New

होम -> समाज

 |  4-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 22 सितम्बर, 2021 03:33 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
  • Total Shares

सत्ता से लेकर संतों की सबसे बड़ी संस्था अखाड़ा परिषद में अपना वर्चस्व रखने वाले निरंजनी अखाड़े के महंत नरेंद्र गिरि (Mahant Narendra Giri Suicide) की मौत ने संत समाज से लेकर राजनीति के बड़े-बड़े नामों को स्तब्ध कर दिया है. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष के रूप में महंत नरेंद्र गिरि के दरबार में हर नेता अपनी हाजिरी जरूर लगाता था. प्रयागराज के बाघंबरी मठ में संदिग्ध परिस्थितियों में आत्महत्या करने वाले महंत नरेंद्र गिरि को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर विपक्ष के तमाम नेताओं ने भी श्रद्धांजलि दी है. पुलिस इस मामले को प्रथम दृष्टया आत्महत्या का मामला ही मान रही है. लेकिन, जैसे-जैसे पुलिस की जांच आगे बढ़ रही है, मामले में और खुलासे हो रहे हैं. महंत नरेंद्र गिरि की मौत पर उनके शिष्यों और परिजनों का कहना है कि वो आत्महत्या जैसा कदम उठा ही नहीं सकते थे. उन्होंने इसमें किसी साजिश का शक जताया है.

वहीं, महंत नरेंद्र गिरि के शव के पास मिले सुसाइड नोट के आधार पर उनके शिष्य आनंद गिरि (Anand Giri), लेटे हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी आद्या तिवारी और उनके बेटे संदीप तिवारी को गिरफ्तार किया गया है. हालांकि, शव के पास मिले सुसाइड नोट को भी पुलिस संदेह की नजर से ही देख रही है. दरअसल, जिस कमरे में नरेंद्र गिरि का शव बरामद हुआ था, पुलिस (Police) के घटनास्थल पर पहुंचने से पहले ही उसका दरवाजा तोड़ दिया गया था. महंत नरेंद्र गिरि के शिष्यों ने उनका शव फंदे से उतार कर जमीन पर रख दिया था. जिसके बाद क्राइम सीन से छेड़छाड़ की संभावना के चलते पुलिस इस तथ्य के आधार पर भी अपनी जांच कर रही है.

महंत नरेंद्र गिरि का अपने शिष्य आनंद गिरि के साथ लंबे समय से विवाद चल रहा था. बरामद हुए सुसाइड नोट में भी आनंद गिरि के ऊपर गंभीर आरोप लगाए गए हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सुसाइड नोट में महंत नरेंद्र गिरि ने लिखा है कि मुझे बदनाम करने की साजिश रची जा रही है. एक महिला के साथ मेरा वीडियो जोड़कर वायरल करने की धमकी दी जा रही है. अगर ऐसा हो जाता है, तो मैं समाज को कैसे मुंह दिखाऊंगा? इससे अच्छा तो मेरा मर जाना है. मैं इन आरोपों से बेहद दुखी हूं और आत्महत्या (Mahant Narendra Giri Death) कर रहा हूं. मेरी मौत के जिम्मेदार आनंद गिरि, आद्या तिवारी और संदीप तिवारी होंगे.

पुलिस बाघंबरी मठ व निरंजनी अखाड़े के उत्तराधिकार, करोड़ों की संपत्ति और शिष्यों से विवाद से लेकर हर उस संभावित एंगल पर तफ्तीश कर रही है, जिससे नरेंद्र गिरि की आत्महत्या की गुत्थी को सुलझाया जा सके. मौत से एक दिन पहले उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को लेटे हनुमान मंदिर में पूजा करवाने वाले महंत नरेंद्र गिरि की आत्महत्या पर दर्जनों सवाल खड़े हो रहे हैं. खैर, पुलिस की जांच में सामने आ ही जाएगा कि नरेंद्र गिरि ने आत्महत्या की है या उनकी किसी साजिश के तहत हत्या की गई है. पुलिस की जांच में आत्महत्या के पीछे की वजह भी साफ हो जाएगी, जिसकी वजह से एक संत ने इतना बड़ा कदम उठा लिया. लेकिन, ये पहली बार नहीं है, जब किसी संत ने आत्महत्या जैसा कदम उठाया हो. आइए जानते हैं उन संतों के बारे में जो पहले आत्महत्या कर चुके हैं...

mahant narendra giri suicideभय्यू महाराज, महंत नरेंद्र गिरि, संत बाबा राम सिंह कर चुके हैं आत्महत्या.

भय्यू महाराज

सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे का अनशन तुड़वाने में अहम भूमिका निभाने वाले भय्यू महाराज (Bhaiyyu Maharaj) ने 2018 में गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी. भय्यू महाराज को मध्य प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री का दर्जा हासिल था. भय्यू महाराज संत बनने से पहले मॉडल रह चुके थे. भय्यू महाराज आम आध्यात्मिक गुरुओं की तरह नहीं थे और उन्होंने गृहस्थ जीवन का त्याग नहीं किया था. महाराष्ट्र की राजनीति में उन्हें संकटमोचक के तौर पर जाना जाता था. नितिन गडकरी से लेकर विलासराव देशमुख तक के उनके संबंध थे. भय्यू महाराज ने 49 वर्ष की उम्र में दूसरी शादी कर अपने भक्तों को चौंका दिया था. आध्यात्मिक संत भय्यू महाराज ने ब्लैकमेलिंग से परेशान होकर आत्महत्या की थी. पुलिस ने इस मामले में उनके ट्रस्ट की केयर टेकर पलक पुराणिक, सेवादार विनायक दुधाले और शरद देशमुख को गिरफ्तार किया गया था. भय्यू महाराज की आत्महत्या का मामला अभी भी कोर्ट में चल रहा है.

संत बाबा राम सिंह

किसान आंदोलन के दौरान दिल्ली के कुंडली बॉर्डर पर संत बाबा राम सिंह (Sant Baba Ram Singh) भी किसानों का समर्थन करने के लिए मौजूद थे. बीते साल दिसंबर में संत बाबा राम सिंह ने धरनास्थल पर ही रिवॉल्वर से खुद को गोली मार ली थी. आनन-फानन में उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. करनाल जिले के सिंगड़ा गांव में संत बाबा राम सिंह का डेरा था, इसी वजह से वह सिंगड़ा वाले बाबा जी के नाम से मशहूर थे. हरियाणा और पंजाब में संत बाबा राम सिंह काफी लोकप्रिय थे. संत बाबा राम सिंह सिखों के नानकसर संप्रदाय से जुड़े थे. बताया गया था कि वह किसान आंदोलन में किसानों के बुरे हालात को देखकर बहुत आहत थे. संत बाबा राम सिंह लगातार किसान आंदोलन में आ रहे थे और किसानों का समर्थन कर रहे थे. उनके सुसाइड नोट में किसानों की दुर्दशा से दुखी होकर आत्महत्या की बात सामने आई थी.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय