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Updated: 15 दिसम्बर, 2019 07:43 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
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तारीख 18 जून 2019 मोटर साइकिल चोरी करने के आरोप में झारखंड (Jharkhand) के सरायकेला भीड़ एक 24 साल के युवक को पकड़ती है. पकड़े गए युवक की लात घूसों लाठी डंडे से पिटाई होती है. युवक को इस हद तक मारा जाता है कि वो अधमरा हो जाता है और घटना के 4 दिन बाद 22 जून को उसकी मौत हो जाती है. घटना का जो वीडियो इंटरनेट पर वायरल हुआ उसमें पकड़े गए युवक से भीड़ द्वारा 'जय श्रीराम' 'जय हनुमान' के नारे लगवाए गए.मृत युवक का नाम तबरेज अंसारी (Tabrez Ansari) था और इसकी मौत को मॉब लिंचिंग करार दिया गया. घटना के 6 महीने बाद एक बार फिर से तबरेज अंसारी का नाम और उसकी मौत लोगों की जुबान पर है. भीड़ द्वारा पीट-पीट कर मारे गए तबरेज अंसारी (Tabrez Ansari Lynching Case) की हत्या मामले में छह आरोपियों को हाईकोर्ट (Ranchi High Court) से जमानत मिल गई. झारखंड हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति, आर मुखोपाध्याय की पीठ ने भीमसेन मंडल, चामू नायक, महेश महली, सत्यनारायण नायक, मदन नायक, विक्रम मंडल को इस मामले में छह महीने बाद जमानत दी है. सुनवाई के दौरान आरोपियों के वकील, एके साहनी ने पीठ को बताया कि तबरेज अंसारी मामले में इनका नाम एफआईआर में नहीं है और न ही नामजद आरोपित पप्पू मंडल ने पुलिस को दिए अपने बयान में इनका नाम लिया है. इस सब के बावजूद सभी आरोपी लगभग छह महीने से जेल में बंद हैं.

तबरेज अंसारी, मॉब लिंचिंग, कानून,मोदी सरकार, Tabrez Ansariआरोपियों को मिली जमानत के कारण एक बार फिर तबरेज अंसारी मामला लोगों की जुबान पर है

आरोपियों के वकील ने पीठ को बताया कि 18 जून 2019 को चोरी के आरोप में तबरेज अंसारी को पुलिस ने गिरफ्तार किया था और सीजेएम कोर्ट ने उसे जेल भेज दिया. 22 जून को उसकी तबीयत खराब हुई और इलाज के दौरान सरायकेला के सदर अस्पताल में तबरेज की मौत हो गई. ऐसे में यह हिरासत में हुई मौत का मामला है. वकील ने इसी बात को आधार बनाया और अदालत से अनुरोध किया कि आरोपियों को जमानत मिलनी चाहिए.

तबरेज अंसारी केस बहुचर्चित मामला है. जिसने पूर्व में भी कई बार तूल पकड़ा है इसलिए प्रतिवादी का विरोध करना स्वाभाविक था. जिस वक़्त आरोपियों के वकील अपने तर्क पेश कर रहे थे, प्रतिवादी की ओर से जमानत का विरोध करते हुए कहा गया कि मारपीट की घटना में सभी लोग शामिल थे. अदालत ने दोनों पक्षों की बातों को सुना और छह आरोपियों को जमानत दे दी.

ध्यान रहे कि तबरेज अंसारी हत्या मामले में तबरेज की पत्नी ने एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें उसका आरोप था कि तबरेज को भीड़ ने एक खंभे से बांधकर उसकी पिटाई की थी. इसकी वजह से उसकी मौत हो गई थी. मामले के मेन स्ट्रीम मीडिया और सोशल मीडिया पर हाई लाइट होने के बाद पुलिस भी हरकत में आई थी और उसने सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया था.

गौरतलब है कि तबरेज अंसारी मामला अपनी शुरूआती जांच से ही सवालों के घेरे में है. इसी साल सितम्बर में ये मामला उस वक़्त चर्चा में आया था जब तबरेज की पत्नी ने आरोपियों के खिलाफ धारा-302 हटाकर 304 किए जाने पर नाराजगी जताई है. तबरेज की पत्नी ने मांग की थी कि आरोपियों के खिलाफ वापस धारा-302 लगाई जाए. साथ ही उसने ये भी कहा था कि यदि ऐसा नहीं होता है तो वो आत्महत्या कर लेगी.

अब जबकि इस मामले में आरोपियों को जमानत मिल गई है एक बार फिर घटना ने लोगों को राजनीति करने का मौका दे दिया है. तबरेज अंसारी मामले में आरोपियों की जमानत ट्विटर पर हॉट ट्रेंडिंग टॉपिक है और एक बड़ा वर्ग है जो इस मामले पर ट्वीट करके अपना विरोध दर्ज कर रहा है.

लोग इस मामले में राज्य सरकार की नीतियों और कोर्ट की आलोचना कर रहे हैं और कह रहे हैं कि ऐसे स्थिति में तो फिर इंसाफ की कल्पना ही नहीं की जा सकती.

मामले का किस तरफ राजनीतिकरण किया जा रहा है यदि हमें इस बात को समझना हो तो हम उन ट्वीट को भी देख सकते हैं जिसमें लोग देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने से भी बाज नहीं आए.

लोग अदालत के इस फैसले के बाद बहुत आहत हैं और यही कह रहे हैं कि जब परिस्थितियां ऐसी हों फिर आदमी अदालत का सहारा क्यों ले ? लोग यही कह रहे हैं कि जब घटना का वीडियो सामने हैं तो फिर क्यों अदालत उसे देखने में नाकाम है.

तबरेज अंसारी मामले में दोषियों की जमानत के बाद एक बार फिर मामले ने आग पकड़ ली है. मामले पर कोर्ट अपना क्या फैसला देती है? दोषियों को सजा मिलेगी क्या नहीं? इन सारे सवालों के जवाब वक़्त की गर्त में छिपे हैं. मगर जो वर्तमान है वो ये बता रहा है कि अब मामला सोशल मीडिया पर, जनता की अदालत में है. जहां जिसकी जैसी विचारधारा है उसका वैसा फैसला है.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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