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Updated: 19 जनवरी, 2019 01:23 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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यूपी के गोंडा में एक महिला ने आत्महत्या कर ली क्योंकि उसका गैंगरेप करने वालों को पुलिस ने क्लीनचिट दे दी थी. आरोपियों ने रेप करते हुए महिला का वीडियो भी बनाया था. इस मामले पर जब सुनवाई नहीं हो रही थी तो महिला और उसके पति ने लखनऊ विधान भवन के आगे खुद को जलाने की कोशिश भी की थी. लेकिन इंसाफ की लड़ाई लड़ रहे ये पति-पत्नी इतने खुशकिस्मत नहीं थे. बलात्कारियों को बेकसूर बता दिया गया तो महिला ये बर्दाश्त नहीं कर पाई और फांसी लगा ली. अब पति लड़े भी तो किसके लिए...पत्नी तो साथ छोड़ गई.

लेकिन एक और पति है जो अपनी पत्नी के लिए अब भी लड़ रहा है. अपनी पत्नी के गुनहगारों को सजा दिलवाने की जिद किए बैठा है. इस इंसान की कहानी सुनकर आप पति-पत्नी के रिश्ते, प्यार और साथ निभाने के जज्बे को बहुत करीब से समझ पाएंगे.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिर्पोर्ट के अनुसार- हरियाणा के जींद में रहने वाले जितेंदर छत्तर ने एक गैंग रेप पीड़िता से शादी की. एक रेप पीड़िता से शादी करना और फिर बलात्कारियों को सजा दिलवाने के संघर्षों की कहानी जितेंदर खुद बयां कर रहे हैं-

'पहले मैं उस बात से शुरुआत कर रहा हूं जिसे पढ़ना और लिखना बहुत असहज है. कुछ सालों पहले 8 लोगों ने मेरी पत्नी का सामूहिक बलात्कार किया. उन्होंने रेप करते हुए उसकी तस्वीरें लीं और वीडियो भी बनाए, जिसका इस्तेमाल करके उन्होंने उसे ब्लैकमेल भी किया. उन्होंने उसकी नग्न तस्वीरें ली थीं, और उन तस्वीरों को हथियार बनाकर उन्होंने एक से डेढ़ साल तक उसका बलात्कार भी किया.

जब ये सब कुछ हुआ था तब हमारी शादी नहीं हुई थी. ये रिश्ता हमारे माता-पिता ने पक्का किया था, शादी सबको मंजूर थी. सितंबर 2015 में हमारी मंगनी हो गई. शादी 4 महीने के बाद होनी थी तब तक मैं अपनी मंगेतर से मिल भी नहीं सकता था क्योंकि हरियाणा में ऐसा ही रिवाज है.

मंगनी के बाद हम एक दूसरे से फोन पर बात किया करते थे. मैं छत्तर गांव का था और वो जींद में रहती थी जो 30 किलोमीटर की दूरी पर थे. एक दिन उसने कहा कि उसे एक बहुत जरूरी बात कहनी है. और वो चाहती है कि मैं अपने माता-पिता के साथ एक बार फिर से उनके घर आऊं. हम जब वहां पहुंचे तो उसने बताया कि वो एक बलात्कार पीड़िता है और वो एक झूठ के साथ किसी रिश्ते की शुरुआत नहीं करना चाहती. अपनी आखों में आंसू लिए उसने मेरी तरफ देखकर कहा- 'मैं इस रिश्ते के लायक नहीं हूं, आप मुझसे शादी मत करो.'

मेरी अंतरात्मा मुझे झकझोरने लगी और मैंने सोच- मेरा भगवान मुझे माफ नहीं करेगा अगर मैं इस लड़की से शादी नहीं करूंगा. मैंने उससे कहा- 'मैं सिर्फ तुमसे शादी ही नहीं करूंगा बल्कि ये वादा भी करता हूं कि तुम्हें न्याय मिले.' इंसाफ की लड़ाई तो हमारी शादी के पहले ही शुरू हो गई थी.'

अब यहां आप समझ सकते हैं कि जितेंदर की जगह अगर कोई दूसरा होता तो इस शादी को तभी तोड़ देता. क्योंकि हमारे समाज में तो यही माना जाता है कि जिस महिला का बलात्कार हो जाता है उसकी कोई इज्जत नहीं होती. लेकिन जितेंदर ने ऐसा नहीं किया.

इस सच को जानने के दो हफ्ते बाद ही जिंतेदर ये निर्णय कर चुके थे कि उन्हें अपनी मंगेतर के बलात्कारियों को सजा दिलवानी है. उन्होंने मंगेतर के साथ उन 8 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज करवाई, वकील किए, और कानूनी कारवाई को आगे बढ़ाया. केस बनने के बाद इन दोनों के परिवार वालों को धमकियां मिलने लगीं लेकिन ये नहीं रुके. दिसंबर 2015 में इनकी शादी भी हो गई.

JITENDERजितेंदर ने अपनी पत्नी के बलात्कारियों को सजा दिलाने का प्रण लिया है

ये सब करना किसी के लिए भी इतना आसान नहीं होता. लेकिन जितेंदर छत्तर का कहना है कि इंसाफ की ये लड़ाई वो सिर्फ इसलिए लड़ पा रहे हैं क्योंकि उनके माता-पिता का आशीर्वाद और मर्जी इसमें शामिल थी. बिना उनकी मर्जी के हरियाणा जैसी जगह ये सब कर पाना असंभव था.  माता-पिता के संबंध गांववालों के साथ अच्छे थे इसलिए गांववालों ने भी साथ दिया. जितेंदर कहते हैं- 'शादी से पहले पूरी पंचायत मेरी पत्नी को न्याय दिलाने के मेरे फैसले में मेरे साथ खड़ी थी.'

जितेंदर बताते हैं कि- आरोपी राजनीतिक परिवार से थे, रसूखदार थे. उन्होंने केस वापस लेने के लिए धमकाया भी और पैसे की पेशकश भी की. पुलिस के सामने हमने जो सबूत रखे गए थे वो अदालत में नहीं रखे गए और मेरे खिलाफ धोखाधड़ी के तीन मामले भी बनाए गए. जिन्हें जांच में गलत पाया गया. जिला अदालत ने तो आरोपियों को बरी कर दिया लेकिन फिर मैंने हाईकोर्ट में अर्जी डाली है.'

खेती-बाड़ी करने वाले एक कसान के लिए हाईकोर्ट में केस लड़ना इतना भी आसान नहीं होता. लिहाजा जिंतेदर को वकीलों की फीस देने के लिए अपनी जमीन भी बेचनी पड़ी. उन्हें फीस के लिए 14 लाख का इंतजाम करना था जिसके लिए उन्होंने गांव के दो प्लॉट बेच दिए. गांव से अदालत के चक्कर लगाना आसान नहीं था इसलिए गांव छोड़कर जींद में रहने लगे. जितेंदर को खेती-बाड़ी भी छोड़नी पड़ी.

लेकिन इतना पैसा वकीलों को देने से बेहतर था कि जितेंदर खुद वकील बन जाएं. इसलिए अब वो लॉ कर रहे हैं. जितेंदर कहते हैं- 'लॉ करने के बाद मैं खुद अपनी पत्नी का केस लड़ पाऊंगा. क्योंकि न तो मैं केस लड़ने के लिए और फीस भर सकता हूं और न ही किसी और वकील पर भरोसा कर सकता हूं.'

और तो और जितेंदर अपनी पत्नी को भी लॉ की पढ़ाई करवा रहे हैं. उनके दो साल का एक बेटा भी है और वो चाहते हैं कि वो अपने परिवार के साथ चंड़ीगढ़ चले जाएं. महिलाओं की जिंदगियां बर्बाद करने वाले रेप कल्चर और पित्रसत्तात्मक समाज से दूर चंडीगढ़ के ही किसी अच्छे स्कूल में वो बच्चे का दाखिला करवाना चाहते हैं. जितेंदर कहते हैं कि- 'हमें लगता है कि बदलाव आएगा. शहरों के मीटू मूवमेंट की तरह किसी न किसी दिन गांवों में रहने वाली महिलाओं की जिंदगियां भी बदलेंगी. मैं और मेरी पत्नी पूरी मेहनत कर रहे हैं. हमें लगता है कि हम बदलाव ला सकते हैं.'

'हरि' के इस प्रदेश में बलात्कार बहुत आम है

हरियाणा का नाम भले ही भगवान 'हरि' के नाम पर हो लेकिन यहां होने वाले सामूहिक बलात्कारों की संख्या भारत के किसी भी दूसरे प्रदेश से ज्यादा है. फिर भी इस अपराध के बारे में बात नहीं की जाती. समाज सारा दोष सिर्फ महिलाओं पर ही मढ़ देता है. लड़कियों के माता-पिता हमेशा अपनी बेटियों की सुरक्षा के लिए डर में जीते हैं.

सरकार भले ही बदल जाती हैं लेकिन हरियाणा के हालात जस के तस बने हुए हैं. न तो महिलाओं के प्रति सोच बदली और न बलात्कार के मामलों में कमी आ रही है. रेवाड़ी गैंगरेप कौन नहीं भूला. कुछ ही महीनों पहले यहां cbse की टॉपर 19 साल की एक लड़की को अगवा कर उसका बलात्कार किया गया था. ये मामले यहां की स्थिति खुद बयां करते हैं.

jatyanaहरियाणा में रेप बड़ी समस्या है

जितेंदर के बारे में एक बात जो सबसे रेचक है वो ये है कि ये वही शख्स हैं जिनकी एक बात कुछ सालों पहले काफी चर्चित हुई थी. तब उन्हें खाप पंचायत का लीडर कहा गया था और उन्होंने कहा था कि चाऊमीन की वजह से रेप होते हैं. मीडिया में उनकी इस बात की काफी आलोचना की गई थी. लेकिन ऐसा कहने वाला ये शख्स उस वक्त लिंग चयन और कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए खाप पंचायतों के साथ जींद के 24 गांवों में काम कर रहा था.

जितेंदर कहते हैं- 'मैंने वक्त के साथ सीख रहा हूं. उस समय मुझे लगता था कि बढ़ते रेप का कारण कहीं न कहीं शराब, ड्रग्स और फास्टफूड हैं. मेरी कही इस बात पर बहुत कुछ कहा गया, लेकिन मैंने तो हमेशा महिलाओं की समस्याओं को ही अहमियत दी थी. मैंने पत्रकारों को यही बताया था कि इस मामले में पुरुषों को शिक्षित होने की जरूरत है, हमारे बच्चों को पारंपरिक मूल्य सिखाने की जरूरत है, जिसमें महिलाओं का सम्मान करना भी शामिल है, लेकिन असली बात तो पीछे ही छूट गई और चाउमीन वाली बात को लेकर हंगामा हो गया.'

जितेंदर की कहानी सुनकर एक तरफ तो हरियाणा के रेप कल्चर और समाज की सोच पता चलती है जो महिलाओं के खिलाफ है. वहीं व्यक्ति की उस सोच का भी पता चलता है जो महिलाओं के प्रति सिर्फ सम्मान रखती है. जितेंदर चाहते तो शादी तोड़कर आराम से जीवन बिता रहे होते, लेकिन एक जिम्मेदार व्यक्ति की तरह उन्होंने अपनी पत्नी का साथ दिया. ये एक महिला के प्रति सम्मान ही तो था जो उनसे वो करवा गया जो कोई नहीं करता. दुनिया में ऐसे लोग कम हैं और हरियाणा में तो बहुत ही कम. लेकिन यही कुछ लोग दुनिया को प्रेरित करने के लिए काफी होते हैं. जितेंदर छत्तर पर राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक विभा बक्शी एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म 'Son-Rise' बना रही हैं. जो हो न हो समाज को बदलने की दिशा में एक अहम भूमिका निभा सकती है.

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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