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Updated: 23 मार्च, 2018 09:29 PM
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किसी धर्म की परिभाषा क्या होती है? उस धर्म का पालन करने वाले लोगों के रीति रिवाज कहां से आते हैं? अगर बात हिंदू धर्म की करें तो क्या आप जानते हैं कि इस धर्म का कोई संस्थापक नहीं है. जी हां, दुनिया के सबसे पुराने धर्म का कोई पिता ही नहीं है. अब बात करते हैं हिंदू धर्म और उससे जुड़े कुछ ऐसे तथ्यों की जो अधिकतर लोग नहीं जानते!

1. 'Hinduism' एक धर्म या जीने का तरीका?

जैसा की पहले भी बताया जा चुका है कि हिंदु धर्म का कोई संस्थापक नहीं है. माना जाता है कि कुछ संतों ने मिलकर जीने के एक तरीका का प्रचार करना शुरू किया था. इसे हिंदू धर्म भी नहीं सनातन धर्म कहा जाता था.

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2. आखिर कहां से हुई शुरुआत..

ये धर्म कुछ 1500-2000 ईसा पूर्व शुरू हुआ और उस समय भी हिंदू धर्म का कोई एक नहीं बल्कि कई प्रचारक थे. कुछ लोग इस धर्म को 5500 ईसा पूर्व तक मानते हैं. उस समय सिंधू नदी के पास रहने वालों का एक धर्म बन गया जो प्रकृति की किसी भी चीज़ को भगवान मानते थे.

3. कहां से आया शब्द हिंदू...

धर्म के रिसर्च स्कॉलर Gavin Flood के अनुसार हिंदू शब्द असल में हिंदुस्तान का नहीं बल्कि फारस या पर्शिया का है. ये शब्द उन लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता था जो सिंधु नदी के दूसरी तरफ रहते थे. खास तौर पर छठवीं सदी में राजा Darius I (550–486 BCE) के लेखों में इस शब्द को देखा जा सकता है. ये शब्द उस समय भूगोलिक शब्द की तरह इस्तेमाल किया जाता था और न किसी धर्म की तरह. धर्म की बात तो चौदवीं सदी तक फारसी दस्तावेज फुतूह सलातिन (अब्द अल मलिक इसामी द्वारा लिखा गया) में मिलती है. इसके अलावा, सातवीं सदी के Xuanzang द्वारा लिखे गए चीनी लेख में धर्म का वर्णन मिलता है.

4. सुप्रीम कोर्ट की मुहर...

सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में एक फैसला सुनाया था जिसमें कहा गया था कि हिंदू धर्म असल में कोई धर्म नहीं बल्कि जीने का एक तरीका है. इतने सालों में कई बार सुप्रीम कोर्ट ने Hindu, Hindutva, Hinduism आदि शब्दों को कई बार समझाया है. अक्सर हिंदुत्व को हिंदू धर्म का कट्टर अंग माना जाता है, लेकिन ऐसा है नहीं.

5. नास्तिकता भी हिंदू धर्म का हिस्सा...

हिंदू धर्म का सबसे अनोखा फैक्ट ये है कि नास्तिकता भी इस धर्म का हिस्सा है. धर्म को उनके द्वारा भगवान को कैसे माना जाता है इस बात पर परिभाषित किया जाता है. इसमें नास्तिक (बिना भगवान वाला), अद्वैतवाद या एकेश्वरवाद (Monotheism) यानी सिर्फ एक भगवान, बहुदेववाद या Polytheism यानी अनेक देवताओं में विश्‍वास शामिल है. हिंदू धर्म ही एक ऐसा धर्म है जिसमें तीनों बातें शामिल हैं. तैंतीस करोड़ देवी देवता भी हैं और एक ईश्वर ब्रह्मा भी हैं. इसके अलावा, ये धर्म नास्तिकता को भी मानता है कि दुनिया में कोई भगवान ही नहीं बल्कि आत्मा है.

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6. जितने लोग उतने रिवाज...

हिंदू धर्म को मानने वाले न जाने कितने ही लोग है. लोगों की जाति अलग है और उन जातियों के अलग रिवाज. अगर ब्राह्मण वर्ग को माना जाए तो उसमें भी न जाने कितने विभाजन हैं और सभी के अलग रीति रिवाज. ये एक मात्र ऐसा धर्म है जिसमें इतने विभाजन हैं.

7. कण-कण में बसे भगवान..

हिंदू धर्म में सिर्फ मूर्तियों को ही नहीं बल्कि किसी भी चीज़ की पूजा की जा सकती है. हिंदू धर्म ही एक ऐसा है जिसमें फूल, पत्ती, पेड़, पौधे, पत्थर, नदी, मछली किसी भी चीज़ को भगवान मान लिया जाता है. हवा को भी पवन देव कहा जाता है. आग को भी अग्निदेव. ऐसा इसलिए है क्योंकि हिंदू धर्म अपनी सुविधा के हिसाब से भगवान का रूप चुनने की इजाजत देता है.

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8. आडम्बर भी कम नहीं...

हिंदू धर्म जहां कन्याओं की पूजा की जाती है, खजुराहो के मंदिर हैं, लेकिन सेक्स को गलत माना जाता है. पीरियड वाली देवी कामाख्या की पूजा की जाती है उस धर्म में भ्रूण हत्या और पीरियड्स को औरतों का अभिषाप माना जाता है. कहा जाता है कि ब्रह्म हत्या का पाप औरतों को लगा इसलिए ही औरतों को पीरियड्स होने लगे.

9. तीसरा सबसे बड़ा धर्म...

ईसाई धर्म और इस्लाम के बाद हिंदू धर्म ही तीसरा सबसे बड़ा धर्म है. हालांकि, 90% हिंदू भारत में ही रहते हैं.

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