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Updated: 26 फरवरी, 2016 06:13 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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हम कभी सोचते भी नहीं कि हमारे घर की बच्चियां जब स्कूल जाने के लिए बाहर निकलती हैं, तो रास्ते में उनके साथ क्या होता है. ये एक कड़वी सच्चाई है कि बच्चियां किसी के भी घर की हों, ईव टीजिंग की शिकार तो होंगी ही. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनकी उम्र क्या है.

छेड़छाड़, फबतियां, अश्लील इशारे, गंदे कमेंट्स, स्कूल जाने वाली बच्चियों के कोमल मन पर बहुत बुरा प्रभाव छोड़ते हैं. ये नन्ही बच्चियां खुद नहीं जानती कि उनके साथ कोई ये सब क्यों कर रहा है.

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एनजीओ 'ब्रेकथ्रू' ने 2014 में एक स्टडी की जिसमें ये पाया गया कि स्कूल जाते और लौटते समय करीब 50% लड़कियों से छेड़खानी होती है और करीब 32% लड़कियों का स्कूल और कॉलेज जाते समय पीछा किया जाता है.

6 राज्यों कर्नाटक, उत्‍तर प्रदेश, झारखंड, बिहार, हरियाणा और दिल्‍ली के 900 लड़कियों से बातचीत की गई थी. जिसमें-

- 52% लड़कियों ने बताया कि स्कूल या कॉलेज जाते वक्त समय उन पर यौन हमला हुआ.

- 47% फीसद लड़के और लड़कियों ने बताया कि सुबह स्कूल जाते वक्त उनके साथ छेड़खानी की जाती है.

- 48% छात्रों का कहना था कि स्कूल से घर लौटते वक्त उन्हें यौन हमलों का शिकार होना पड़ता है.

- स्कूल जाने वाली छात्राओं के साथ छेड़खानी की 52% घटनाएं बस स्टॉप पर हुईं.

- 23% यौन हमले स्कूल या कॉलेज के अंदर हुए हैं.

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लड़कियों के लिए स्कूल और घर का सफर सुरक्षित हो इसके लिए इस एनजीओ ने 'मेक इट सेफर' नाम से एक ऑनलाइन मुहिम शुरू की है. जिसका मकसद है लड़कियों को सुरक्षित माहौल देना जो इस वीडिये को जरिए समझाया गया है.

देखिए वीडियो-

Make it Safer

Here’s an alarming fact - the person most vulnerable to sexual harassment is the schoolgirl. She faces many threats on the way to school, from cat-calls and leers to worse. She is pulled out of school, married off early and ends up becoming mother even before hitting adulthood. Our #MakeitSafer programme is conducting over 300 activities in 16 districts over the next 2 months to make the journey to school safer for young girls. Check out this short video that explains how YOUR donation can help build a safer life for our girls.  To Donate, go to this link : https://www.inbreakthrough.tv/igirl/

Posted by Breakthrough India on Monday, February 8, 2016

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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