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Updated: 28 अक्टूबर, 2020 12:26 PM
मशाहिद अब्बास
मशाहिद अब्बास
 
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'लव जिहाद' (Love Jihad) नाम तो सुना ही होगा आपने, पिछले कई वर्षों से इसकी चर्चाएं हो रही है. लेकिन क्या सच में ऐसा कोई जिहाद होता है? ये एक सवाल सभी के मन में लगातार जन्म लेता रहता है. इस्लाम (Islam) धर्म कई धड़े में बंटा हुआ है. इन्हीं में एक गिरोह बेहद कट्टरपंथी माना जाता है. आतंकवाद उसी गिरोह का एक हिस्सा है, इनका मानना है कि अल्लाह को मानने वाला ही इस दुनिया में रहने का हकदार है, इसीलिए वह काफिरों (वह लोग जो मुसलमान नहीं हैं) की हत्या को पुण्य का काम समझते हैं, ऐसा नहीं है कि वह सिर्फ एक खास समुदाय के लोगों को निशाना बनाते हैं. वह अपने तौर तरीके से जीवन जीने वाले लोगों को ही मुसलमान समझते हैं. जबकि अन्य मुस्लिम गुट शिया (Shia), अहमदी (Ahmadi) औऱ कुछ सुन्नी गुट के लोगों को भी अपना निशाना बनाते हैं, उनके अनुसार मुस्लिम धर्म के ये गुट भी काफिर ही हैं इसीलिए तमाम मुस्लिम देशों में इन समुदायों की मस्जिदों को भी निशाना बनाया जाता है, इनके लोगों को मारा जाता है, इसे ही वह जिहाद का नाम देते हैं. जबकि जिहाद का सही मतलब अगर समझा जाए तो वह डिफेंस के रूप में पहचाना जाता है, जिहाद उस वक्त होता है जब आपके धर्म, आपके देश या जनमानस के खिलाफ हमला हो तो उसका बचाव यानी संघर्ष करना होता है.

Haryana, Faridabad, Murder, Girlfriend, Boyfriend, Love Jihadवर्तमान में फैले कट्टरपंथ के कारण लव जिहाद भारत की एक प्रमुख समस्या है

 यह पूरी तरह से रक्षा के लिए है. लेकिन कट्टरपंथी विचारधारा के लोगों ने इसका मतलब मायने सब बदल डाला है और एक अंतराष्ट्रीय फंडिग के सहारे तरह तरह के जिहाद को बढ़ावा दिया जाता है. इन्हीं में एक जिहाद लव जिहाद भी है, उसी कट्टरपंथी विचारधारा के लोगों ने अपने गुट के बच्चों एवं अन्य गुट के बच्चों को लव जिहाद नामक जिहाद पैदा कर दिया और इसके फायदे गिनाने शुरू कर दिए. उनके द्वारा दी गई शिक्षा में यह बताया गया कि अगर आप किसी एक का भी धर्म परिवर्तन कराने में सफल होते हैं तो इसका सवाब (पुण्य) बेहद अधिक होता है और आप सीधे जन्नत के हकदार हो जाते हैं.

नवयुवकों को इसका इतना पाठ पढ़ा दिया जाता है कि वह इस कोशिश में निकल पड़ते हैं, कुछ झूठ फरेब वाले प्यार के सहारे कामयाबी पा जाते हैं तो कुछ इसमें नाकाम हो जाते हैं. हरियाणा के बल्लभगढ़ में भी एक ऐसी ही घटना घटी है. तौसीफ नामक 24 वर्षीय युवक ने पहले प्यार का जाल बिछाया और उसके बाद शादी की मांग पर अड़ गया. शादी होना न होना अलग बात है लेकिन तौसीफ ने शादी के लिए जो शर्त रखी वह उस पर सवाल पैदा करता है.

तौसीफ ने अपनी प्रेमिका निकिता नामक युवती से धर्म परिवर्तन कर शादी करने को कहा, निकिता ने धर्म बदलने से इंकार कर दिया और अपने घरवालों से तौसीफ से शादी करने की बात ही नहीं की. निकिता के घरवालों ने उसकी शादी तय कर दी, तौसीफ ने फोन पर उसे इस होने वाले रिश्ते से इंकार कर देने की बात कही. निकिता ने तौसीफ को ही मना कर दिया. इससे पहले साल 2018 में भी तौसीफ ने नीकिता से दोस्ती करने के लिए भी उस पर दबाव बनाया था और जब दोस्ती न हो पाई तो उसका अपहरण भी कर लिया था हालांकि बाद में दोनों के परिवार वालों के बीच समझौता हो गया था.

अब जब निकिता की शादी की बात कहीं और हो गई तो तौसीफ उसे रास्ते में जबरन गाड़ी में खींचने लगा, जब लड़की नहीं मानी तो बौखलाए तौसीफ ने उसकी कनपटी पर गोली मार दी. युवती की जान चली गई. आरोपी तौसीफ सामान्य परिवार से नहीं बल्कि मजबूत परिवार से संबंध रखता है तौसीफ के दादा कबीर अहमद विधायक रह चुके हैं और तौसीफ का चचेरा भाई भी वर्तमान में विधायक है. मामला हाइप्रोफाइल है तो इस पर एक्शन भी बड़ी तेज़ी के साथ हुआ, तौसीफ और उसके साथियों को धर लिया गया है, एसआईटी का गठन हो गया है. मामले की उच्चस्तरीय जांच की बात कही जा रही है.

सरेआम एक लड़की की हत्या करने की हिम्मत और जबरन शादी करने का दबाव का आरोप तौसीफ के नाम है. आखिर ये कैसा प्यार है जो अपने ही प्यार की जान को लील जाता है. ये किस तरह का प्रेम है कि अपने ही प्रेम को मिनटों में खून में लथपथ कर देता है. जहां तक प्रेम के संदर्भ में कहा जाता है तो कई ऐसे प्रेम की मिसालें भी दी जाती हैं जहां प्रेमी प्रेमिका कोसों दूर होते हैं लेकिन उनका प्रेम भले ही उनको एक न कर पाए लेकिन वो प्रेम हमेशा ज़िंदा रहता है.

दो साल पहले जिस लड़के ने दोस्ती के लिए एक लड़की का अपहरण तक कर लिया हो क्या उस पर नज़र रखना उसको सही दिशा में लाने का काम उसके परिवार वालों की ज़िम्मेदारी नहीं थी. आखिर क्यों अपहरण जैसी वारदातों के बाद आसानी से समझौता करा दिया जाता है क्या ये आरोपियों को शह देने का कार्य नहीं है. लव जिहाद एक ऐसी बीमारी है जिसका शिकार कई युवतियां हो चुकी हैं. इसपर लगाम लगाने के लिए सरकार कुछ करे न करे लेकिन अपने बेटे बेटियों पर नज़र रखनी चाहिए.

इस तरह के मंसूबों पर तब ही पानी फेरा जा सकता है. आज भी भारतीय संस्कृति में लड़की का लड़कों के साथ दोस्ती करना या उनके साथ घूमना फिरना असभ्य माना जाता है, लेकिन आज कल के युग के नौजवान युवती युवक इस बात को सिरे से खारिज करते हैं. पश्चिम देशों की संस्कृति के साथ जीने की कोशिश में उन्हें अधिकतर धोखा ही हासिल होता है. लड़कियों की सुरक्षा के लिए इस तरह के कट्टरपंथी विचारधारा के लोगों पर कड़ी कार्यवाई करने की ज़रूरत है और इस बीमारी का जड़ से खात्मा भी ज़रूरी है.

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लेखक

मशाहिद अब्बास मशाहिद अब्बास

लेखक पत्रकार हैं, और सामयिक विषयों पर टिप्पणी करते हैं.

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