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Updated: 22 जुलाई, 2016 03:48 PM
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'मुझे अपनी बात रखने का अधिकार है और मुझे ये भी पता है कि मेरी बातें परिवार वालों को बहुत पीड़ा पहुंचाने वाली हैं. लेकिन समय के साथ धीरे-धीरे वे आगे बढ़ जाएंगे. मैं ये उम्मीद कर सकती हूं कि मेरा नाम, मेरी विरासत, मेरी यादें आगे भी उनके साथ रहेंगी. ' ये जेरिका बोलेन के शब्द हैं. उम्र 14 साल. बैंगनी रंग के बालों वाली और अपनी लुक या कह लीजिए आउटफिट को लेकर बेहद संजीदा रहने वाली ये लड़की अब अपनी जिंदगी का आखिरी डांस करने जा रही है.

तैयारी जोरों पर है और जेरिका 'प्रौम' के लिए बेहद उत्साहित हैं. प्रौम दरअसल एक तरह का डांस है. खासकर ब्रिटेन और अमेरिका में ये शब्द काफी प्रचलित है जहां हाई स्कूल खत्म करने के बाद बच्चे एक खास जलसे का आयोजन करते हैं और खुशी मनाते हैं. जेरिका की ये प्रौम पार्टी 22 जुलाई को है.

क्यों करने जा रही हैं जेरिका अपनी जिंदगी का आखिरी डांस...

जेरिका अमेरिकी राज्य विस्कॉनसिन की रहने वाली हैं. लेकिन उनकी कहानी रोंगटे खड़े कर देने वाली है. जेरिका रीढ़ की एक बीमारी 'टाइप 2 स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रोपी' से ग्रसित हैं जो कि लाइलाज है.

इस बीमारी के दौरान रीढ़ की हड्डियों में जबर्दस्त दर्द होता है, इतना कि आप ठीक से बैठ या खड़े भी नहीं हो सकते. मसलन, दर्द को अगर 10 के स्केल पर मांपे तो जेरिका 7 या उससे आसपास जितना दर्द झेलती हैं. कभी-कभी तो ये 8, 9 या 10 तक भी पहुंच जाता है. नतीजा बार-बार माइग्रेन का अटैक.

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जब बीमारी अपने चरम पर पहुंचती है तो इंसान धीरे-धीरे अपने ही अंगों पर अपना नियंत्रण खोने लगता है. जैसे कि हाथ या पैर और फिर बोलने की शक्ति भी खत्म होती चली जाती है. फिर होने लगता है मौत का इंतजार. तमाम ऑपरेशन, जीवन रक्षक प्रणालियां और दवाएं बस इतना कर सकती हैं कि मौत से थोड़ा फासला हो जाए.

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 जेरिका बोलेन के जज्बे को सलाम कर रही है पूरी दुनिया 

जेरिका इसी दौर से गुजर रही हैं और फिलहाल 12 से 14 घंटे वेंटिलेटर पर रहती हैं. वो अपने पैरों पर बहुत देर खड़ी नहीं रह सकतीं. घूम नहीं सकती. हां, व्हील चेयर और उससे जुड़े वेंटिलेटर के जरिए जरूर रोज इस दर्द से लड़ती हैं. अभी कुछ ही महीनों पहले उनका 38वां ऑपरेशन हुआ. लेकिन जेरिका ने फैसला कर लिया है कि वे अब और इस दर्द को नहीं झेलेगी. वे अगले 20-25 या एक महीनें के भीतर वेंटिलेटर को त्याग देंगी और अपने आखिरी दिन अपनी मां और दो कुत्तों के साथ अपने घर पर बिताएंगी.

विस्कॉनसिन में ऐसा कानून है जहां डॉक्टर और परिवार वालों की की सहमति के बाद मरीज से जीवन रक्षक प्रणाली को हटाया जा सकता है. जेरेन जब आठ महीनें की थीं, तभी उन्हें ये बीमारी हो गई थी. जेरेन मानती हैं कि मौत को गले लगाने का फैसला आसान नहीं था और जब उन्होंने अपनी मां को इस बारे में बताया तो वो इससे सहमत नहीं हुईं. लेकिन जेरिका ने उन्हें समझाया कि इस जिंदगी के बाद उनकी सामने एक नई दुनिया होगी जिसमें कम से कम दर्द नहीं होगा.

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जेरिका के मुताबिक. 'जब वेंटिलेटर हटाने का फैसला हुआ तो मेरी मां और मैं रोती रहीं. लेकिन कुछ दिनों बाद मैं अच्छा महसूस करने लगी. मुझे अब लगता है कि मैं चल सकती हूं. मैं भगवान के पास जा रही हूं और मैं आजाद होने वाली हूं.' लेकिन जेरिका डर भी रहीं हैं. उन्हें डर है कि उनके निधन के बाद उनकी मां कहीं टूट न जाएं. खाना-पीना न छोड़ दें. खुद का ख्याल रखना, बात करना न छोड़ दें!

जेरिका का ये डर सही भी है क्योंकि उनकी मां एक सिंगल मदर हैं और तमाम परेशानियों के बावजूद उन्होंने जेरिका के इलाज और उनकी खुशियों के लिए जो कुछ बन पड़ा वो किया. अमेरिकी मीडिया में जेरिका से जुड़ी खबर आने के बाद सोशल मीडिया पर बड़ी संख्य में लोग अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं और उनके जज्बे को सलाम कर रहे हैं. देखिए क्या कहां लोगों ने-

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