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Updated: 22 दिसम्बर, 2021 07:43 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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कोरोना वायरस के नए ओमिक्रॉन वेरिएंट (Omicron Variant) से दुनियाभर में खौफ बना हुआ है. भारत में भी ओमिक्रॉन वेरिएंट के मामले 15 राज्यों में सामने आए हैं और इस नए वेरिएंट से संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. अमेरिका, ब्रिटेन, भारत जैसे करीब 50 से ज्यादा देशों में ओमिक्रॉन वेरिएंट के मामले सामने आ चुके हैं. इतना ही नहीं कोरोना वायरस के इस नए वेरिएंट B.1.1.529 के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं. इन सबके बीच ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO ने दावा किया है कि 'हम एक और तूफान को आते हुए देख सकते हैं.' सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में सामने आए ओमिक्रॉन वेरिएंट के मामले किसी भी तरह का प्रतिबंध लगाने से पहले ही कई देशों में पहुंच चुके थे. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे वेरिएंट ऑफ कंसर्न की श्रेणी में रखा हुआ है. भारत में लगातार बढ़ रहे ओमिक्रॉन वेरिएंट के संक्रमण मामलों को देखते हुए लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं. आइए जानते हैं ओमिक्रॉन वेरिएंट से जुड़े 5 बड़े सवालों के जवाब...

Covid 19 Omicron Variantभारत में ओमिक्रॉन वेरिएंट संक्रमितों की संख्या 213 हो गई है.

क्या ओमिक्रोन ज्यादा तेजी से फैलता है?

भारत में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान तबाही मचाने वाले डेल्टा वेरिएंट के मामले अभी पूरी तरह से खत्म नही हुए हैं. वहीं, ओमिक्रॉन वेरिएंट के मामले भी तेजी से बढ़े हैं. ओमिक्रॉन वेरिएंट के खतरे (Omicron Threat) को देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्यों को अलर्ट कर दिया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर ओमिक्रॉन वेरिएंट के डेल्टा वेरिएंट की तुलना में तीन गुना ज्यादा तेजी से फैलने की संभावना है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो ओमिक्रॉन वेरिएंट के अंदर लोगों को तेजी से संक्रमित करने की क्षमता है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड रोधी टीकाकरण में तेजी लाने के भी आदेश दिए हैं. साथ ही ओमिक्रॉन वेरिएंट के संक्रमण को स्थानीय स्तर पर ही रोकने के लिए राज्यों को निर्देशित किया है. दुनियाभर में ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, तो ये साफ है कि कोरोना वायरस के पिछले तमाम वेरिएंट्स के मुकाबले नया B.1.1.529 वेरिएंट तेजी से फैलता है. इसका एक कारण ये भी है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट में 30 से ज्यादा म्यूटेशन हो चुके हैं.

क्या हैं ओमिक्रॉन वेरिएंट के लक्षण?

डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित मरीजों में सूंघने या स्वाद न आने जैसी समस्याओं से कोरोना वायरस से संक्रमण की पहचान आसान थी. लेकिन, ओमिक्रॉन के लक्षण बहुत ही सामान्य हैं, जिसकी वजह से संक्रमित शख्स की पहचान करना बहुत ही मुश्किल है. तमाम रिपोर्ट्स में सामने आया है कि सर्दियों में आमतौर पर होने वाला जुकाम-बुखार भी ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित होने का लक्षण हो सकता है. ओमिक्रॉन वेरिएंट के लक्षण डेल्टा वेरिएंट के लक्षणों से काफी अलग हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सर्दियों के मौसम में लगातार नाक बहना, गले में खराश, लगातार छींकने जैसे चीजें लोगों के साथ सामान्य तौर पर हो ही जाती हैं. लेकिन, ये सभी लक्षण ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमण के भी हो सकते हैं. डेल्टा वेरिएंट की तरह ओमिक्रॉन से संक्रमित शख्स में सूंघने या स्वाद न आने का लक्षण हो ये जरूरी नहीं है. ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित मरीज को सांस लेने में परेशानी, लगातार नाक बहना, गले में खराश, लगातार छींक आने के साथ ही थकान और सिरदर्द के लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए.

ओमिक्रॉन पर वैक्सीन कारगर है या नहीं?

कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट पर वैक्सीन के प्रभाव को लेकर अभी पूरी तरह से कुछ भी कहना संभव नहीं है. क्योंकि, अभी इस वेरिएंट पर वैक्सीन के असर को लेकर बहुत ज्यादा जानकारी सामने नहीं आई है. भारत में टीकाकरण के लिए कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पूतनिक वी वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा है. कई स्टडीज में सामने आया है कि अगर लोगों ने वैक्सीन ली है, तो ओमिक्रॉन वेरिएंट की वजह से गंभीर रूप से बीमार होने की जगह इसका हल्का या मध्यम असर मरीज पर पड़ सकता है. लेकिन, ये भी कहा गया है कि ओमिक्रॉन के स्पाइक प्रोटीन में 30 से ज्यादा म्यूटेशन होने की वजह से बहुत हद तक संभव है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट वैक्सीन को चकमा दे सकता है. लेकिन, अभी इस बारे में भी तथ्यात्मक रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता है. क्योंकि, वैक्सीन और ओमिक्रॉन के बारे में ज्यादा डाटा उपलब्ध नहीं है.

क्या इम्यून सिस्टम ओमिक्रॉन के खिलाफ काम करेगा?

ओमिक्रॉन वेरिएंट को सामने आए अभी करीब एक महीने का ही समय हुआ है. इस वजह से ओमिक्रॉन वेरिएंट से जुड़ी स्टडी और रिपोर्ट्स में बहुत ही सीमित जानकारी के साथ संभावनाएं जाहिर की गई हैं. किसी भी बीमारी या वायरस से लड़ने के लिए सबसे पहले शरीर का इम्यून सिस्टम या इम्यूनिटी ही आगे आती है. शरीर में मौजूद एंटीबॉडीज कोरोना वायरस के पिछले वेरिएंट्स के खिलाफ भी काम कर रही थीं. कोरोना वायरस के पिछले वेरिएंट्स का सबसे खतरनाक असर कमजोर इम्यूनिटी वाले या इसके लक्षणों को नजरअंदाज करने वाले लोगों पर पड़ा था. कोरोना वायरस से पहले संक्रमित हो चुके लोगों में इससे लड़ने के लिए एंटीबॉडीज विकसित हो जाती हैं. वहीं, वैक्सीन से भी लोगों में एंटीबॉडीज का निर्माण होता है. शरीर की इम्यूनिटी (Immunity) ओमिक्रॉन के खिलाफ काम करती है, इसके बारे में अभी केवल अंदाजा ही लगाया जा सकता है. फिलहाल जिन भी देशों में ओमिक्रॉन वेरिएंट के मामले सामने आए हैं, वहां इस कोरोना संक्रमण के माइल्ड केस ही नजर आए हैं. जिसके आधार पर संभावना जताई जा सकती है कि शरीर का इम्यून सिस्टम ओमिक्रॉन के खिलाफ एक्टिव हो जाता है. 

क्या ओमिक्रॉन वेरिएंट भारत के लिए चिंता का विषय है?

भारत में ओमिक्रॉन वेरिएंट के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. कुछ ही दिनों में इसके 213 मामले सामने आ चुके हैं और यह देश के 15 राज्यों में फैल चुका है. भारत में अब तक 138 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन डोज लगाई जा चुकी हैं. जिनमें से 82 करोड़ लोगों को वैक्सीन की केवल एक डोज लगी है. बहुत हद तक संभावना है कि एक डोज लगवाने वाले और वैक्सीन न लगवाने वाले लोगों पर ओमिक्रॉन वेरिएंट का खतरा बरकरार है. ओमिक्रॉन वेरिएंट की संक्रमण क्षमता तीन गुना है, तो भारत में इसके फैलने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है. क्योंकि, लोगों के बीच कोविड उपयुक्त व्यवहार में कमी आसानी से देखी जा सकती है. इन तमाम आंकड़ों और हालातों को देखते हुए कहा जा सकता है कि भारत में ओमिक्रॉन वेरिएंट चिंता का विषय है. लेकिन, कोविड गाइडलाइंस (covid 19 guidelines) का पालन कर इससे आसानी से बचा जा सकता है.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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