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Updated: 26 सितम्बर, 2015 03:53 PM
रिनी बर्मन
रिनी बर्मन
  @rini.barman
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कपिल शर्मा का रात को प्राइम टाइम में होना बहुत खराब है. सुबह उठते ही फिर कपिल शर्मा, हांलाकि इनसे सुबह की पहली चाय से पहले न मिलें तो बेहतर है. रेड एफ एम पर कपिल का एक नया शो आ रहा है- जिसका नाम है Hello Kapil! Bhabhi Wants To Know. एक एपिसोड जिसे मैंने पिछले हफ्ते सुना था, उसमें कपिल एक भाभी से बात कर रहे थे, जिनकी परेशानी ये थी कि उनके पड़ोस में कॉलेज जाने वाला एक लड़का उन्हें 'भाभी' न कहकर उनके अपने नाम से बुलाए. 

शर्मा ने उन्हें झिड़की दी,' अच्छा, तो आप फेल कराएंगी उसे'. अब कपिल जो इन शरारती सवालों के जवाब देते हैं वो एक सच्चे नैतिक अभिभावक का रोल अदा करते हैं, जिसे भाभियां बड़ा पसंद करती हैं. उनके फुरसत के समय ये उनको ट्रेनिंग देने का बहुत बढ़िया तरीका है, वो अपनी शादीशुदा ज़िन्दगी से जुडी अंतरंग बातें बता सकती हैं, और फिर कपिल उन महिलाओं को उपदेश देते हैं.  

कपिल शर्मा अपनी पहली फिल्म 'किस किस को प्यार करूं' की वजह से चर्चा में बने हुए हैं. पर सच बताइएगा, क्या आपको भोलू पर हंसी आई जिसने दुर्घटनावश शादी करके तीन महिलाओं की जान बचाई? तीनों महिलाओं को एक ही ट्रैक पर दिखाया गया है- पहली जो 24 घंटे कामोत्तेजित रहती है, दूसरी पारंपरिक धर्मपत्नी जो अपना जीवन अपने परिवार को समर्पित करने को तैयार रहती है, और तीसरी अपने पति की सेवा से डरी रहती है.

तलाक की कोई बात नहीं कही गई(क्योंकि घर साइंस से नहीं होम साइंस से चलता है), और इस बहुविवाह पर समझदार लोग कोई सवाल भी नहीं उठाते हैं. इस तरह के विषयों पर जिस तरह से काम किया जाता है वो बहुत परेशान करने वाला है, इसमें 1970 के आस पास के समय और आज की नौतिकता की तुलना दिखाई गई है. मुझसे पूछिए कैसे? फिल्म के एक सीन में एक पिता अपनी बेटी की शादी पक्की करते हुए कहता है,'एक वो समय था जब लड़कियां अपनी शादी की बात सुनकर शर्मा जाती थीं'. इसपर दूल्हा(कपिल) भोलू कहता है,'आजकल की लड़कियां घर से भागते हुए भी नहीं शर्मातीं'. इस तरह की बातें जैसे 'एक जमाना था', 'आजकल का जमाना' ऐसे मजाक जो लड़कियों के बदलते जीवन और उनके कपड़ों पर किए जाते हैं, उसमें पुरुष प्रधान मध्यमवर्गीय मानसिकता की झलक दिखाई देती है. कॉमेडी नाइट्स विद कपिल ने इस तथ्य का फायदा उठाया, पारिवारिक दर्शक हंसना चाहते हैं और हर समय इस तरह के चुटकलों पर बात करना चाहते हैं. इस तरह के कॉमेडी शो में हास्य के नाम पर काले, मोटे, आर्थिक रूप से कमजोर, समलैंगिक किरदारों का मज़ाक उड़ाया जाता है.  

रेडियो शो द्वारा दिए जाने वाले पुरुषवादी ज्ञान की तरह ही 'किस किसको प्यार करूं' भी महिला विरोधी सोच को ही दर्शाती है जिसमें इस बात को सही साबित करने की कोशिश की गई है कि कैसे स्वच्छंद महिलाओं की 'सुरक्षा' करने के लिए शादी ही एकमात्र रास्ता है. मुझे यह महत्वपूर्ण इसलिए लगता है क्योंकि भारतीय टेलिविजन और कॉमेडी शोज में यह अंलकार बहुत ही आम है, और सेक्सिज्म और जातिवाद पर जबर्दस्त निर्भरता का कारण अक्सर टीआरपी रेटिंग्स को दिया जाता है. इसलिए एक अभिनेता और एक स्टैंड-अप कॉमेडियन के रूप में कपिल शर्मा को दोष देने के बजाय शायद हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि पिछले कुछ वर्षों में कॉमेडी शोज कितने जबर्दस्त तरीके से विकसित हुए हैं. क्या यह सच नहीं है कि 'कॉमेडी किंग' बनने की घटना के लिए जितने जिम्मेदार कपिल हैं उतने ही जिम्मेदार दर्शक भी हैं? जॉनी वाकर, महमूद, जॉनी लीवर, सतीश शाह के उस युग का क्या हुआ, जिन्होंने मजेदार कॉमेडी की, जो बॉलिवुड के लिए किसी खजाने से कम नहीं है? 

कपिल के करियर में हुई हालिया घटनाएं, पहले एक कॉमेडियन के तौर पर और अब एक अभिनेता के तौर पर, महज एक संयोग नहीं हैं. अक्सर उनकी कॉमेडी का हिस्सा बनने वाली 'आंटियां, भाभियां, भी उनका अनुसरण करती हैं. (उनके शो में शादीशुदा महिलाओं द्वारा पूछे जाने वाले सवालों का उदाहरण लीजिए) जैसा कि कपिल के शो 'महिलाओँ का हमेशा सम्मान करें' की टैग लाइन के साथ खत्म होता है, 'किस किसको प्यार करूं' का संदेश है, 'कभी किसी लड़की का घर नहीं तोड़ना चाहिए.' यह बात निश्चित तौर पर बहुत ही घटिया जोक्स, बहुत ही खराब ऐक्टिंग और भयावह संगीत के बाद आती है. कॉमिक लाइसेंस एक अलग बात है, लेकिन कॉमेडी किंग की परफॉर्मेंस भारत में लाफ्टर फॉर्मूला(बेइज्जती) के बारे में बहुत कुछ कह रही है. अब हमें इस कॉमेडी की कर्कश हंसी और एक गंभीर सामाजिक संरचना के चारों ओर बनाए गए काल्पनिक संसार की कीमत समझ में आ रही है.

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