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Updated: 18 अक्टूबर, 2022 06:04 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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बीते कुछ समय में विदेशी नस्ल के आक्रामक कुत्तों से लेकर आवारा कुत्तों ने बहुत से बच्चों और बूढ़ों को बुरी तरह से नोंच खाया है. इन कुत्तों के कहर से जानवर भी नहीं बचे हैं. कानपुर में गाय का जबड़ा फाड़ देने वाले पिटबुल का वीडियो शायद ही अभी कोई भूला होगा. हाल ही में 7 महीने के एक बच्चे को आवारा कुत्तों ने इतनी बुरी तरह से नोंच डाला कि उसकी आंतें बाहर आ गईं. और, इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. इसके बाद जब आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए पहुंची टीम पहुंची. तो, उससे लोहा लेने के लिए बहुत सारे कुत्ता प्रेमी उतर आए. इन कुत्ता प्रेमियों ने टीम को दौड़ा लिया और हत्यारे कुत्तों को ले जाने नहीं दिया. इस घटना के बाद कहना गलत नहीं होगा कि इंसानों को खतरा कुत्तों से नहीं 'कुत्ता प्रेमियों' से है.

Infant mauled to death by Stray Dog in Noidaआवारा कुत्तों को खाना खिलाते कुत्ता प्रेमी.

पत्रकारिता की पढ़ाई के दौरान हमारे एक प्रोफेसर साहब ने हमें सिखाया था कि 'कुत्ता आदमी को काटे, ये खबर नहीं है. लेकिन, आदमी कुत्ते को काटे, ये खबर है.' लंबे समय तक खबरों को लेकर ये 'ब्रह्म वाक्य' सही भी लगा. लेकिन, समय के साथ हर चीज बदलती है. तो, ये भी बदला. और, अब कुत्तों के काटने की खबरें सुर्खियों में छाई रहती हैं. दरअसल, बीते कुछ सालों में देश के बहुत से कुत्ता प्रेमियों ने विदेशी नस्ल के कुत्तों को पालना शुरू कर दिया. बीतते दिनों के साथ लोगों में भी इन विदेशी नस्ल के आक्रामक कुत्तों को पालने का शौक बढ़ता गया. और, अब तकरीबन हर दूसरे दिन कुत्तों के काटने की खबरें आम हो गई हैं. कभी कोई आक्रामक विदेशी नस्ल का कुत्ता अपनी मालकिन को मौत के घाट उतार देता है. तो, कभी आवारा कुत्ते बच्चों को नोंच डालते हैं.

दरअसल, इन तमाम घटनाओं के होने की वजह कुत्तों से ज्यादा कुत्ता प्रेमी हैं. विदेशी नस्ल के कुत्तों को भारत में पालने की चाह ने इन कुत्ता प्रेमियों को अंधा कर दिया है. फॉर्म हाउस और बड़े-बड़े खेतों में जानवरों से रखवाली के लिए पाले जाने वाले विदेशी नस्ल के आक्रामक कुत्तों को कुत्ता प्रेमी अपने 2BHK फ्लैट और छोटे से मकानों में फिट करने लगे हैं. और, इस दौरान कुत्तों की मेटिंग से लेकर इसी तरह की अन्य चीजों को नजरअंदाज कर दिया जाता है. जो इन कुत्तों को और ज्यादा आक्रामक बना देते हैं. लेकिन, कुत्ता प्रेमियों को इससे क्या ही फर्क पड़ता है. वो तो सूखी रोटी खाने वाले आवारा कुत्तों को भी पारले-जी से लेकर दूध-ब्रेड खिलाकर लोगों के लिए खतरे को बढ़ा रहे हैं.

इन तमाम लोगों से सवाल पूछा जाना चाहिए कि क्या इन कुत्ता प्रेमियों का प्यार पाने से पहले सड़क पर घूमते आवारा कुत्ते जिंदा नहीं रहते थे? क्या इनकी ही वजह से बीते कुछ सालों में आवारा कुत्तों की संख्या तेजी से नहीं बढ़ी है? आसान शब्दों में कहें, तो विदेशी नस्ल के कुत्ते तो इंसानों के लिए खतरा हैं ही. लेकिन, अब कुत्ता प्रेमियों ने आवारा कुत्तों को भी उन्हीं की श्रेणी में लाकर रख दिया है.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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