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Updated: 28 अप्रिल, 2020 12:07 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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एक बड़ी आपदा के रूप में पैर पसार चुके कोरोना वायरस (Coronavirus) ने पूरी दुनिया को अपने आगे घुटने टेकने को मजबूर कर दिया है. इंसानों और इंसानियत को बचाने के लिए जारी इस युद्ध में सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) को एक अहम हथियार माना गया है इसलिए पूरे विश्व के तमाम मुल्कों में लॉकडाउन (Lockdown) है और लोग अपने अपने घरों में रहने को मजबूर हैं. भले ही आप और हम अपने अपने घरों में रहने को मजबूर हों और यही सोच रहे हों कि कैसे भी करके ये लॉक डाउन खत्म हो जाए मगर इन सबका एक बड़ा फायदा प्रकृति को मिला है. लॉक डाउन के इस दौर में प्रकृति अपने को हील कर रही है. इस बात को समझना हो तो हम ओजोन परत (Ozone Layer) का रुख कर सकते हैं. पिछले कई वर्षों में प्रदूषण और अन्य कारणों सेे पृथ्वी के बाहरी आवरण ओजोन में सुराख हो गया था. जिसके कारण ग्लोबल वार्मिंग का खतरा बढ़ता जा रहा था. लेकिन, पहली बार आसमान की यह तीसरी आंख बंद हुई है, जहां से हम पर अब तक प्रकृति की नाराजगी बरस रही थी.

Lockdown, Ozone, Nature, Environment, Ecosystem इंसानों के आए हों न आए हों मगर लॉक डाउन के चलते पृथ्वी के अच्छे दिन आ गए हैं

बता दें कि कोरोना काल के इस जटिल समय में ओज़ोन परत ने अपनी सेहत सुधार ली है. कहा जा रहा है कि ओजोन परत में हुआ सबसे बड़ा छेद अब भर गया है. ऐसा क्यों हुआ? इसकी एक बड़ी वजह लॉक डाउन को माना जा रहा है. दुनिया में बड़े पैमाने पर चल रही औद्योगिक गतिविधियां बंद हैं और इसका सीधा फायदा ओजोन परत को हुआ है जिसका 10 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला सबसे बड़ा छेद भर गया है.

यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम-रेंज वेदर फोरकास्ट (ECMWF) द्वारा कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (C3S) और कोपरनिकस एटमॉस्फेरिक मॉनिटरिंग सर्विसेज (CAMS) ने इस बात की पुष्टि की है. बता दें कि वैज्ञानिक लगातार ओज़ोन के इस छेद पर नजर बनाए हुए थे और मान रहे हैं कि पर्यावरण के लिहाज से ये एक बेहद महत्वपूर्ण खबर है. हालांकि अभी इस बात पर शोध चल रही है कि लॉकडाउन और ओज़ोन के इस छेद के भरने में कोई सीधा संबंध है या महज ये इत्तेफाक है.

गौरतलब है कि धरती के ऊपर वायुमंडल में उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों के ऊपर ओजोन लेयर मौजूद है. ध्यान रहे कि पूर्व में इस तरह की ख़बरें सामने आई थीं जिनमें कहा गया था कि इस लॉकडाउन का फायदा पर्यावरण को मिलेगा और दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद ओजोन लेयर का छेद भरेगा. बता दें कि पूर्व में वैज्ञानिकों ने ये दावा किया था कि उन्हें उत्तरी ध्रुव की ओजोन लेयर पर एक बड़ा छेद नजर आया है जो कि 10 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला है.

रिपोर्ट्स के अनुसार ओजोन परत के छेद को कम करने के पीछे मुख्य रूप से 3 बड़े कारण जिनमें बादल, क्लोरोफ्लोरोकार्बन्स और हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन्स शामिल हैं. अब तक जैसा आलम था बढ़े हुए प्रदूषण के कारण इन तीनों की मात्रा स्ट्रेटोस्फेयर में बढ़ती जा रही थी. मगर अब जबकि लॉक डाउन है और फैक्ट्रियों से जहरीला धुंआ नहीं निकल रहा है इसका सीधा फायदा ओजोन को हुआ है और वो हील कर गयी है.

कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि भले ही लॉक डाउन हमें बोरियत दे रहा हो. मगर जब प्रकृति की आती है तो आज हम ऐसे तमाम नज़ारे देख रहे हैं जो मन मोह लेने वाले हैं. ये कहना हमारे लिए अतिश्योक्ति नहीं है कि आज भले ही कोरोना को लेकर पूरी दुनिया फिक्रमंद है लेकिन प्रकृति इंसानों की शुक्रगुजार है जिन्होंने भले ही कुछ दिन के लिए ही सही मगर उसे अपनी तबियत संवारने का मौका दिया.

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बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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