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Updated: 12 जुलाई, 2016 05:31 PM
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मध्यप्रदेश में थम-थम कर ही सही लेकिन बरसात जारी है. अभी भी घुमड़ती काली घटाएं बाढ़ प्रभावित इलाकों को डरा रही हैं. निडर है तो एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के कमांडो दस्ते. जो हर सम्भव इलाकों में बाढ़ में फंसे लोगों को बचाने में दिनरात जुटे हैं. इनके साथ 'नूह की नाव' में हम भी सवार होकर चल पड़े बेतवा के बेपनाह उफनते पानी में राहत की राह बनाने. 

एनडीआरएफ की टीम को भोपाल-विदिशा राजमार्ग पर बाढ़ से बचके भागे घबराए गांव वालों ने बताया नूनीखेड़ा गांव का 'आसमान' एक किलोमीटर दूर खेतों में नीम पर फंसा है. पेड़ में उसकी गाय भी फंसी है. तेज बहती बेतवा की धार 15 फुट से ज़्यादा ऊंची है. सांची की पहाड़ियों के दामन में बसे गांवों में एक है नोनीखेड़ा. छोटे किसानों और पशुपालकों का गांव. रविवार सुबह बेतवा का पानी घरों में घुस गया. गांव के आसमान सिंह गाय को खोलने निकले लेकिन पानी का बहाव इतन तेज था कि उन्हें पेड़ पर चढ़ कर अपनी जान बचानी पड़ी.

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 मध्यप्रदेश में बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त, राहत कार्य जारी

जान तो बच गई पर चारों ओर 15 से 20 फुट पानी था. पास ही पेड़ से गाय भी बंधी थी. आसमान को सुबह से पेड़ पर खड़े-खड़े शाम हो गई थी, समय के साथ-साथ उसकी चिंता भी बढ़ रही थी, क्योंकि न पानी घटा और न ही कोई बचाने वाला आया. पहले उनके मोबाइल की बैटरी जवाब दे गई और बाद में हिम्मत.

लेकिन शाम को एक साझा ऑपरेशन के तहत एनडीआरएफ और एसडीआरएफ नाव में सवार होकर मौके पर पहुंचीं. मोटर बोट धीरे-धीरे बढ़ी. मौके पर पाया गया कि बाढ़ की वजह से आसमान पेड़ पर लटका है. उसके लिए रस्सी फेंकी गई. आसमान ने रस्सी तो पकड़ तो ली लेकिन नाव पर कूदना मुश्किल था. कमांडो ने अपनी गोद में भरकर आसमान को नाव पर उतारा.

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 आसमान को पेड़ से नीचे उतारा गया

लेकिन आसमान ने ज़िद की कि गाय को छोड़कर नहीं जाऊंगा. उसे भी ले चलो. नाव फिर गाय को बचाने के लिए आगे बढ़ गई. पानी की वजह से गाय भी घबरा कर शायद पेड़ पर चढ़ना चाहती होगी. गाय पेड़ के मोटे तनों पर फंसी थी. पास की टहनियों पर सांप भी झूल रहे थे. लेकिन राहत कार्य करने वाले बेपरवाह अपना काम कर रहे थे. सांपो को शायद पता नहीं होगा कि लोगों का बचाने वाले लोगों को, आस्तीनों में पलने वालों में कोई दिलचस्पी नहीं.

आसमान को सिर पर उठाए नाव आगे चल पड़ी और पांच मिनट में किनारे आ लगी. और इस तरह आसमान ज़मीन पर उतरा. हमने पूछा तो मुस्कुराते हुए बोले- डर तो बहुत लगा पर उम्मीद थी कि कोई बचा लेगा.

लेखक

संजय शर्मा संजय शर्मा @sanjaysharmaa.aajtak

लेखक आज तक में सीनियर स्पेशल कॉरस्पोंडेंट हैं.

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