से नैशनल इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी (IP) अवॉर्ड 2018 से सम्मानित किया गया है. सब्यसाची मुखर्जी इस बात से बहुत खुश हैं और इंस्टाग्राम पर लंबा चौड़ा पोस्ट किया है और फैशन इंडस्ट्री के बारे में लिखा है कि किस तरह से पाइरेसी ने फैशन इंडस्ट्री को निशाना बनाया हुआ है. कैसे फैशन इंडस्ट्री पीड़ित है.

ये सब तो सही है, लेकिन इसमें एक बात मेरी समझ नहीं आती, सब्यसाची मुखर्जी खुद तो हजारों साल पुरानी भारतीय संस्कृति से डिजाइन लेते हैं या यूं कहें कि इंस्पायर होते हैं. फिर? ये माना कि उनके डिजाइन भव्यता को दर्शाते हैं और बहुत अच्छे होते हैं, लेकिन इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी कहना कितना सही होगा?

 

The fashion industry has been victim to piracy for quite some time. Duplicity of exclusive creations has taken a toll on the industry both commercially and morally. An air of pessimism has inadvertently set in, and there are murmurs that originality finds no appreciation. However, we have chosen to take the path less travelled and started investing our efforts heavily in getting our designs registered. We believed in the adage that the change we seek has to start from within. We are grateful for the IPR laws, because of which we have been able to protect our creative contributions and retain exclusivity in artistry. In an age when we are struggling against outrageous piracy, laws and measures such as these become indispensable. This has also helped us reassure our customers, who have consistently believed in the brand and expected unconvoluted products from our end. #Sabyasachi #NationalIntellectualPropertyAward2018 #MinistryOfCommerceAndIndustry #TheWorldOfSabyasachi

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सब्यसाची मुखर्जी ने जैसे ही ये पोस्ट किया वैसे ही हज़ारों लोगों ने बधाइयों के संदेश देने शुरू कर दिए, लेकिन कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने सब्यसाची के पोस्ट पर गुस्सा जताया..

 सब्यसाची, साड़ी, ट्विटर, सोशल मीडिया, लहंगा, अवॉर्डइंस्टाग्राम में लोग बधाइयों के साथ-साथ ऐसी प्रतिक्रियाएं भी दे रहे हैं

 सब्यसाची, साड़ी, ट्विटर, सोशल मीडिया, लहंगा, अवॉर्डये तो सही है कि सब्यसाची के डिजाइन भारतीय संस्कृति से प्रेरित हैं

 

 

 सब्यसाची, साड़ी, ट्विटर, सोशल मीडिया, लहंगा, अवॉर्डपाइरेसी के बारे में बात करने वाले सब्यसाची खुद भी कहीं से इंस्पायर्ड ही हैं

जहां तक उनके डिजाइन्स की बात है तो वो बेहतरीन हैं और होते हैं, लेकिन ये इंटलेक्चुअल या बौद्धिक नहीं कहे जा सकते क्योंकि ये कला तो भारत में सदियों से चली ही आ रही है. भारत सरकार का ये अवार्ड वास्तविक कला को दिया जाना चाहिए जो असल में अनोखी हो. भारतीय ट्रेडिश्नल परिधानों, डिजाइन और लोकरंग की कलाओं का मिश्रण सब्यसाची के डिजाइन में देखने को मिलता है, ये भव्यता दिखाते हैं, लेकिन भारत में ये इंटलेक्चुअल नहीं कहे जा सकते.

बहरहाल, ये सिर्फ मेरी कल्पना हो सकती है, लेकिन सदियों पुरानी कला के लिए इस अवॉर्ड का दिया जाना थोड़ा पचा नहीं. सब्यसाची के डिजाइन्स पुरानी कला का ही नवीनतम रूप हैं. राजा-रानियों की भव्यता दिखाते हैं. चाहें अनुष्का की बनारसी साड़ी हो जिसके लिए सब्यसाची का कहना था कि इसकी (साड़ी की) कॉपी बिकेगी और आम बाजारों में आ जाएगी, या फिर कोई लहंगा जो जिसे लाखों में बेचा जाता है. न तो बनारसी साड़ी नई है और न ही लहंगा पहनने का रिवाज. ये वही सब्यसाची हैं जिन्होंने ये कहा था कि वो भारतीय महिलाएं जो साड़ी पहनना नहीं जानती उन्हें खुद पर शर्म आनी चाहिए. सब्यसाची की साड़ियां, गहने, लहंगे कुछ भी ऐसा नहीं जो भारतीय परंपरा से मेल न खाता हो. जहां ये बात उनके डिजाइनों को खास बनाती है वहीं इसे एकदम अनूठा नहीं कहा जा सकता. ऐसे में इंटलेक्चुअल वाली बात थोड़ी पची नहीं.

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लेखक

श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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