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Updated: 20 मार्च, 2019 05:19 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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15 मार्च न्यूजीलैंड के इतिहास में काले दिन को तौर पर जाना जाएगा. इसी दिन क्राइस्‍टचर्च में हुई फायरिंग में करीब 50 लोगों की जान चली गई जिसमें 6 भारतीय भी थे. ये हमला इस्लाम विरोधी मानसिकता का नतीजा था. और इसीलिए इसमें वो लोग शिकार किए गए जो मस्जिद में प्रार्थना करने गए थे. बड़ी बेरहमी से उनपर गोलियों की बौछार की गई थी.

आतंकवादी हमले तो दुनिया भर में होते हैं. कुछ समय पहले पुलवामा में हुआ था, अब न्यूजीलैंड में हुआ है. लेकिन इस हमले के बाद जो कुछ न्यूजीलैंड में दिखाई दिया, वो कहीं और देखने को नहीं मिला. दो बातों का जिक्र यहां करना बेहद जरूरी है. पहला- न्यूजीलैंड की पीएम जेसिंडा की सोच का और दूसरा- दूसरे धर्म के प्रति न्यूजीलैंड के लोगों के सकारात्मक दृष्टिकोण का. इसपर बात करना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि आतंकवाद पर जिस तरह से न्यूजीलैंड रिएक्ट कर रहा है वो कई देशों के लिए सबक हो सकता है. खासकर भारत के लिए.

jascida ardernजेसिंडा ने हिजाब पहनकर मुस्लिम समुदाय के लोगों को गले लगाया और सांत्वना दी

इस हमले के बाद से हम न्यूजूलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न को देख रहे हैं कि वो किस तरह मरने वालों के परिवार को संभाल रही हैं, उनके साथ खड़ी हैं. जेसिंडा जब पीड़ित परिवारों से मुलाकात करने गईं तो उन्होंने हिजाब पहन रखा था जिससे वो उन्हें महसूस करवा सकें कि मुस्लिम समुदाय अकेला नहीं है. बड़ी आत्मीयता ने जेसिंडा ने रोते हुए लोगों को गले से लगाया. जेसिंडा ने कहा, 'आपने जो देखा वो न्यूजीलैंड नहीं है. हम ऐसे नहीं है और हमारे देश में नफरत और आतंकवाद की कोई जगह नहीं है.' जेसिंडा आरड्रेन ने भरोसा भी दिलाया कि उनके देश में जल्‍द ही गन लॉ में बदलाव होगा.

आतंक के इस दौर में जेसिंडा सकारात्मक राजनीति का चेहरा बनकर उभरी हैं. इस हमले पर जेसिंडा ने जो बात कही उसे आतंकवाद के खिलाफ एक करारा जवाब कहें तो गलत नहीं होगा. जेसिंडा ने न्यूजीलैंड की संसद में कहा कि- 'उसने अपने इस आतंकी काम के जरिए के बहुत सी चीजें चाहीं, उसमें से एक थी प्रसिद्धी और इसीलिए आप मुझे कभी उसका नाम लेते नहीं सुनेंगे. वो एक आतंकवादी है, वो एक अपराधी है, वो उग्रवादी है, लेकिन जब भी मैं उसके बारे में बोलूंगी वो नामहीन होगा. मैं लोगों से प्रार्थना करती हूं कि नाम लेना है तो उनका लीजिए जिन्हें हमने खोया है बाजाए उसके जिसने उन्हें हमसे छीना है.'

यानी जेसिंडा नहीं चाहतीं कि वो या फिर कोई भी आतंकवादी को उसके नाम से जाने. उसकी पहचान सिर्फ आतंकवादी के रूप में हो. न कि उसके धर्म या नाम से.

न्यूजीलैंड किस तरह मुस्लिम समुदाय के साथ खड़ा है. वो आप इस वीडियो में देख सकते हैं. मुस्लिम लोगों पर हए आतंकवादी हमले के बाद न्यूजीलैंड के लोग अपना समर्थन दिखाने के लिए मस्जिद में प्रार्थना में भाग ले रहे हैं. मस्जिद में जहां एक तरफ लोग प्रर्थना कर रहे हैं, वहीं गैर मुस्लिम लोग सिर्फ उनका साथ देने के लिए मस्जिद में बैठे हैं. साथ देने वालों में महिलाएं और पुरुष दोनों हैं.

सोशल मीडिया पर न्यूजीलैंड के लोग इस तस्वीर को अपनी प्रोफाइल पिक्चर लगा रहे हैं. जो मुस्लिम समाज के साथ एकजुट खड़े दिखाई दे रहे हैं.

newzealandइस तस्वीर को लोग अपनी प्रोफाइल पिक्चर बना रहे हैं

अब जरा पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले को याद करें. हमने भी इस हमले में 49 जवानों को खो दिया था. हमले के बाद देश में काफी गुस्सा और अशांति फैली. हमलावर ने अपना वीडियो भी जारी किया जिसमें उसका नाम और पहचान सब जाहिर था. आतंकी के नाम और उसके धर्म यहां तक कि उसके इलाके पर राजनीति शुरू हो गई. आतंकवाद के धर्म और आतंकवाद के देश पर खूब चर्चाएं की गईं. और देश भर की नफरतों का शिकार हुई पूरी कौम और पूरा कश्मीर. हमरे देश में हमेशा से ही आतंकवादी के धर्म पर राजनीति होती आई है. ये वो मुद्दे हैं जो देश में सांप्रदायिक सदभाव को बिगाड़ने का काम करते हैं. पुलवामा हमले के बाद कितने ही कश्मीरियों के साथ हुए बुरे बर्ताव को देखा गया. ऐसे में जेसिंडा का ये कहना कि वो आतंकवादी को कभी उसके नाम से नहीं पुकारेंगी, ये हमारे देश के तमाम लोगों के लिए सबक है जो आतंकवादी के धर्म और उसकी जाति पर राजनीति करते हैं.

दूसरे धर्म पर हमला हुअा तो न्यूजीलैंड में लोग इस तरह एकजुट हुए जैसे सबका धर्म सिर्फ इंसानियत हो. अब जरा कल्पना कीजिए भारत में किसी धार्मिक स्थल पर हुए हमले की. क्या दूसरे धर्म के लोग पीडितों की हिम्मत बढ़ाने के लिए उनके धार्मिक स्थल पर जाकर खड़े हुए? नहीं, क्योंकि इसी बात पर तो राजनीति के खेल खेले जाते हैं. अगर धर्म मिल-जुलकर रहेंगे तो राजनीति कैसे फले-फूलेगी. न्यूजीलैंड में लोगों ने ये नहीं देखा कि मस्जिद में आने वाली महिलाएं थी, ये भी नहीं देखा कि वो क्या पहनकर मस्जिद में आई थीं. देखा तो सिर्फ उनका दिल जिसमें उनके लिए सिर्फ प्यार था.

न्यूजीलैंड को ऐसे ही दुनिया का दूसरा सबसे शांतिप्रिय देश नहीं कहा जाता. इस देश के लोगों में वो बात है जिससे वो आतंकवाद को हरा सकते हैं. जैसिंडा की कही बात और वहां के लोगों की सोच आतंकवाद के हैसले पस्त करने के लिए काफी है. क्योंकि आतंकवादी जो चाहते हैं वो न्यूजीलैंड उन्हें नहीं दे रहा, हां भारत जरूर दे रहा है. अब भी वक्त है, कुछ तो सीख लो इस शांतिप्रिय देश न्यूजीलैंड से.

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पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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