Maha Shivratri 2021: शिव-पार्वती से हर कपल को सीखनी चाहिए ये चार बातें
समय कितना भी क्यों ना बदल जाए, पति-पत्नी के रूप में शिव-पार्वती (Maha Shivratri 2021) की प्रासंगिकता कभी खत्म नहीं होती.
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शिव को गृहस्थों का देवता कहा जाता है. लड़कियां महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2021) के दिन व्रत करके मनचाहे जीवनसाथी की कामना करती हैं. आज ही के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. जीवन को सफल बनाने के लिए जोड़े मां पार्वती और भगवान शंकर को आदर्श मानते हैं. अगर कपल अपनी जिंदगी में शिव-पार्वती के गुण उतार लें तो उनकी गृहस्थी सफल हो जाती है. आज के समय में बिखरते रिश्तों को और ज्यादा संभालने की जरूरत है. समय कितना भी क्यों ना बदल जाए, पति-पत्नी के रूप में शिव-पार्वती की प्रासंगिकता कभी खत्म नहीं होती.
शिव-पार्वती हैं आदर्श कपल
पति-पत्नी को यह समझना होगा कि उनका साथ और उनकी समझ ही उनके रिश्ते का आधार है. शंकर-पार्वती (shiv parvati) की सात्विक जोड़ी से बहुत कुछ सीखा जा सकता है. शिव और पार्वती दोनों ही एक दूसरे की शक्ति हैं. मां गौरा को यूं ही शिव की अर्धांगिनी नहीं कहा जाता है. सिर्फ सुख-सुविधा, इच्छाओं को पूरा करना और भागमभाग जिंदगी में सहूलियत जुटाना ही जिंदगी को सुखी नहीं बनाता. महादेव के परिवार की जिंदगी बहुत सरल है, इससे प्रेरणा लेकर रिश्तों में संतुलन और प्रेम बनाकर चलने से जिंदगी आसान हो सकती है.
शिव परिवार में सबको साथ लेकर चलने की सोच देखी जाती है. शिव के परिवार में भूत-पिशाच, देव-दानव-गण सभी शामिल हैं. वैवाहिक जीवन में जिम्मेदारियों और खुशियों का मिलन ही जीवन को सुखी बनाता है. इसके अलावा समाज और प्रकृति को भी साथ लेकर चलने की सीख मिलती है, जिससे आज के समय में लोग दूरी बना रहे हैं. भगवान शिव को आदर्श मुखिया माना जाता है, जिनसे अपनी जिम्मेदारियों को निभाने की प्रेरणा मिलती है. चलिए इस महाशिवरात्रि आपको शिव-पार्वती (happy mahashivratri 2021) की कुछ ऐसी बातें बताते हैं जिन्हें अपने जीवन में शामिल कर आप भी दांपत्य जीवन का सुख ले सकते हैं और पति-पत्नी अपने बीच प्रेम को बढ़ा सकते हैं.
सरल प्रेम
शिव का प्रेमं सरल व सहज है और उन लोगों के लिए सीख है जो शादी के समय खूबसूरती और पैसा को प्राथमिकता देते हैं. शिव के प्रेम में समर्पण के साथ सम्मान भी है. शिव प्रथम पुरुष हैं फिर भी उनमें मेल ईगो नहीं है. सती के पिता दक्ष ने शिव को न्योता नहीं दिया फिर भी उन्होंने सती के मायके जाने के फैसले का सम्मान किया और अपने दांपत्य जीवन में कड़वाहट नहीं आने दिया. शिव और शक्ति कई बार अलग हुए लेकिन एक-दूसरे को ढूंढकर अपनी संपूर्णता को पाया. शिव ने सिखाया कि प्रेम में आधा बंटकर भी कैसे वे संपूर्ण हो गए. वहीं मां पार्वती ने भस्मधारी, गले में सर्प की माला वाले शिव को पसंद करके लोगों को यह सीख दी कि प्रेम में बाहरी दिखावा मायने नहीं रखता. गृहस्थ जीवन में पैसा और खूबसूरती बल्कि प्रेम और समर्पण जरूरी है.
समानता है जरूरी
महादेव को यूं नहीं अर्धनारीश्वर कहा गया है. इसका मतलब है कि भगवान शिव का आधा शरीर पुरुष और आधा स्त्री रूप में रहता है. इस बात से कपल को सीख लेनी चाहिए कि भले ही पति-पत्नी शरीर से दो होते हैं लेकिन उनका मन एक होना चाहिए. आज के समय में कई जोड़े इस बात पर लड़ते हैं कि दोनों में से किसका ओहदा बड़ा है, जबकि शिव-पार्वती यह सिखाते हैं कि पति-पत्नी दोनों एक हैं.
रिश्ते में ईमानदारी
आज के समय में बहुत कम रिश्तों में ईमानदारी देखने को मिलती है. जिसकी वजह से कलह और तलाक तक की नौबत आ जाती है. हर लड़की का सपना होता है कि उसका पति भोले जैसा सीधा और प्यार करने वाला मिले. जो उसकी बात सुने और उसका सम्मान करे. भगनाव शिव, पार्वती से कितना प्रेम करते थे इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब मां पार्वती, शिव के अपमान से दुखी होकर सती हो गईं थीं तो उन्होंने रौद्र रूप धारण करके दुनिया का विनाश करना शुरू कर दिया था. इस बात से कपल को सीख मिलती है कि पति-पत्नी को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए.
आदर्श मुखिया
भगवान शिव को एक आदर्श मुखिया के रूप में जाना जाता है. जो अपने परिवार को एक साथ रखते हैं. आज के समय में अलग-अलग विचार ही पति-पत्नी के बीच कलह की वजह बन जाती है. भगवान शिव के गले में सांप की माला है जो उनके पुत्र गणेश के वाहन चूहे का शत्रु माना जाता है. वहीं भगवान शिव का वाहन बैल है और माता पार्वती का वाहन शेर है. ये दोनों भी एक-दूसरे के शत्रु हैं लेकिन सब मिलकर रहते हैं, इनमें कोई बैर नहीं है. कहने का मतलब यह है कि परिस्थिति चाहे कितनी भी अलग क्यों ना हो, हमें शिव की तरह अपने परिवार को एक साथ लेकर चलना चाहिए. अगर ये बातें जोड़े अपने जीवन में शामिल करते हैं तो उनकी गृहस्थी भी शिव-पार्वती की तरह सफल हो सकती है.

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